खबर शहर , Agra News: पितरों की श्राद्ध पूजा करने पहुंच रहे श्रद्धालु – INA
सोरोंजी। पितृ पक्ष में तीर्थंनगरी में अपने पितरों को मोक्ष की कामना के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालु हरि की पौड़ी घाट पर पहुंच रहे हैं। भगवान वराह की निर्वाण स्थली शूकरक्षेत्र में पिंड दान व श्राद्ध पूजा करने से प्राणी को जल थल नभ से मुक्ति मिल जाती है। इसी पौराणिक मान्यता के चलते प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु तीर्थपुरोहितों से अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए श्राद्ध पूजा करा रहे हैं।पितरों को जलदान करने के बाद श्रद्धालु तीर्थपुरोहितों को भोजन कराने के बाद दान दक्षिणा देकर क्षेत्राधीश भगवान वराह के दर्शन कर रहे हैं। शूकरक्षेत्र के बालाजी मंदिर वाले घाट पर विद्वान आचार्य पंडित शशिधर द्विवेदी व वराह घाट पर आचार्य पंडित धर्मधर शास्त्री के निर्देशन में श्रद्धालु विधिविधान पूर्वक पितरों को जल तर्पण कर रहे हैं।
-अस्थियों का विसर्जन प्राचीन काल से ही किया जाता है : पंडित प्रद्युम्न निर्भय ने बताया कि यह क्षेत्र पृथ्वी का आदिक्षेत्र है यह वराह गंगा वृहद गंगा और भागीरथी गंगा के पवित्र अंचल में स्थित है। इस तीर्थ स्थल को देखने यहां की रज को स्पर्श करने और दान आदि से पितर ही नहीं व्यक्ति स्वयं भी मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। भगवान वराह का यह अति प्रिय क्षेत्र है इसी के चलते यहां उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। श्राद्ध कर्म के लिए शूकरक्षेत्र सर्वोत्तम है यहां मृतक परिजनों के अस्थियों का विसर्जन प्राचीन काल से ही किया जाता है।
पितृ दोष का प्रभाव तीन पीढि़यों तक रहता है : आचार्य शशिधर द्विवेदी ने कहा कि पितरों को लेकर बहुत से लोगों में हमेशा जिज्ञासा बनी रहती है। जैसे वे कौन हैं, वे क्यों नाराज होते हैं, उनकी नाराजगी से क्या होता है। ये पितृ दोष क्या है, यदि हमारे पितृ हमसे नाराज हैं तो हमें कैसे मालूम चले कि वे हमसे नाराज हैं और यदि वे नाराज हैं तो हम उन्हें कैसे प्रसन्न करें। माता पिता को दुखी करने वाली संतान को पितृ दोष लगता है। पितृ दोष का प्रभाव तीन पीढिय़ों तक रहता है। गरुण पुराण में इसका विस्तृत वर्णन है। पितृ हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है। कोई न कोई उपकार उन्होंने हमारे जीवन के लिए किया है। अत. हमें भूल से भी उनकी आत्मा दुखानी नहीं चाहिए। वरना तीन पीढ़ी तक हमारी संतान पितृ दोष से ग्रसित रहेंगी। परिवार में कोई भी उन्नति और खुशहाली नहीं आएगी।