खबर शहर , UP: जो काम दशकों में न हो सका, वो अब होगा…सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश, ऐसे बदलेगी यमुना की तस्वीर – INA

यमुना नदी में प्रदूषण पहुंचाकर उसे जहरीला बना चुके 43 नालों को सुप्रीम कोर्ट ने टैप करने के निर्देश दिए हैं। पर्यावरणविद एमसी मेहता की याचिका पर हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जल निगम को यमुना नदी में गिर रहे 38 छोटे और 5 बड़े नालों को यमुना में गिरने से रोकने के लिए कहा है। जस्टिस अभय ओका और एजी मसीह की बेंच के इस निर्देश के बाद नालों को टैप करने की 136 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। चार माह से नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) में रुकी हुई है।
 


ये किए जाएंगे काम
पोइया घाट, मनोहरपुर ड्रेन, बहादुर पुर गांव ड्रेन, जसवंत सिंह की छतरी, लोहिया नगर, राधा नगर, सेक्सरिया नाला, बेलनगंज पुलिस चौकी नाला, बेलनगंज काली माता मंदिर नला, न्यू राधा नगर नाला, आंबेडकर पार्क नाला, खैराती टोला नाला, गोकुल नगर, गणेश नगर, रामबाग, कटरा वजीर खां, चीनी का रोजा, सूबेदार नगर, दयानंद आश्रम, कछपुरा, प्रकाश नगर, नर्सरी मंदिर नाले को डायवर्ट और टैप कर एसटीपी पर ले जाया जाएगा। इसके लिए 3.563 किमी लंबी सीवर लाइन मनोहरपुर तक बिछाई जाएगी, वहीं वाटरवर्क्स नाला टैप करने के लिए 1.857 किमी लंबी 300-700 एमएम व्यास की सीवर लाइन, भैरों नाला पर 687 मीटर, नरायच में 2.782 किमी, कछपुरा में 2.821 किमी और एत्माददौला में 3.875 किमी लंबी सीवर लाइन बिछाकर नालों को टैप किया जाएगा।

 


राइजिंग मेन 15.53 किमी लंबी होगी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इन नालों की टैपिंग के लिए बनी योजना में बल्केश्वर, भैरों नाला, वाटरवर्क्स, मनोहरपुर, नरायच, एत्माददौला और प्रकाश नगर तक 15.53 किमी लंबी राइजिंग मेन बिछाई जानी है। लगभग 21 किमी लंबी छोटी सीवर लाइन बिछेगी। 136 करोड़ रुपये की योजना में रजवाड़ा, नरायच, मनोहरपुर, एत्माददौला, भैरों नाला, वाटरवर्क्स और बल्केश्वर के पंपिंग स्टेशनों को भी अपग्रेड किया जाएगा।

 


चार साल पहले लिए थे सैंपल
पर्यावरणविद एमसी मेहता ने चार साल पहले 6-7 फरवरी 2020 को नेशनल एनयावरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डाॅ. एसके गोयल के साथ आगरा आकर यमुना नदी के सैंपल भरवाए थे। उन्होंने आगरा के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता के साथ मिलकर भैरों नाला और अन्य नालों के सैंपल लिए थे। उन दो दिनों में उन्होंने यमुना की कालिख को देखा था और ताज के पीछे दुर्गंध और सिल्ट को देखकर आपत्ति भी जताई थी।


यमुना में गिर रहा 216 एमएलडी सीवर
नगर निगम क्षेत्र में अनटैप्ड नालों के जरिए हर दिन 216 एमएलडी सीवर यमुना में पहुंच रहा है। शहर से निकलने वाले सीवर का 61 फीसदी हिस्सा यमुना को प्रदूषित कर रहा है। इन नालों को टैप करने की जिम्मेदारी जल निगम की है। धांधूपुरा एसटीपी के बाद जल निगम ने इस तरफ कोई काम नहीं किया। अब नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत धांधूपुरा, पीलाखार, नगला बूढ़ी में एसटीपी बनाए जा रहे हैं। शहर के छोटे बड़े नालों को इन्हीं एसटीपी तक पंपिंग करके ले जाया जाएगा।


12 करोड़ की पर्यावरण क्षतिपूर्ति लग चुकी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से दिए गए आदेश के बाद जल निगम पर जुर्माना भी लगाया है। जल निगम पर एसटीपी न चलने और यमुना में सीवर गिरने के मामले में 12 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति देने के लिए नोटिस भी जारी किया गया था।


इन नालों से यमुना में पहुंच रही गंदगी
– ताज पूर्वी गेट
– मंटोला नाला
– वाटरवर्क्स नाला
– भैरों नाला
– नगला बूढ़ी
– पीलाखार ड्रेन

 


जुलाई में ही भेजा था प्रोजेक्ट
जल निगम के  अधिशासी अभियंता स्वतंत्र सिंह ने कहा कि नालों की टैपिंग का प्रोजेक्ट यूपी सरकार से एनएमसीजी के पास जा चुका है। हमने जुलाई में ही प्रोजेक्ट तैयार कर शासन भेज दिया था। मंजूरी मिलने का इंतजार है।


अफसरों ने कोई कदम नहीं उठाया
 पर्यावरणविद डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ का कहना है कि यमुना को अफसरों और इंजीनियरों ने गंदे नाले में तब्दील कर दिया है। 58 करोड़ का जुर्माना लगने के बाद भी नगर निगम, जल निगम ने कोई कदम नहीं उठाया। 30 साल में नदी को पूरी तरह से खत्म कर दिया।
 


नाले गिरने बंद हों, नहीं आएंगे कीड़े
 पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि यमुना में नाले गिरने बंद हो जाएं तो कम से कम ताजमहल पर कीड़े नहीं आएंगे और दुर्गंध के कारण घाटों पर लोगों ने जाना बंद कर दिया था, वह फिर से शुरू हो जाएगा। अफसर अगर अब भी काम करें तो मरी हुई यमुना को फिर से जिंदा कर सकते हैं।


Credit By Amar Ujala

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