खबर आगरा: गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े – INA

आगरा: 26 दिसंबर 1705 को बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की

शहादत हुई थी। साल 2022 से वीर बाल दिवस को अंतिम सिख गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए 26 दिसंबर के दिन वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण दिवस है जो सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिवस पर हम साहिबजादों की वीरता और बलिदान की कहानी को याद करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने का प्रयास करते हैं।

साहिबजादों की कहानी इस प्रकार है-

गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े, जिनमें से एक था चमकौर का युद्ध। इस युद्ध में गुरु जी के दो साहिबजादे, जोरावर सिंह और फतेह सिंह, शहीद हो गए थे। जोरावर सिंह और फतेह सिंह की वीरता और बलिदान की कहानी सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह कहानी हमें अपने धर्म और देश के प्रति समर्पण और बलिदान की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करती है।

यह दिवस वीरता और बलिदान की कहानी के रूप में भी मनाया जाता है। जोरावर सिंह और फतेह सिंह की वीरता और बलिदान की कहानी इस प्रकार है – चमकौर का युद्ध 1705 में हुआ था, जब गुरु गोविंद सिंह जी और उनके साथी मुगल सेना के खिलाफ लड़ रहे थे। इस युद्ध में गुरु जी के दो साहिबजादे, जोरावर सिंह और फतेह सिंह, शहीद हो गए थे। जोरावर सिंह और फतेह सिंह की वीरता और बलिदान की कहानी सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह कहानी हमें अपने धर्म और देश के प्रति समर्पण और बलिदान की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करती है। साहिबजादों के आदर्श हमें अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके आदर्श इस प्रकार हैं

1. धर्म और देश के प्रति समर्पण: अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। साहिबजादों ने अपने धर्म और देश के लिए यह हमें अपने धर्म और देश के प्रति समर्पण की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करता है।

2. वीरता और साहसः साहिबजादों ने अपने जीवन में वीरता और साहस का परिचय दिया था। यह हमें अपने जीवन में वीरता और साहस का महत्व समझने का अवसर प्रदान करता है।

3. बलिदान और त्यागः साहिबजादों ने अपने जीवन में बलिदान और त्याग का परिचय दिया था। यह हमें अपने जीवन में बलिदान और त्याग का महत्व समझने का अवसर प्रदान करता है।

वीर बाल दिवस एक महत्वपूर्ण दिवस है, जो सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को याद करने के लिए मनाया जाता है। साहिबजादों की वीरता और बलिदान की कहानी हमें अपने धर्म और देश के प्रति समर्पण और बलिदान के महत्व को रेखांकित करती है। साहिबजादों की वीरता की कहानी देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा का बहुमूल्य स्रोत है यह युवाओं के लिए नई ऊर्जा का स्रोत है और साथ ही नए भारत विकसित भारत की सोच का स्रोत है। एक भारत और श्रेष्ठ भारत की सोच को साकार देने में वीर बाल दिवस महत्वूर्ण भूमिका निभा रहा है। वीर बाल दिवस पर देश के युवाओं में देश सेवा और राष्ट्रप्रेम के प्रति रुचि जगाने के लिए भारत सरकार 20 अधिक 18 वर्ष से कम आयु के युवाओं जिन्होंने राष्ट्र सेवा त्याग व बलिदान देने में अभूतपूर्त योगदान दिया हो को राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान करती है। एक भारत श्रेष्ठ भारत। जय हिन्द जय भारत।

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