यूपी- अब क्या भाजपा सरकार खुद पर बुलडोजर चलवाएगी? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अखिलेश यादव का तंज – INA
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिक्रिया जताई है. अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के योगी सरकार पर तंज कसा है और कहा कि जुर्माना लगानेवाली उत्तर प्रदेश की सरकार पर अब कोर्ट जुर्माना लगा रहा है.
उन्होंने कहा कि भाजपा राज में उत्तर प्रदेश में फैली अराजकता का कोई क्या और सबूत चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि क्या बीजेपी सरकार खुद पर क्या बुलडोजर चलवाएगी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन की निंदा करते हुए उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को एक व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था. उस शख्स का घर साल 2019 में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए गिरा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बुलडोजर से आप रातों-रात घर नहीं गिरा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों के बुलडोजर एक्शन को अराजकता” करार दिया था.
महाराजगंज जिले में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने बुधवार को यह फैसला सुनाया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह महाराजगंज जिले में अवैध तोड़फोड़ से संबंधित मामले की जांच करें.
जुर्माना लगानेवाली सरकार पर ही कोर्ट जुर्माना लगा रहा है भाजपा राज में उप्र में फैली अराजकता का कोई और सबूत चाहिए क्या। अब क्या भाजपा सरकार ख़ुद पर बुलडोज़र चलवाएगी।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 6, 2024
मुख्य न्यायाधीश की पीठ को मनोज टिबरेवाल आकाश द्वारा शिकायत पत्र भेजा गया था. उसके आधार पर 2020 में दर्ज एक स्वप्रेरणा रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है. इसमें आरोप लगाया गया था कि महाराजगंज जिले में घर को साल 2019 में ध्वस्त कर दिया गया था.
बोलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश
राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि आकाश ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण किया था. पीठ ने पूछा, “आप कहते हैं कि वह 3.7 मीटर का अतिक्रमणकारी था. हम इसे स्वीकार करते हैं, हम उसे इसके लिए प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं, लेकिन, आप इस तरह से लोगों के घरों को कैसे ध्वस्त करना शुरू कर सकते हैं?”
पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है, पीठ ने राज्य के अधिकारियों से उचित प्रक्रिया का पालन करने पर सवाल उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को परिवारों को खाली करने के लिए समय देना चाहिए और उन्हें उचित प्रक्रिया का भी पालन करना चाहिए था.