यूपी – Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा की रात करें ये उपाय, मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा – INA

शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को कहते हैं। इसका महत्व साल की सभी 12 पूर्णिमा तिथियों में सबसे खास होता है। इस बार शरद पूर्णिमा 16 अक्तूबर को है। इस दिन मां लक्ष्मी का आगमन चंद्रमा की रोशनी में होगा।

ज्योतिषाचार्य कृष्ण के शर्मा के अनुसार मान्यता है कि इसी दिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन को मां लक्ष्मी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न मुद्रा में होती है और रात को चंद्रमा की रोशनी में धरती पर भ्रमण करने आती हैं। 

ऐसा माना जाता है कि जिन भक्तों को वह पूजापाठ में लीन देखती हैं और भजन कीर्तन करते हुए पाती हैं उन पर विशेष कृपा होती है। यानी कि मां लक्ष्मी यह देखती हैं कि कौन-कौन जाग रहा है और उनकी पूजा कर रहा है। 

इसलिए इस पूर्णिमा तिथि को कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा भी अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और अमृत की वर्षा करते हैं। चंद्रमा की किरणों में रखी गई खीर का सेवन करने से कई रोग दूर हो जाते हैं और साथ ही माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।


पूर्णिमा का समय
आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 16 अक्टूबर को रात 8 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और 17 अक्टूबर शाम 4 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी। शरद पूर्णिमा का व्रत 16 अक्टूबर को रखा जाएगा और रात को खीर भी 16 को ही रखी जाएगी। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा का विधान है। इस दिन चंद्रोदय शाम को शाम 5 बजकर 10 मिनट पर होगा।

शरद पूर्णिमा का महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा होती है, क्योंकि मान्यता के अनुसार इस दिन उनका जन्म हुआ था। इसे कोजागरी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत भी कहते हैं। यह दिन धन प्राप्ति के लिए बेहद शुभ माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं। 

लोग अपनी श्रद्धा से उनकी पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए रात भर चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है और अगले दिन मां लक्ष्मी को अर्पित करके प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है।


Credit By Amar Ujala

Back to top button