दुनियां – क्या अमेरिका की नाकामी की निशानी है लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ पेजर अटैक? – #INA

लंबे समय से चल रहे हिजबुल्लाह इजराइल तनाव ने मंगलवार को पेजर विस्फोट के बाद नया रूप ले लिया. इजराइल ने एक नए तरीका का इस्तेमाल करते हुए हिजबुल्लाह के करीब 3 हजार लड़ाकों को घायल कर दिया और करीब 11 की मौत हो गई है. अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बयान देते हुए कहा कि इस हमले के बारे में न उन्हें कोई जानकारी थी और न ही अमेरिका इसमें शामिल था.
ये हमला ऐसे समय में हुआ जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन सीजफायर और बंदी रिहाई डील को लेकर फिर से मिडिल ईस्ट दौरे पर मिस्र आए हैं. दूसरी तरफ, हमले से एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के एडवाइजर अमोस होचस्टीन ने इजराइल दौरा किया था और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को लेबनान में बड़े पैमाने पर तनाव बढ़ने के परिणामों के बारे में चेतावनी दी थी.
इजराइल के इस हमले के बाद तनाव और बढ़ गया है. हिजबुल्लाह ने अपने बयान में कहा है कि इजराइल को इस हमले की कीमत चुकानी होगी. अमेरिका का कहना है कि इजराइल ने इस हमले के बारे में कोई जानकारी उनसे साझा नहीं की थी. ऐसे संवेदनशील समय में ये हमला अमेरिका की कमजोर डिप्लोमेसी का नतीजा माना जा रहा है. क्योंकि ये हमास-इजराइल समझौते के रास्ते में रुकावट पैदा कर सकता है.
एक तरफ शांति की अपील, दूसरी तरफ हमला
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने हमले के बाद शांति की अपील की है. इससे पहले भी अमेरिका दोनों पक्षों से शांति बनाने और युद्ध से बचने की अपील करता रहा है. इसके बाद भी उसके सहयोगी इजराइल ने उसके निर्देशों का पालन नहीं किया. युद्ध विराम की कोशिश के बीच एक बार फिर क्षेत्र में बड़ी जंग का डर बढ़ गया है.
एक्शियस न्यूज के मुताबिक एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि लेबनान में पेजर विस्फोट होने से कई मिनट पहले, इजराइली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन को फोन किया और बताया कि इजराइल जल्द ही लेबनान में एक ऑपरेशन करने जा रहा है, लेकिन उन्होंने इसके बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया. इजराइल ने ऐसा इसलिए भी किया क्योंकि वे अपने सहयोगी को पूरी तरह से इस हमले से दूर नहीं रखना चाहता था.
पहले भी शांति वार्ता के दौरान इजराइल ने किया था हमला
तेहरान में हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया और बेरूत में फवाद शुक्र की हत्या भी ऐसे समय में हुई थी जब कतर में हमास-इजराइल के साथ शांति वार्ता चल रही थी. इस हत्या ने शांति वार्ता की कोशिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. इस्माइल हानिया और फवाद शुक्र की हत्या के बाद से गाजा से ये जंग देश के दूसरे क्षेत्रों में भी फेल गया.
इजराइल ने एक बार फिर ऐसा ही किया है और मध्यस्थ अमेरिका की अपीलों को ताक पर रखते हुए लेबनान में हमला किया है. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भी युद्ध का मुद्दा गरमाया हुआ है. रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन जंग और इजराइल व हमास के युद्ध के लिए बाइडेन सरकार की नाकामी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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