धर्म-कर्म-ज्योतिष – Pitru Paksha Seventh Shradh: आज है पितृ पक्ष का सातवां श्राद्ध, जानें तर्पण का समय और सही पूजा विधि #INA

Pitru Paksha Seventh Shradh: पितृ पक्ष हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आता है. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष एक ऐसा समय होता है जब व्यक्ति अपने पितरों का तर्पण कर उनसे शांति और समृद्धि की कामना करता है. इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है. यह 16 दिनों का एक ऐसा समय होता है जब हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों यानी पितरों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उन्हें पिंडदान करते हैं. इस दौरान लोग अपने पितरों के आशीर्वाद के लिए कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं. सातवां श्राद्ध पितृ पक्ष के सातवें दिन किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार जिन पितरों का निधन इस तिथि को हुआ है उनका श्राद्ध अनुष्ठान इसी दिन करना चाहिए. ऐसा करने से उन्हें शांति मिलती है और वे अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं. 

श्राद्ध अनुष्ठान समय

पितृ पक्ष का सातवां दिन सितम्बर 23, 2024 को 01:50 पी एम बजे से प्रारंभ हो चुका है. ये आज सितम्बर 24, 2024 को 12:38 पी एम बजे तक रहेगा. ये तो आप जानते ही हैं कि क्षाद्ध कर्म  कुतुप मूहूर्त, रौहिण मूहूर्त, अपराह्न काल में करना फलदायी होता है. आज ये मुहूर्त कब हैं आइए जानते हैं. 

  • कुतुप मूहूर्त – 11:49 ए एम से 12:37 पी एम
    अवधि – 00 घण्टे 48 मिनट्स
  • रौहिण मूहूर्त – 12:37 पी एम से 01:26 पी एम
    अवधि – 00 घण्टे 48 मिनट्स
  • अपराह्न काल – 01:26 पी एम से 03:51 पी एम
    अवधि – 02 घण्टे 25 मिनट्स

पितृ पक्ष में क्या किया जाता है

पितृ पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण कर्मकांड पिंडदान है. इसमें पितरों के लिए तिल के पिंड बनाकर उन्हें जल चढ़ाया जाता है. इसके बाद तर्पण में जल से भरे पात्र में कुश घास लगाकर पितरों को जल चढ़ाया जाता है. श्राद्ध एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है. पितृ पक्ष में दान करना भी शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस दिन पितरों के नाम के हवन और यज्ञ करने से भी पितृ दोष दूर होता है. 

पितृ पक्ष में गलती से  भी न करें ये काम 

पितृ पक्ष में शोक मनाया जाता है इसलिए इस दौरान शादी-ब्याह जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. मांसाहार और मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए. पितृ पक्ष में बाल नहीं कटवाने चाहिए और नए वस्त्र भी नहीं खरीदने चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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