यूपी- यूपी उपचुनाव में पूरी होगी संजय निषाद की मुराद? दिल्ली में डाला डेरा, BJP कब देगी भाव – INA
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी ने 8-1 का सीट शेयरिंग फॉर्मूला बनाया है. बीजेपी 8 सीट पर खुद चुनाव लड़ना चाहती है, तो एक सीट मीरापुर जयंत चौधरी की आरएलडी को दी है. बीजेपी के सहयोगी निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद दो सीटों की मांग कर रहे थे, लेकिन एनडीए के सीट बंटवारे में उनके हाथ एक भी सीट नहीं आई है. ऐसे में उन्होंने चार दिनों से दिल्ली में डेरा जमा रखा है, लेकिन बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से न ही मुलाकात हो सकी है और न ही किसी सीट का आश्वासन मिला है. ऐसे में संजय निषाद की मन की मुराद क्या पूरी होगी या फिर खाली हाथ लौट जाएंगे?
योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद उपचुनाव में अंबेडकरनगर की कटेहरी और मिर्जापुर की मझवां सीट मांग रहे हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सहयोगी दल के तौर पर निषाद पार्टी ने इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें मझवां सीट जीती थी, जबकि कटेहरी हार गई की थी. मझवां से निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद 2024 में बीजेपी के टिकट पर भदोही से सांसद बन गए हैं. इसके चलते ही उपचुनाव हो रहे हैं.
संजय बीजेपी हाईकमान से बात करने पर अड़े
निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद 2022 के आधार पर ही कटेहरी और मझवां सीट पर अपना क्लेम कर रहे हैं, तो बीजेपी खुद उपचुनाव लड़ना चाहती है. बीजेपी निषाद पार्टी को उपचुनाव में एक भी सीट नहीं देना चाहती है, जिसे लेकर ही संजय निषाद नाराज हैं. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से मिलने के लिए संजय निषाद ने पिछले चार दिनों से दिल्ली में डेरा जमा रखा है, लेकिन अभी तक मुलाकात नहीं हो सकी है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी हाईकमान की ओर से व्यस्तता का हवाला देकर यूपी की कोर कमेटी से बात करने के लिए कहा गया है, लेकिन संजय निषाद इस पर राजी नहीं हैं.
बीजेपी ने उपचुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर पहले ही संजय निषाद की नाराजगी को दूर करने के लिए यूपी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है. बीजेपी के कोर कमेटी के सदस्य डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. संजय निषाद सीएम योगी से मिले थे. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ भी बैठक की थी. इसके बाद ही संजय निषाद ने दिल्ली की तरफ रुख किया और बीजेपी हाईकमान से मुलाकात के लिए चार दिन से दिल्ली में कैंप कर रखा है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है.
बीजेपी सपा से करना चाहती है दो-दो हाथ
यूपी उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में झटका खाई बीजेपी उपचुनाव में कोई राजनीतिक रिस्क लेने के मूड में नहीं है. यही वजह है वो कि फूंक-फूंककर कदम रख रही है. यूपी लोकसभा चुनाव में सीटें कम आने से जनता में फैले सियासी भ्रम को दूर करने के लिए बीजेपी खुद ही सपा से दो-दो हाथ करना चाहती है. इसीलिए निषाद पार्टी को सीट देने के बजाय खुद चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है.
उपचुनाव में एक भी सीट न मिलने से निषाद पार्टी नाराज है. संजय निषाद ने पहले ही कह दिया है कि अगर हमें उपचुनाव में मझवां और कटेहरी सीट नहीं मिली तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा. निषाद को सिम्बल का ना मिलना 2024 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कई सीट पर हार का कारण बना है. सूत्रों की मानें तो निषाद की नाराजगी दूर करने के लिए बीजेपी की ओर से सिर्फ मझवां सीट इस शर्त पर देने की बात की गई कि नेता निषाद पार्टी का हो और सिंबल बीजेपी का होगा. निषाद पार्टी इसके लिए तैयार नहीं हैं.
बीजेपी क्यों नहीं छोड़ रही मझवां सीट?
संजय निषाद इस बात पर अड़ें हैं कि निषाद पार्टी अपने चुनाव निशान पर चुनाव लड़ेगी अन्यथा वह उपचुनाव से एकदम किनारे रहेगी. निषाद पार्टी के कार्यकर्ता बीजेपी के साथ चुनाव प्रचार में नहीं निकलेंगे. मझवां सीट निषाद पार्टी किसी भी सूरत में नहीं छोड़ रही है, बीजेपी भी अड़ी हुई है. बीजेपी इस बात को समझती है कि निषाद पार्टी या फिर दूसरे सहयोगी दलों के बजाय खुद अपने चुनावी सिंबल पर उसे चुनाव लड़ने का लाभ मिल सकता है. बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों से सबक लिया है, उसे लगता है कि अपने कमल चुनाव निशान पर लड़ेगी तो जीत पक्की है, लेकिन किसी भी सहयोगी दल पर चुनाव लड़ती है तो जीत की गारंटी नहीं है. ऐसे में देखना है कि संजय निषाद के मन की मुराद क्या पूरी होगी?
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