यूपी- Mustard Farming in Hardoi: सरसों की खेती करने वाले किसान ध्यान दें, ये नुस्खा दिला सकता है आपको डबल मुनाफा; जानें कैसे – INA
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पारंपरिक खेती को छोड़कर किसान तिलहन की खेती पर जोर दे रहे हैं. यह किसान अब सरसों की खेती से डबल मुनाफा कमा रहे हैं. तीन हफ्तों में तैयार होने वाली सरसों के साग की भी बिक्री बाजार में तेजी से हो रही है, क्योंकि बाजार में इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर अपनी अलग जगह रखने वाला सरसों का साग तेजी से बिक रहा है. किसान जहां एक तरफ सरसों का साग बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं तो वहीं तैयार होने पर सरसों भी गल्ला मंडी में अच्छे दामों में बिक रही है. किसानों का कहना है कि किसान को अब आधुनिकता के साथ जुड़कर ज्यादा कमाई वाली फैसले करने की आवश्यकता है, जिसमें सरसों की फसल मुख्य है.
हरदोई के किसान चंद्र भूषण ने बताया कि वह पहले गेहूं और धान की पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन कोरोना काल के समय से वह सब्जियों की खेती पर हाथ आजमा रहे हैं. यह मुनाफे का सौदा है. इन दिनों वह सरसों की खेती कर रहे हैं. सरसों की खेती में खास बात यह है कि खेत बोने के बाद में सरसों 20 दिन में साग के लायक हो जाती है, जिसे बेचकर वह सब्जी मंडी से अच्छा मुनाफा कमाते हैं. उसके ठीक बाद बड़ी होने पर सरसों गल्ला मंडी में भेजकर दोहरा पैसा प्राप्त करते हैं. बाजार में सरसों के साग की सर्दियों के शुरुआत में काफी अच्छी मांग होती है. इसका अच्छा पैसा मिलता है. ज्यादातर लोग सरसों का साग इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर खाना पसंद करते हैं.
सरसों के साग की सब्जी मंडी में भारी डिमांड
हरदोई के प्रसिद्ध डॉक्टर अमित शर्मा ने बताया कि सर्दियों की शुरुआत में हरी सब्जियां पोषण तत्वों से भरपूर होती हैं. मौसम बदलने के साथ इंसानी शरीर ज्यादा प्रोटीन की मांग करता है. 100 ग्राम सरसों के साग में तीन ग्राम प्रोटीन पाया जाता है. इसमें ए.बी.सी.ई विटामिन पाए जाते हैं. इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक और सेलेनियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं. सरसों का साग हड्डियों को मजबूत करता है. फेफड़ों को स्वस्थ करता है. शरीर में इम्यूनिटी बूस्ट करने में इसका अहम योगदान है. बढ़ती उम्र के लोग साग के सेवन से अपने आप को स्फूर्ति में महसूस करने लगते हैं.
सरसों दे रही किसान को डबल मुनाफा
हरदोई की जिला उप कृषि निदेशक नंदकिशोर ने बताया कि सरसों की खेती के लिए यह समय सबसे बेहतरीन है. धान की फसल काटने के साथ ही खेत को जोत कर भुरभुरा बना लें. इसके बाद पांच किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सरसों के बीज को कतारबद्ध तरीके से बोने की जरूरत है. सरसों की कतारबद्ध बुआई के लिए 45 सेंटीमीटर की दूरी सबसे उपयुक्त मानी गई है. एक हेक्टेयर खेत में लगभग 50 क्विंटल गोबर की खाद उपयुक्त होती है.
सरसों की अच्छी उपज और दोनों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए सल्फर की आवश्यकता होती है. इसके लिए बाजार में आने वाली सल्फर युक्त खाद का इस्तेमाल किया जा सकता है. बलुई दोमट मिट्टी सरसों की फसल के लिए सबसे बेहतरीन रहती है. समय से पानी और हिट नियंत्रण से हम अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं. सरसों की मांग बाजार में साल के सभी दिन रहती है. इसलिए इसकी खेती किसान के लिए मुनाफे का सौदा है. तिलहन की खेती के लिए सरकार के द्वारा किसानों को अनुदान और प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है. अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग में संपर्क किया जा सकता है.
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