Political – दिल्ली के चुनावी रण में बिछी जातीय बिसात, समझें किस जाति पर किस दल ने खेला सबसे बड़ा दांव- #INA
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी दलों अपनी जीत का दावा कर रहे हैं
दिल्ली का विधानसभा चुनाव इस बार काफी रोचक बनता जा रहा है. आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी दलों ने अपने-अपने राजनीतिक दांव चल दिए हैं. दिल्ली की राजनीतिक बिसात इस बार सीट के जातीय समीकरण के लिहाज से बिछाई गई है. सूबे की सत्ता की दशा और दिशा पूर्वांचली, जाट, पंजाबी, ब्राह्मण, वैश्य और दलित समुदाय तय करते हैं. इन्हीं जातियों के इर्द-गिर्द आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने दांव खेले हैं. ऐसे में देखना है कि किसका समीकरण सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने का काम करता है.
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 699 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि, बीजेपी 68 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी ने एक सीट जेडीयू और एक सीट चिराग पासवान की एलजेपी के लिए छोड़ी है. इस तरह तीनों ही दलों के उम्मीदवारों का जातीय विश्लेषण करते हैं तो साफ है कि सभी दलों ने अपने कोर वोटबैंक साधे रखने के साथ-साथ एक दूसरे के वोटों में सेंधमारी करने की स्ट्रेटेजी अपनाई है.
जातीय बिसात पर AAP ने बिठाए मोहरे
आम आदमी पार्टी भले ही देश की राजनीतिक दशा और दिशा को बदलने का दावा करती रही हो, लेकिन दिल्ली चुनाव में उसने जातीय के बिसात पर ही अपने मोहरे बिठाए हैं. आम आदमी पार्टी ने अपने कोर वोटबैंक वैश्य और पूर्वांचली को साधे रखते हुए जाट और गुर्जरों पर दांव खेला है. इसके अलावा मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम और सिख बहुल सीटों पर सिख उम्मीदवार उतारने के साथ-साथ सुरक्षित सीटों पर दलित समाज से प्रत्याशी उतारे हैं. इस तरह आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के परंपरागत वोटबैंक में सेंधमारी करने की रणनीति बनाई गई है.
आम आदमी पार्टी ने इस बार सबसे ज्यादा भरोसा पूर्वांचली वोटरों पर दिखाया है. 12 पूर्वांचली को प्रत्याशी बनाया है तो 8 वैश्य जाति के नेता को टिकट दिया है. इसके अलावा जाट और गुर्जर से सात-सात प्रत्याशी उतारे हैं तो 4 ब्राह्मण, 5 मुस्लिम, 4 सिख, 5 राजपूत, तीन यादव और दो त्यागी समाज से कैंडिडेट उतारे हैं. दलितों के सुरक्षित 12 सीट पर ही आम आदमी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है. इस तरह से साफ है कि केजरीवाल का फोकस पूर्वांचली और वैश्य समाज के साथ गुर्जर और जाट के साथ सियासी बैलेंस बनाने का है.
बीजेपी ने किस तरह से खेला सियासी दांव
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीट के सियासी और जातीय मिजाज के हिसाब से उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी ने जाट, ब्राह्मण के साथ पंजाबी और दलित समीकरण बनाने की स्ट्रेटेजी अपनाई है. बीजेपी ने साथ ही वैश्य और पूर्वांचली वोटों के साधने की जरूर कोशिश की है, लेकिन आम आदमी पार्टी की तुलना में कम प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी ने इस बार किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया जबकि, सिख और पंजाबी पर पूरा भरोसा जताया है. इतना ही नहीं दलित आरक्षित सीटों से ज्यादा दलित कैंडिडेट बीजेपी ने उतारे हैं, जिसे एक बड़ी स्ट्रेटेजी मानी जा रही है.
बीजेपी के उम्मीदवारों की फेहरिश्त देखें तो बीजेपी ने सबसे ज्यादा जाट, ब्राह्मण और वैश्य समाज के प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी ने चुनाव में 11 जाट, 10 वैश्य, 9 ब्राह्मण, 5 पंजाबी, 6 पूर्वांचली, 5 गुर्जर, 5 पंजाबी, 3 सिख, दो यादव, दो राजपूत और 14 दलित उम्मीदवार दिए हैं. इस तरह से बीजेपी ने दिल्ली में सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए जाट-ब्राह्मण-वैश्य समीकरण बनाने की कवायद की है. तो साथ ही पंजाबी और गुर्जरों के साथ दलित समाज पर भी फोकस किया है.
कांग्रेस ने जातीय समीकरण पर बिछाई बिसात
कांग्रेस दिल्ली में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को वापस पाने के लिए सीट मूड और समीकरण के लिहाज से प्रत्याशी उतारे हैं. कांग्रेस ने अपने कोर वोटबैंक रहे दलित और मुस्लिम को साधने के साथ-साथ जाट और ब्राह्मण समाज के लोगों को खास तवज्जे दी है. कांग्रेस ने पंजाबी के साथ जाट और गुर्जर समाज से बड़ी संख्या में उम्मीदवार उतारे हैं, जिसके चलते बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों के लिए सियासी टेंशन खड़ी कर दी है.
कांग्रेस ने दिल्ली में अपने उम्मीदवारों के जरिए ब्राह्मण, जाट, गुर्जर, मुस्लिम और पंजाबी समीकरण बनाने की कवायद की है. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 11 जाट समाज से प्रत्याशी उतारे हैं तो 8 ब्राह्मण और सात मुस्लिम समाज को भी टिकट दिया है. इसके अलावा 7 गुर्जर, 7 पंजाबी, 4 सिख, 5 वैश्य, तीन पूर्वांचली, तीन यादव, एक ठाकुर और एक त्यागी को टिकट दिया है. कांग्रेस ने दलित समाज के रिजर्व से ज्यादा सीटों पर टिकट दिया है. 13 दलित कैंडिडेट उतारे हैं.
दिल्ली का धार्मिक और जातीय समीकरण
दिल्ली की सियासत में जातीय समीकरण और धार्मिक समीकरण की अपनी सियासी अहमियत है. धार्मिक आधार पर देखें तो कुल 81 फीसदी हिंदू समुदाय के वोटर हैं. इसके अलावा 12 फीसदी मुस्लिम, 4 फीसदी सिख और एक-एक फीसदी ईसाई व जैन समुदाय के मतदाता हैं. इसके अलावा बौद्ध धर्म के भी वोट हैं.
दिल्ली के चुनावी रण में बिछी जातीय बिसात, समझें किस जाति पर किस दल ने खेला सबसे बड़ा दांव
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