यूपी- यूपी उपचुनाव के वोटिंग की बदली तारीख, मीरापुर में RLD को राहत तो BJP को मिला चैन – INA

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प होता जा रहा है, लेकिन चुनाव आयोग ने वोटिंग की तारीख बदल दी है. अब सूबे की 9 सीटों पर 13 नवंबर के बजाय 20 नवंबर को मतदान होगा. चुनाव आयोग ने उपचुनाव के मतदान की तारीख कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के मेले के चलते बदली है. बीजेपी और आरएलडी ने तारीख बदलने की लगातार गुहार लगा रहे थे. अब चुनाव आयोग के फैसला के बाद मीरापुर में आरएलडी ने राहत की सांस ली तो बीजेपी को भी चैन मिला है.

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ यूपी की 9 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा की गई थी. झारखंड के पहले चरण के साथ यूपी की सभी 9 सीट पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान के तारीख की घोषणा की गई थी. यूपी उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा था, जिसके चलते सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही पूरी ताकत झोंक रखी थी, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के त्योहार के चलते बीजेपी-आरएलडी गठबंधन की सियासी टेंशन बढ़ गई थी.

अब 20 नवंबर को पड़ेंगे वोट

चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए पहले 13 नंवबर को वोटिंग की तारीख तय थी और कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 15 नवंबर को है. वोटिंग के दो दिन के बाद गंगा स्नान है. ऐसे में आखिर क्या वजह है कि आरएलडी और बीजेपी को समस्या पैदा हो रही थी, जिसके चलते 13 नवंबर को होने वाली वोटिंग की तारीख को टलवाने के लिए चुनाव आयोग तक गुहार लगाया. ऐसे में चुनाव आयोग ने बीजेपी और आरएलडी की बात को मानते हुए उपचुनाव की तारीखों में बदलाव किया है. 13 नंवबर को होने वाले मतदान की तरीख को बदलकर 20 नंवबर कर दिया गया है.

उत्तर प्रदेश में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व और गंगा पूजन का धार्मिक महत्व है. 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का स्नान पर्व है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में लोग स्नान और पूजन के लिए जाते हैं, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कुंदरकी, मीरापुर,गाजियाबाद, मझवां और प्रयागराज में लोग तीन से चार दिन पहले ही गंगा के किनारे इकट्ठा हो जाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा की वजह से बीजेपी और आरएलडी गठबंधन को बहुसंख्यक समुदाय के लोगों के मतदान से वंचित रह जाने की टेंशन बन गई थी. इसके चलते हिंदू वोटों के कम वोटिंग होने का भी खतरा था, जिसके चलते बीजेपी और आरएलडी नेताओं का प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग से मिलकर तारीख बदलवाने की गुहार लगाई थी.

आरएलडी को मिली बड़ी राहत

आरएलडी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ढाई साल पहले सपा के समर्थन से मीरापुर सीट फतह की थी, लेकिन अब बीजेपी के साथ मिलकर उतरी है. 2022 चुनाव में जिस आरएलडी ने जाट-मुस्लिम-गुर्जर समीकरण के सहारे मीरापुर सीट जीत दर्ज की थी, अब उपचुनाव में वही आरएलडी हिंदू बनाम मुस्लिम की बिसात बिछाकर अपना सियासी वर्चस्व को बनाए रखने का दांव चल रही हो, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के मेले ने जयंत चौधरी की सियासी टेंशन बढ़ा दी है. ऐसे में आरएलडी के लिए मीरापुर सीट को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है?

लोकसभा चुनाव के बाज जयंत की पहली परीक्षा

आरएलडी ने बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा थे और अपने कोटे की दोनों सीटें जीतने में कामयाब रही. बीजेपी के साथ जाने के बाद विधानसभा चुनाव में जयंत की पहली परीक्षा मीरापुर सीट पर होनी है. मीरापुर सीट सपा के समर्थन से आरएलडी 2022 में जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन चंदन चौहान के सांसद बन जाने के बाद सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं, जहां से मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है. सवा लाख से अधिक मुस्लिम मतदाताओं वाली मीरापुर सीट पर सपा ने सुंबुल राणा, बसपा ने शाह नजर, आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन और AIMIM ने अरशद राणा को उतार रखा था. मुस्लिम वोटों के बिखराव के खतरे से जयंत चौधरी को अपने जीत की उम्मीद दिख रही थी, लेकिन कार्तिक पूर्णिका के मेले ने सियासी टेंशन बढ़ा रखी थी.

चुनाव का आगे टलना आरएलडी के लिए सियासी संजीवनी

मीरापुर विधानसभा सीट के 10 हजार से ज्यादा हिंदू समुदाय के लोग कार्तिक पूर्णिमा के चार-पांच दिन पहले मुजफ्फरनगर के शुक्रतीर्थ मेला पहुंचकर डेरा जमा देते हैं और कार्तिक पूर्णिका तक वहीं पर रहते हैं. आरएलडी को सियासी टेंशन सता रही थी कि 13 नवंबर को वोटिंग होने से मीरापुर में उसका सियासी समीकरण बिगड़ सकता है. उपचुनाव में आठ से दस हजार वोटों को मतदान से वंचित रहने पर आरएलडी को अपने लिए खतरा दिख रहा था. ऐसे में चुनाव आयोग ने 20 नवंबर को वोटिंग की तारीख तय करके आरएलडी को बहुत बड़ी राहत दी है. कार्तिक पूर्णिका के पांच दिन बाद वोटिंग है, जिसके चलते लोग स्नान और मेला करके वापस लौट आएंगे. इस तरह आरएलडी के लिए सियासी संजीवनी से कम नहीं है.

बीजेपी को भी मिला सियासी चैन

आरएलडी ही नहीं बीजेपी के लिए भी कार्तिक पूर्णिका का मेला उपचुनाव के चलते सियासी टेंशन बना हुआ था. कार्तिका पूर्णिका के चलते गाजियाबाद, कुंदरकी, फूलपुर, मझवां, कटेहरी और खैर सीट पर बीजेपी का सियासी समीकरण गड़बड़ाने का खतरा था. इन सीटों के लोग बड़ी संख्या में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा स्नान के लिए लोग तीन चार दिन पहले पहुंच जाते हैं. बीजेपी को भी यह खतरा था कि 13 नवंबर को वोटिंग होने पर हिंदू वोटर बड़ी संख्या में गंगा स्नान के लिए चले जाने से सियासी टेंशन बढ़ी थी, लेकिन चुनाव आयोग ने 13 नवंबर के बजाय 20 नवंबर वोटिंग की तारीख तय कर राहत दी है. कार्तिक पूर्णिका के पांच दिन आसानी से लोग अपने घर वापस आ जाएंगे. ऐसे में अब बीजेपी को तारीख बदलने से बड़ी राहत मिली है.


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