दुनियां – जिस ‘अलादीन के चिराग’ से इजराइल को मिल रही जीत, उसी पर फिलिस्तीन के राष्ट्रपति ने की चोट – #INA
अमेरिका और इजराइल की दोस्ती पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है. इजराइल को जब-जब मुसीबतों का सामना करना पड़ा है, अमेरिका चट्टान की तरह उसका साथ देता आया है. गाजा में जारी जंग पर गौर करें तो इजराइल, अमेरिका की ही बदौलत करीब एक साल से युद्ध कर रहा है. ईरान समेत कई मुस्लिम देशों ने कई बार इस गठजोड़ की आलोचना भी की है, लेकिन यह पहली बार है जब खुद फिलिस्तीन के राष्ट्रपति ने दुनिया के सबसे बड़े मंच से अमेरिका को आईना दिखाया है.
फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने युद्ध में इजराइल की मदद करने के लिए अमेरिका को जमकर घेरा है. अब्बास ने UNGA को संबोधित करते हुए गाजा में जारी जंग और तबाही के लिए उन देशों को भी जिम्मेदार ठहराया है जो इजराइल को हथियार सप्लाई कर रहे हैं. दरअसल पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से इजराइल गाजा में बम बरसा रहा है, गाजा के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इन हमलों में 41 हजार से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं.
जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र में पहला संबोधन
गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने गाज़ा की तबाही और हजारों मासूमों की मौत के लिए समूचे विश्व को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने गाजा में इजराइली हमलों के लिए अमेरिका के समर्थन की निंदा करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजराइल को हथियार सप्लाई रोकने की अपील की है. अब्बास ने कहा कि हम यह पागलपन जारी नहीं रहने दे सकते, गाजा में हमारे लोगों के साथ जो हो रहा है उसके लिए समूचा विश्व जिम्मेदार है. करीब एक साल से जारी जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र में यह उनका पहला संबोधन था.
‘अमेरिका की मदद से गाजा में अत्याचार’
महमूद अब्बास ने अमेरिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि गाजा में हज़ारों मासूमों की मौतों के बावजूद वॉशिंगटन, इजराइल को कूटनीतिक संरक्षण और हथियार मुहैया करा रहा है. उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने गाजा सीजफायर प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पावर का इस्तेमाल कर इजराइल को गाजा में अत्याचार करने की अनुमति दी है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने कहा कि हमें दुख है कि अमेरिका, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, उसने UNSC में गाजा सीजफायर की मांग वाले प्रस्ताव को 3 बार रोका है. उन्होंने कहा कि अमेरिका अकेला एक तरफ खड़ा होकर कहता रहा कि, ‘नहीं यह युद्ध जारी रहेगा.’
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इजराइल को कितनी मदद देता है अमेरिका?
वॉशिंगटन इजराइल का सबसे बड़ा सहयोगी है और वह बड़े पैमाने पर इजराइल की आर्थिक और सैन्य मदद करता रहा है. काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन के डाटा के मुताबिक 1948 से अब तक उसने इजराइल को 300 बिलियन डॉलर से अधिक की मदद की है, इसमें से एक बड़ा हिस्सा महज अक्टूबर 2023 से अब तक दिया गया है. वहीं गुरुवार को ही इजराइल ने कहा है कि उसे अमेरिका की ओर से 8.7 बिलियन डॉलर (727 अरब रुपये) का सहायता पैकेज मिला है. इसमें से करीब 3.5 बिलियन डॉलर (292 अरब रुपये) युद्ध के समय जरूरी हथियार खरीदने के लिए हैं जो कि पहले ही उसे मिल चुके हैं. वहीं बाकी के 5.2 बिलियन डॉलर की रकम एयर डिफेंस सिस्टम जैसे आयरन डोम, डेविड स्लिंग और एडवांस लेजर सिस्टम के लिए है.
अमेरिका से इजराइल को मिलने वाली आर्थिक सहायता.
अमेरिका वित्तीय वर्ष 2023-24 में इजराइल को 12.5 बिलियन डॉलर (करीब 1045 अरब रुपये) से अधिक की सैन्य सहायता दे चुका है. अमेरिका 2005 तक इजराइल को सैन्य सहायता के अलावा अलग से आर्थिक पैकेज भी देता रहा है. लेकिन धीरे-धीरे इसे कम करके मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए बजट बढ़ाया जाने लगा जो कि साल 2022 में 1.6 बिलियन डॉलर (करीब 133 अरब रुपये) था, साल 2023 में इसे कम किया गया और 509.4 मिलियन डॉलर की मदद एयर डिफेंस सिस्टम के लिए दी गई, वहीं गाजा युद्ध शुरू होने के बाद इसमें काफी वृद्धि देखी गई और साल 2024 में यह बढ़कर 5.7 बिलियन डॉलर (करीब 476 अरब रुपये) तक पहुंच गया है.
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गाजा के लिए 12 प्वाइंट का प्रस्ताव
महमूद अब्बास ने जंग खत्म होने के बाद गाजा के लिए 12 प्वाइंट का प्रस्ताव भी रखा है. उन्होंने गाजा पट्टी पर बिना किसी बफर जोन के निर्माण के पूरी तरह से इजराइली सेना की वापसी की मांग की है. प्रस्ताव के मुताबिक गाजा के किसी भी हिस्से पर इजराइल का कब्जा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जंग के बाद उनकी सरकार गाजा का प्रशासन स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के हिस्से के तौर पर चलाएगी. अब्बास ने कहा कि हम कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे हैं लेकिन हम इससे कम भी स्वीकार नहीं करेंगे.
पुरखों की जमीन, ‘2 स्टेट’ समाधान पर जोर
फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने इजराइल के साथ विवाद को सुलझाने के लिए ‘टू स्टेट’ समाधान की बार-बार अपील की. उन्होंने जंग खत्म होने के एक साल के अंदर UN की देखरेख में इंटरनेशनल पीस कॉन्फ्रेंस कराने भी मांग की. 26 मिनट की स्पीच में उन्होंने अमेरिका और इजराइल पर सीधा हमला बोला ही साथ ही फिलिस्तीन को अपने पुरखों की सरजमीं बताया. अब्बास ने कहा कि यह हमारे पुरखों की जमीन है और हम यहां से कहीं नहीं जाएंगे, अगर किसी को यह जगह छोड़नी होगी तो वह कब्जा करने वाले होंगे.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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