यूपी – महंगाई: इस्तेमाल का तौर-तरीका बदला, मखाना हो गया 1400 के पार, अब स्नैक्स में प्रयोग से बढ़ी मांग – INA
सेहत और स्वाद का खजाना मखाना बीते चार साल से लगातार महंगा होता जा रहा है। पिछले तीन महीने में इसके दाम 400 रुपये बढ़े हैं। अब फुटकर बाजार में मखाना 1400 रुपये किलो के पार हो गया है। पैकेट बंद मखाने की कीमत 1800 रुपये तक जा पहुंची है। . सहालग और नवरात्र में इसके दाम और चढ़ने के आसार जताए जा रहे हैं।
किराना व्यापार मंडल के महामंत्री प्रशांत गर्ग का कहना है कि एक तो मखाने के इस्तेमाल का पैटर्न बदला है। पहले सिर्फ फलाहार में इस्तेमाल होता था। अब यह लगभग हर मध्यवर्गीय परिवार में नाश्ते का अहम हिस्सा होने लगा है। चिप्स और नमकीन बनाने वाली कंपनियां तक मखाने का इस्तेमाल कर पैकेटबंद स्नैक्स बना रही हैं। खाड़ी देशों में भी मखाने का निर्यात बढ़ा है। अब लोग इसका पाउडर बनाकर प्रोटीन शेक पी रहे हैं।
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खपत बढ़ी, उत्पादन सीमित
लगातार बढ़ती कीमतों पर व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में मखाने की खपत तेजी से बढ़ी है, जबकि पैदावार बढ़ने के बजाय स्थिर है या घटी है। मखाने की पैदावार सिर्फ बिहार में होती है। यह सीमित है। पिछले साल मौसम खराब रहने की वजह से उत्पादन आधा हुआ, जबकि खपत में कोई कमी नहीं आई है।
चार साल में दोगुना हुई कीमत
हजरतगंज की बड़ी दुकानों व शॉपिंग मॉल में पैकेट बंद मखाना 1800 रुपये प्रति किलो है। लखनऊ के सुभाष मार्ग स्थित थोक बाजार में मखाने की कीमत 1200 रुपये प्रति किलो है। यही मखाना फुटकर बाजार में क्वालिटी के मुताबिक 1400-1500 रुपये प्रति किग्रा बिक रहा है। वर्ष 2020 में फुटकर बाजार में मखाना 700-800 रुपये प्रति किलो था।
पिछले साल सबसे ज्यादा बढ़े दाम
मखाने की कीमत सबसे ज्यादा पिछले साल बढ़ी। 900 रुपये किलो वाला मखाना 1200 रुपये तक पहुंच गया था। इस साल जुलाई में रेट टूटा तो 1000 रुपये किलो पर आ गया। ढाई महीने में ही फिर से 1400 रुपये तक का रेट हो गया है। इससे पहले वर्ष 2021-22 में मखाना 900 रुपये प्रति किलो बिक रहा था।
साल- मखाना (किलो)- खपत (टन)
2020- 800- 12,500
2021- 900- 10,000
2022- 900- 10,000
2023- 1200- 8000
2024- 1400- 8000 (अनुमानित खपत लखनऊ से होने वाली बिक्री की है।)