यूपी- यूपी उपचुनाव में ओवैसी के सियासी चक्रव्यूह में फंसी सपा, मीरापुर-कुंदरकी सीट पर मुस्लिम वोट का बिखराव बना टेंशन – INA

उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव प्रचार के आखिरी दिन सोमवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मीरापुर सीट पर जनसभा संबोधित करते हुए मुजफ्फरनगर दंगे के जख्मों को कुरेद कर फिर से हरा कर दिया है. ओवैसी ने कहा कि मुजफ्फरनगर में दंगे चल रहे थे, तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे. पीड़ित के जख्मों पर परहम लगाने के बजाय वो सैफई में उत्सव देख रहे थे. मुजफ्फरनगर दंगे का जिक्र करने के साथ ही ओवैसी फिलिस्तीनियों की मिसाल देकर मुस्लिमों को लामबंद करने की कोशिश करते नजर आए.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 2013 के मुजफ्फरनगर में दंगे चल रहे थे, तब अखिलेश यादव सैफई में उत्सव देख रहे थे. दंगे से पचास हजार मुसलमान अपने घरों से बेघर हो गए थे. हमारी मां-बहनों पर ज्यादती की गई थी और राहत शिविरों पर बुलडोजर चला था, लेकिन उन्हें इंसाफ नहीं दिला सके. ओवैसी ने कहा यूपी में चुनाव नतीजे को देखकर हिम्मत हारने वाले लोग नहीं हैं. हमारे हौसले हमेशा बुलंद रहेंगे, लेकिन फैसला आपको करना है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में डर कर वोट मत कीजिए और जंग से पहले नतीजे पर मत पहुंचिए. बीजेपी को रोकना है, लेकिन उसे रोकने के चलते अपने आपको मत खत्म कीजिए.

ओवैसी ने मीरापुर की आवाम को फिलिस्तीन का उदाहरण देते हुए कहा कि एक मिसाल दे रहा हूं, बुरा मत मानिए. 70 साल से फिलिस्तीनी, गाजा में लड़ाई लड़ रहे हैं. वो मर रहे हैं. 40 हजार अब तक मर गए और 12 लाख बेघर हो गए, लेकिन उनके हौंसले को देखो-वो डर नहीं रहे. वो मुकाबला कर रहे हैं. क्योंकि इजराइल जालिम मुल्क है और वो जालिम मुल्क गाजा में जुल्म ढा रहा है, लेकिन वो गाजा में लड़ रहे हैं. इस तरह ओवैसी मुस्लिम समुदाय को लामबंद करने की कवायद करते नजर आए. साथ ही उन्होंने कहा कि संसद में वक्फ बिल कानून पेश किया गया है. हमारी पार्टी के कम से कम तीन संसद सदस्य होते तो क्या मोदी इस तरह की हरकत करने के बारे में सोचते. वक्फ बिल से हमारी मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान की जमीनें हड़पने की साजिश है.

यूपी उपचुनाव में सपा और बीजेपी के बीच होने वाले सीधे मुकाबले को असदुद्दीन ओवैसी ने त्रिकोणीय बनाने की दांव चला है. इसके लिए जिस तरह 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के जख्मों को कुरेद कर ये अहसास दिलाने में कोशिश की है कि जिन दिलों को मुसलमान सेकुलर समझकर अपना खैरख्वाह मानते हों, वे संकट के वक्त आपके साथ नहीं खड़े होने वाले. इसके लिए सपा के महासिचव आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की मिसाल देते हुए कहा कि आजम खान के साथ क्या हुआ, अखिलेश यादव ने क्या मदद की. ओवैसी ने अपनी खुद की लीडरशिप खड़ी करने की जरूरत बताई और उसके लिए फिलिस्तान में गाजा के लिए लड़ रहे लोगों की मिसाल दी.

ओवैसी ने जिस तरह मुजफ्फरनगर और फिलिस्तीन का उदाहरण देकर मुस्लिम को लामबंद करते नजर आए, जिसके चलते सपा के लिए सियासी चुनौती खड़ी हो गई है. असदुद्दीन ओवैसी ने पश्चिमी यूपी की तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं, जिसमें उनका मुख्य फोकस दो सीट पर है. कुंदरकी में मोहम्मद वारिस और मीरापुर में अरशद राणा को ओवैसी ने उम्मीदवार बनाया है. पश्चिमी यूपी की इन दोनों मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी सिर्फ चुनाव ही नहीं लड़ रहे बल्कि जिस तरह का सियासी दांव खेला है, उसके चलते सबसे ज्यादा टेंशन अखिलेश यादव की बढ़ गई है.

