यूपी – खाद संकट का सच: नैनो डीएपी की भरमार…किसानों को चाहिए दानेदार, कंपनियां इसे ही बेचने पर आमदा, पढ़ें पूरी डिटेल – INA

किसान डीएपी खाद के लिए धक्के खा रहे हैं। डीएपी खाद न तो सहकारी समितियों में मिल रही है, न ही निजी दुकानों में। दोनों ही जगहों पर नैनो डीएपी लेने पर ही दानेदार डीएवी की बोरी दी जा रही है। लेकिन, किसानों को नैनो डीएपी पसंद ही नहीं है। यही वजह है कि खाद का संकट बढ़ गया है। जानकार बताते हैं कि नैनो डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यदि किसान इसे खरीद लें तो खाद का संकट खत्म हो जाए। किसानों का कहना है कि उन्हें जबरन नैनो डीएपी खाद दी जा रही है, जोकि उनके मतलब की नहीं है।

अधिकतर किसानों को इसका उपयोग करना ही नहीं आता है। फतेहपुर जिले के कठौता गांव निवासी किसान रमेश कहते हैं कि किसान फसल के लिए किसी तरह का जुआ खेलना पसंद नहीं करता है। वह पूछते हैं कि यदि बुआई के समय नैनो डीएपी का प्रयोग किया और फसल खराब हो गई तो? इसकी भरपाई कौन करेगा? वहीं, फतेहपुर के जिला कृषि अधिकारी नरोत्तम कुमार कहते हैं कि नैनो डीएपी और यूरिया मानक के अनुसार उपयोग करने से किसान कम खर्च में अच्छी उपज ले सकते हैं।


इसके लिए गांव-गांव हो रहे डेमो देखने के बाद किसान बुआई करें और अच्छी पैदावार लें। जाहिर है कि मामला नैनो डीएपी के चक्कर में फंस गया है। नैनो डीएपी की बाध्यता केवल सहकारी समितियों में ही नहीं है, बाजार में निजी खाद के दुकानदार भी बिना नैनो के खाद की बोरी नहीं दे रहे हैं। नैनो डीएपी की उपलब्धता चित्रकूट मंडल की इस स्थिति से समझ सकते हैं। मंडल में इस साल रबी सीजन में 55 हजार 213 बोतल नैनो डीएपी बांटने का लक्ष्य रखा गया है।


कंपनियां हर हाल में बेचना चाहती हैं नैनो खाद
अभी तक केवल 9,397 बोतलें वितरित हो पाई हैं। जबकि बफर स्टॉक में 12,213 बोतलें रखी हैं। बताया जाता है कि ऐसा ही हाल कानपुर मंडल में भी है। जाहिर है कि यदि किसान नैनो डीएपी ले लें तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद मिल जाएगी।  सूत्र बताते हैं कि नैनो डीएपी और यूरिया की वजह से ही खाद का संकट बना हुआ है। किसान नैनो खाद लेना नहीं चाहते, जबकि कंपनियां नैनो खाद हर हाल में बेचना चाहती हैं।


जितनी मांग है, उतनी उपलब्धता नहीं है
डीएपी खाद का संकट किस कदर है इसे चित्रकूटधाम मंडल के इस आंकड़े से समझ सकते हैं। चित्रकूट मंडल में इस वर्ष रबी सीजन में 32,556 टन डीएपी खाद के वितरण का लक्ष्य था, लेकिन अभी तक केवल 11 हजार टन डीएपी किसानों को दी गई है। बिक्री केंद्रों पर 1,152 टन ही डीएपी उपलब्ध है। इसका मतलब है कि जितनी मांग है उतनी उपलब्धता नहीं है। यही हाल फतेहपुर, हरदोई, फर्रुखाबाद आदि जिलों में भी है।


इस तरह गहराया खाद संकट
नैनो डीएपी खाद के चक्कर में संकट कैसे गहराता जा रहा है, इसे फतेहपुर जिले के इस आंकड़े से भी समझ सकते हैं। जिले में गेहूं की फसल के लिए बुआई का रकबा दो लाख 19 हजार 908 हेक्टेयर रखा गया है। इतने रकबे में उपयोग के लिए कृषि विभाग ने 4,197 मीट्रिक टन डीएपी का लक्ष्य रखा है। इसके सापेक्ष अब तक 4,000 मीट्रिक टन डीएपी और पांच हजार मीट्रिक टन एनपीके का स्टॉक जिले में आ चुका है। सूत्र बताते हैं कि किसानों को नैनो डीएपी के जाल में फंसाने के लिए पर्याप्त डीएपी नहीं दी जा रही है।


बाजार में महंगी खाद
फर्रुखाबाद जिले में बाजार में 1360 रुपये वाली डीएपी खाद 1600 रुपये में मिल रही है। इसके साथ नैनो डीएपी और नैनो पोटेशियम बैग लेने की शर्त भी है। किसान कहते हैं कि निजी दुकानों पर 1360 रुपये की खाद 2300 में खरीदनी पड़ रही है। इस वजह से किसान कर्जदार हो जा रहा है।


नैनो डीएपी का ऐसे करें प्रयोग
इफ्को के अधिकारी अतर सिंह बताते हैं कि 50 किलो गेहूं के बीज में एक लीटर पानी, 250 ग्राम नैनो डीएपी मिलाकर शोधित करना है। इसके बाद बीज को आधा घंटे छाया में सुखाने के बाद किसान अपने मानक से आधी डीएपी यानी साढ़े 12 किलो के साथ शोधित बीज की बुआई करें। इससे गेहूं की फसल का मजबूत अंकुरण होगा। पहले पानी के बाद दानेदार यूरिया का छिड़काव करें। दूसरी और तीसरी बार सिर्फ नैनो यूरिया का छिड़काव करने से लागत में कमी आने के साथ अच्छा उत्पाद होगा। अभी तक प्रचार-प्रसार की कमी के कारण किसान नैनो डीएपी और यूरिया पर विश्वास नहीं कर रहा है। इसके लिए गांव-गांव में डेमो कराने की तैयारी है।


अधिकारी का दावा: नैनो खाद सस्ती, उपयोगी भी
इफ्को के बांदा क्षेत्र के अधिकारी प्रतीक चौबे कहते हैं कि नैनो खाद किसानों के लिए फायदेमंद है। दानेदार खाद की अपेक्षा किसान नैनो खाद से करीब 50 प्रतिशत उर्वरक की बचत कर सकते हैं। इससे किसानों की उत्पादन लागत कम होगी।


जिन साधन सहकारी समितियों में डीएपी भेजी गई है, उसकी सूची जनप्रतिनिधियों को दी जाए। किसी भी स्तर पर खाद की कमी नहीं होनी चाहिए।  -मनोहर लाल (मन्नू कोरी), श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री


चित्रकूट मंडल के चारों जिलों के लिए डीएपी की रैक तीन दिन में आ जाएगी। अभी पीसीएफ के बफर में पर्याप्त खाद है। किसान दलहनी व तिलहनी फसलों की बोआई में निर्धारित मात्रा में ही डीएपी खाद का उपयोग करें। नैनो डीएपी के इस्तेमाल से खाद आधी लगेगी।  -प्रदीप सिंह, उपायुक्त व निबंधक, सहकारिता, चित्रकूटधाम मंडल


Credit By Amar Ujala

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