खबर शहर , UP News: जनसुनवाई में सुधरी आगरा की रैंकिंग, मथुरा रहा अव्वल; ये जिले हैं सबसे ज्यादा फिसड्डी – INA
जन शिकायतों के समाधान की जिस जनसुनवाई व्यवस्था पर गुड गवर्नेंस का दारोमदार है, उसमें आगरा की स्थिति कुछ सुधरी है। अक्तूबर माह में इसकी रैंकिंग 13 स्थान ऊपर पहुंची है। हालांकि मंडल में यह फिसड्डी रहा जबकि मथुरा अव्वल है। वहीं 75 जिलों में आगरा से ज्यादा लापरवाही लखनऊ व गाजियाबाद (68 रैंक), कानपुर देहात (74 रैंक), प्रयागराज (60 रैंक) में सामने आई है।
लखनऊ राजधानी है। जहां सूबे के मुखिया से लेकर आला अफसर रहते हैं। वहां भी जन शिकायतों का निस्तारण सही नहीं हो रहा। 75 जिलों में सबसे खराब प्रदर्शन कानपुर देहात, कन्नौज, अमरोहा, इटावा और गाजियाबाद का रहा। वहीं, इस रैंकिंग में नंबर 1 कुशीनगर है, फिर शाहजहांपुर, गोरखपुर, अंबेडकर नगर और हमीरपुर हैं। यह फैसला अंकों के आधार पर होता है। अंक जन शिकायतों के निस्तारण के आधार पर मिलते हैं।
सितंबर में आगरा की 65वीं रैंक थी। अक्तूबर में यह 52 हो गई। 13 स्थान का सुधार हुआ। आगरा को 130 में 115 अंक मिले हैं। 88.46% अंक के बाद भी आगरा की प्रदेश में 52वीं रैंक है। एकीकृत जन शिकायत प्रणाली (आईजीआरएस), मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, तहसील, जिलाधिकारी कार्यालय व अन्य माध्यमों से अक्तूबर माह में 4105 शिकायतें आईं। जिनमें 2522 का फीडबैक नेगेटिव था। जिनमें 1679 की दोबारा जांच की गई। 843 मामलों में आवेदक असंतुष्ट हैं।
समाधान के लिए सात दिन का समय होता है। तय समय के बाद 350 मामलों को उच्च अधिकारियों ने जांच के लिए भेजा है। जिनमें सिर्फ 14 मामले डिफॉल्टर श्रेणी में मिले। इन सभी संदर्भों की जांच चल रही है। डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि अक्तूबर माह की फीडबैक नवंबर में शासन स्तर से होगी। रैंकिंग में सुधार के लिए डिफॉल्टर और नेगेटिव फीडबैक को लेकर संबंधित विभागाध्यक्ष की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की गई। 50 से अधिक लोगों को वेतन रोका। सख्ती का असर यह हुआ कि अब डिफॉल्टर संदर्भ बहुत कम बचे हैं।
मंडल में जिलों की रैंकिंग
– मथुरा – 16वीं रैंक, 130 में 120 अंक
– मैनपुरी- 25वीं रैंक, 130 में 119 अंक
– फिरोजाबाद- 44वीं रैंक, 130 में 116 अंक
– आगरा- 52वीं रैंक, 130 में 115 अंक