खबर शहर , Agra News: गंगा का जलस्तर घटा पर प्रभावित क्षेत्रों में राहत नहीं – INA
कासगंज। गंगा के जलस्तर में पिछले पांच दिनों के बाद 25 सेंटीमीटर की कमी आई है, लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाकों में कोई राहत नहीं है। कई गांव की आबादी वाले हिस्से में पानी भरा है। वहीं खेत-खलिहानों में खड़ी फसलें पानी में डूबी हैं। किसानों के ईंधन (लकड़ी-कंडे आदि) और पशुओं के चारे की बुर्जियां भी पानी से घिरी हुई हैं। ग्रामीण ऐसे हालात में बेहद परेशान हैं। उन्हें राहत मिलने का इंतजार। वहीं गंगा के बढ़े हुए जलस्तर के कारण बांधों की मरम्मत का काम भी नहीं हो पा रहा है। देहात क्षेत्र के कई मार्गों पर पानी भरा रहने से लगातार दिक्कतें बनी हुई हैं।गंगा के जलस्तर में बृहस्पतिवार के मुकाबले शुक्रवार को 25 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई। बृहस्पतिवार को गंगा का जलस्तर 163.70 मीटर के निशान पर था जो शुक्रवार को 163.45 मीटर के निशान पर आ गया। नरौरा बैराज का डिस्चार्ज भी करीब 16 हजार क्यूसेक कम हो गया। इससे 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में कमी दर्ज की गई। जिन निचले आबादी के गांव में जलस्तर बढऩे पर बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। वहां से अभी पानी नहीं लौट पा रहा। नगला हंसी, मूंझखेड़ा, नगला दिपी, नगला नरपत, नैनसुख, दुरजन नगला, नगला नकारा, नगला जयकिशन, नगला खना सहित आस पास के तराई के अन्य गांव में बाढ़ का पानी कई कई फुट अभी भी भरा है। खेतों में धान, मक्का, बाजरा, गन्ने की फसलों में भी पानी भरा है। कई दिनों से पानी भरा होने के कारण किसानों को फसलों में क्षति होने की चिंता सता रहा है। क्यों कि बारिश के साथ चली तेज हवाओं से बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसलें भी खेतों में गिर गईं। इससे फसलों को काफी नुकसान हो गया है। पानी भरा होने के कारण क्षति का आकलन नहीं हो पा रहा। इससे राजस्व टीमें न तो बर्बाद हुई फसलों का आकलन कर पा रही हैं और किसान इससे हुए नुकसान ठीक-ठीक अनुमान भी नहीं लगा पा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित 25 से अधिक गांव में भूसा व ईंधन की बुर्जियां भी बाढ़ के पानी से घिर गई हैं। इससे ईंधन व चारा भी खराब हो गया है। गंगा के उफान में प्रभावित होकर कटे कच्चे बांधों की मरम्मत का काम भी नहीं हो पा रहा।ग्रामीण इलाकों में काफी सड़कों पर बाढ़ का पानी भरा हुआ है। वहीं कुछ सड़कें कट गई हैं। इसके कारण ग्रामीणों का आवागमन प्रभावित है। नगला जयकिशन, सनौड़ी में गंगा का पर बना छोटा पुल पिछले वर्ष की बाढ़ में कट गया था जो अभी तक सही नहीं हो पाया है। ऐसी स्थित में यहां आवागमन बाधित हो गया है। लोग नाव के सहारे व अन्य मार्ग से घूमकर निकल रहे हैं। मूंझखेड़ा व नरदौली की सडक़ भी कटी हुई है। वहां भी आवागमन प्रभावित है।