धर्म-कर्म-ज्योतिष – ये है एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, जहां के पत्थरों से आती है डमरू की आवाज #INA
Asia ka sabse uncha shiv mandir: भारत, अपने मंदिरों की समृद्ध परंपरा और चमत्कारी स्थानों के लिए प्रसिद्ध है. यहां कई मंदिर ऐसे हैं जिनके रहस्यों को आज तक कोई भी पूरी तरह से समझ नहीं पाया है. ऐसा ही एक अनोखा शिव मंदिर है जो हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है और इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है. यह जटोली शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और इसके रहस्य व चमत्कार लोगों को दूर-दूर से यहां खींच लाते हैं.
जटोली शिव मंदिर का स्थान
जटोली शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन से लगभग 8 किलोमीटर दूर राजगढ़ रोड पर स्थित है. यह मंदिर देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश के धार्मिक स्थानों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण दक्षिण-द्रविड़ शैली में किया गया है और इसकी ऊंचाई लगभग 111 फुट है. इस मंदिर को बनाने में पूरे 39 साल का समय लगा था और इसके शीर्ष पर 11 फुट ऊंचा सोने का कलश इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है.
स्फटिक मणि शिवलिंग
इस मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं. यहां का प्रमुख आकर्षण स्फटिक मणि शिवलिंग है. श्रद्धालुओं को इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. मंदिर का भवन निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना है और इसकी भव्यता देखते ही बनती है.
पौराणिक कथा और तपस्या का स्थान
मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने इस स्थान पर एक रात बिताई थी और कुछ समय के लिए यहां रहे थे. उनके बाद, स्वामी कृष्ण परमहंस ने यहां तपस्या की थी. स्वामी कृष्णानंद के मार्गदर्शन में ही इस मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. उन्होंने 1983 में इसी मंदिर परिसर में समाधि ली थी. मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की गुफा भी है, जो उनके तपस्या का साक्षी है.
पत्थरों से निकलती डमरू की आवाज
जटोली शिव मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां के पत्थरों को थपथपाने पर भगवान शिव के डमरू की आवाज आती है. इस रहस्यमयी ध्वनि को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और इसे भगवान शिव का आशीर्वाद मानते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
पानी की चमत्कारी धारा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब स्वामी कृष्णानंद परमहंस जी यहां तपस्या कर रहे थे, तब इस स्थान पर पानी की बहुत समस्या थी. भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर अपने त्रिशूल से जमीन में प्रहार किया और वहां से पानी की धारा निकली. तब से लेकर आज तक जटोली में पानी की कोई कमी नहीं हुई है. यहां के लोग इस पानी को चमत्कारी मानते हैं और इसे किसी भी बीमारी को ठीक करने वाला समझते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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