यूपी – Kanpur: जीएसवीएम सहित छह मेडिकल कॉलेजों को स्वायत्तता देने की कवायद शुरू, ये होंगे फायदे – INA

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड कर उन्हें स्वायत्तता देने की कवायद शुरू हो गई है। हाल ही में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक और प्रमुख सचिव ने लखनऊ में इस संबंध में बैठक की, जिसमें जीएसवीएम सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य मौजूद थे। फिलहाल शासन ने जीएसवीएम सहित आगरा, प्रयागराज, गोरखपुर, झांसी और मेरठ के मेडिकल कॉलेजों को अप्रगेड कर उन्हें स्वायत्तशासी संस्थान बनाने की कवायद शुरू की है।

जानकार सूत्रों अनुसार इसके पीछे शासन की मंशा उन मध्यम वर्गीय परिवारों को बेहतर इलाज मुहैया कराना है, जो आयुष्मान कार्ड के दायरे में नहीं आते हैं। स्वायतशासी बन जाने से किफायती दामों में बेहतर इलाज उपलब्ध हो सकेगा। इन मेडिकल कॉलेजों के स्वायत्तशासी संस्थान बनने से इनके बजट में कई गुना वृद्धि हो सकती है। अभी इन्हें उपकरणों के लिए सिर्फ 10 करोड़ रुपये ही मिलते हैं। वहीं लखनऊ केजीएमयू, एसजीपीजीआई और राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जैसे संस्थानों को उपकरणों के लिए 250 से 300 करोड़ रुपए का बजट मिलता है। अभी इनमें डॉक्टरों की नियुक्ति आयोग के जरिए होती है, जिसमें एक लंबा समय लगता है। स्वायत्तशासी संस्थान बन जाने पर निदेशक के पास नियुक्ति करने कर्मचारी या डॉक्टर काम नहीं करने पर उनपर कार्रवाई करने का अधिकार होगा। दावा है कि ओपीडी का पर्चा 50 रुपए और हर रोग की सभी अत्याधुनिक जांचें और दवा भी करीब 60 से 70 प्रतिशत छूट के साथ उपलब्ध होंगी।


ये फायदे भी होंगे
– हॉस्पिटल मैनेजमेंट के लिए लोग अलग से नियुक्त हो सकेगी। इससे डॉक्टरों पर काम का अतिरिक्त बोझ कम होगा। आयुष्मान योजना के मरीजों का अभी की तरह निशुल्क इलाज ही होगा। अन्य को जांचों और इलाज में 60 से 70 फीसदी की छूट मिलेगी।
– अस्पताल प्रबंधन सिविल संबंधी काम खुद ही टेंडर कराकर करा सकेगा। प्रबंधन के क्षेत्र से भी लोग आएंगे जो अस्पताल से जुड़े प्रशासनिक फैसले लेंगे। यूजर चार्ज (जांच या दवाई के लिए लिया जाने वाला शुल्क) मेडिकल संस्थान खर्च कर सकेगा।
– जांचों का दायरा बढ़ेगा। कैंसर की अत्याधुनिक जांचे, जेनेटिक, बायोप्सी जैसी तमाम जांचें शुरू हो सकेंगी। लिवर, किडनी, ट्रांसप्लांट की सुविधा भी शुरू हो सकती है।-हर विभाग में सुपरस्पेशियलिटी शाखा बनेगी। रिसर्च के लिए डॉक्टरों को अनुदान मिलेगा।

 


पहले भी बना था प्रस्ताव, केंद्रीय अनुमति के बाद बजट पर अटक गई थी बात: डॉ. आरती लालचंदानी
2019 में तत्कालीन प्राचार्य डॉ. आरती लालचंदानी ने भी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को स्वायत्तशासी संस्थान बनाने के लिए प्रयास किए थे। डीपीआर भी तैयार हो गया था, लेकिन फिर बजट की वजह से बात अटक गई। पूर्व प्राचार्य डॉ. आरती लालचंदानी ने बताया कि तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. हर्षवर्धन ने इसे स्वीकृति भी दे दी थी, लेकिन विधानसभा में ये पास नहीं हो सका। इसके लिए 1000 करोड़ रुपये का बजट बनाया गया था, जो कम होते-होते 200 करोड़ और फिर 100 करोड़ का रह गया था। इसके वावजूद यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया। 15 करोड़ रुपये से इसकी शुरूआत करने की बात की गई और वो बजट भी नहीं मिला।

छह मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड करने पर विचार चल रहा है, इससे मरीजों को उच्चीकृत सुविधाएं मिलेंगी। इसके अलावा रिसर्च और पठन-पाठन का स्तर और ऊंचा होगा। उच्च गुणवत्तायुक्त उपकरण आएंगे, दवाइयां आएंगी, इंफ्रास्ट्रक्चर भी और अच्छा होगा। स्वायत्त होने पर बेहतर तरीके से इसे चलाया जा सकेगा। – डॉ. संजय काला, प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज


Credit By Amar Ujala

Back to top button