मीरापुर सीट पर मुस्लिम बनाम मुस्लिम

मीरापुर विधानसभा सीट से 2022 में सपा के समर्थन से आरएलडी के चंदन चौहान विधायक चुने गए थे, लेकिन बिजनौर सीट से सांसद बन जाने से इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. आरएलडी ने अब बीजेपी के साथ गठबंधन कर रखा है और मीरापुर सीट से जयंत चौधरी ने मिथलेश पाल को उतार रखा है तो सपा ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा को प्रत्याशी बनाया है, तो बसपा ने शाहनजर पर दांव लगाया है. ऐसे ही चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने जाहिद हुसैन को उम्मीदवार बनाया है और अब ओवैसी ने भी आरशद राणा को उतार दिया है. मीरापुर सीट पर आरएलडी को छोड़कर सभी दलों ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार रखे हैं, जिसके चलते मुकाबला रोचक हो गया है.

कुंदरकी सीट पर मुस्लिम बनाम मुस्लिम

कुंदरकी विधानसभा सीट से 2022 में सपा के जियाउर्रहान विधायक चुने गए थे, लेकिन 2024 में संभल सीट से सांसद बन गए हैं. कुंदरकी सीट पर सपा से पूर्व विधायक हाजी रिजवान चुनाव लड़ रहे हैं तो बसपा ने रफतउल्ला उर्फ छिद्दा, ओवैसी की AIMIM से मोहम्मद वारिस और चंद्रशेखर आजाद ने आसपा से हाजी चांद बाबू मैदान में है. इस सीट पर भी बीजेपी को छोड़कर सभी पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार पर दांव खेल रखा है. बीजेपी ने रामवीर सिंह ठाकुर को उतारा है, जो मुस्लिम वोटों पर फोकस कर रखे हैं. ऐसे में सभी दलों की निगाहें मुस्लिम वोटों पर लगी है.

मुस्लिम वोटों में क्या होगा बिखराव

मीरापुर और कुंदरकी जैसे मुस्लिम बहुल सीटों पर सभी विपक्षी पार्टियों ने मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेला है, जिसके चलते मुस्लिम वोटों के बिखराव की संभावना बन गई है. मीरापुर सीट पर करीब 35 फीसदी के करीब मुस्लिम वोटर हैं तो कुंदरकी में 62 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. इस तरह से दोनों ही सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक हैं, लेकिन जिस तरह सभी विपक्षी दलों ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है, उसके चलते बीजेपी और आरएलडी की बांछे खिल गई हैं.

हालांकि, यह स्थिति यूपी के 2022 विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर देखने को मिली थी, लेकिन मुस्लिम समुदाय ने एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ वोटिंग की थी. बसपा और दूसरी पार्टियों के मुस्लिम कैंडिडेट को नजरअंदाज कर दिया था, लेकिन उपचुनाव में मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न अलग रहा है. असदुद्दीन ओवैसी ने मीरापुर सीट पर कांग्रेस से आए नेता को प्रत्याशी बनाया है, तो कुंदरकी में प्रभावी चेहरे पर दांव खेला है.

कुंदरकी सीट पर ओवैसी की पार्टी का अपना सियासी आधार रहा है. इन दोनों ही सीटों पर सपा का सियासी आधार पूरी तरह से मुस्लिम वोटबैंक पर टिका हुआ है, क्योंकि दोनों ही सीटों पर यादव वोटर एकदम नहीं है. ओवैसी ने जिस तरह से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं और मुस्लिम को साधने का दांव चला है, उससे सपा का सियासी समीकरण गड़बड़ाता नजर आ रहा. ओवैसी से लेकर सपा और चंद्रशेखर आजाद तक मुस्लिम वोटों को ही साधने में लगे हैं, तो बीजेपी और आरएलडी की नजर बहुसंख्यक समाज के वोट बैंक पर है. ऐसे में देखना है कि ओवैसी की सियासी चक्रव्यूह को अखिलेश यादव कैसे तोड़ पाते हैं?


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