दुनियां – भारत के लिए इजराइल और ईरान में से कौन है सबसे खास और सबसे जरूरी? – #INA

ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. दोनों देश जंग के लिए आतुर हैं. हमास चीफ हानिया और हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ही आशंका जताई जा रही थी कि ईरान इजराइल पर पलटवार करेगा. उसने मंगलवार (1 अक्टूबर) को इजराइल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ना भारत के लिए चिंता की बात है. मिडिल ईस्ट के ये दोनों देश ऐसे हैं जिनसे भारत के अच्छे संबंध हैं, लेकिन बात जब सबसे खास और सबसे जरूरी की आती है तो कहीं ना कहीं इसमें इजराइल ईरान को मात देता है.
पिछले 5 वर्षों में भारत और इजराइल के बीच व्यापार जहां दोगुना हुआ है तो वहीं इस दौरान ईरान और भारत के बीच ट्रेड कम हुआ है. जानकार मानते हैं कि व्यापार बढ़ना दोनों देशों के बीच मजबूत होते संबंध की गवाही है. इजराइल कभी भारत के खिलाफ बयान नहीं दिया, ना ही उसने कभी उसके किसी निर्णय पर सवाल उठाया है. लेकिन ईरान के साथ समय-समय पर ऐसा देखा गया है. पिछले महीने ही ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने भारत में मुसलमानों को लेकर चिंता जताई थी.
उन्होंने भारत को मुस्लिम अधिकारों का उल्लंघन करने वाले देशों में शामिल किया. खामेनेई ने भारत पर मुस्लिम उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उसे म्यांमार और गाजा के साथ गिना था. उनके बयान पर भारत ने कहा कि उन्हें पहले अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए.
इसके अलावा वह 2020 के दिल्ली दंगे पर भी बयान दे चुके हैं. उन्होंने दंगों को मुसलमानों का नरसंहार बताया था. खामेनेई जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने पर अपनी प्रतिक्रिया दिए थे. उन्होंने कहा था कि हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. हमारे भारत के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के लोगों के प्रति उचित नीति अपनाएगी और इस क्षेत्र में मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकेगी.
इजराइल और भारत की दोस्ती…
भारत ने 1992 में इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए. तब से दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आई है. इस दौरान व्यापार काफी बढ़ है. 1992 में जो लगभग 200 मिलियन डॉलर था वो वित्तीय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 10.7 बिलियन डॉलर हो गया है. पिछले चार वर्षों में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है. ये दोगुना हो गया. ये 2018-19 में 5.56 बिलियन डॉलर से 2022-23 में 10.7 बिलियन डॉलर हो गया. 2021-22 और 2022-23 के बीच व्यापार में 36.90 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
2022-23 में इजराइल को भारत का निर्यात 8.45 बिलियन डॉलर का था, जबकि इजराइल से नई दिल्ली का आयात 2.3 बिलियन डॉलर था. वित्त वर्ष 2023-24 में पहले 10 महीनों (अप्रैल-जनवरी) के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 5.75 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत के 1,167 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार का 0.92 प्रतिशत हिस्सा बनाते हुए, इजराइल उस वर्ष भारत का 32वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था. विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत एशिया में इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और विश्व स्तर पर सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. इस समय इजराइल में करीब 18 हजार भारतीय हैं.
इजराइल जाने वाले पहले भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद 2017 में इजराइल के दौरे पर गए थे. इजराइल का दौरा करने वाले वह पहले भारतीय पीएम थे. वर्षों से इजराइल और भारत आतंकवाद विरोधी और रक्षा मुद्दों पर मिलकर काम कर रहे हैं और भारत यहूदी राज्य से हथियारों खरीदता रहा है. इजराइल और भारत की मजबूत दोस्ती का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब पीएम मोदी इजराइल गए थे तब बेंजामिन नेतन्याहू ने उनका हाई लेवल रेड कार्पेट स्वागत किया था. पीएम मोदी दौरे पर जहां-जहां गए थे नेतन्याहू उनके साथ थे. ऐसा ट्रीटमेंट वो अमेरिकी राष्ट्रपति जैसे उच्च स्तरीय गेस्ट को देता है.
पीएम मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू
ईरान और भारत की दोस्ती…
जैसे इजराइल जरूरी है वैसे ही ईरान भी भारत के लिए जरूरी है. हालांकि इजराइल की तुलना में ईरान के साथ उसका ट्रेड कम हुआ है. वित्त वर्ष 2022-23 में ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था. उसके साथ द्विपक्षीय व्यापार 2.33 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़ोतरी से पहले ईरान के साथ भारत के व्यापार में कॉन्ट्रैक्शन देखा गया. इसमें 2021-22 में 21.77 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. यह 1.94 अरब डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 2.33 अरब डॉलर हो गया था. नागरिकरों की बात करें तो ईरान में पांच से 10 हजार भारतीय रह रहे हैं. भारत को तेल देने वाले शीर्ष देश जैसे सऊदी अरब और ईरान पश्चिमी एशिया में हैं.
जंग का असर कच्चे तेल और हथियार पर
ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव का असर असर कच्चे तेल पर पड़ेगा. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और कुल खपत का 7 फीसद सऊदी अरब कुवैत इराक से लेता है. ऐसे में भारत के लिए यह जंग बड़ी चुनौती बन सकती है. कच्चे तेल के अलावा भारत और इजराइल के बीच हथियार समेत अरबों डॉलर का व्यापार होता है, जो इस जंग से प्रभावित हो सकता है. जानकारों का कहना है कि ईरान और इजराइल का संघर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है.
वहीं, भारत के लिए लंबे समय तक तटस्थता वाली नीति पर बने रहना भी मुश्किल हो सकता है. अगर भारत इजराइल के साथ अपने संबंध बनाए रखने की कोशिश करता है तो ईरान के साथ उसके रिश्ते बहुत खराब हो सकते हैं और अगर उसने ईरान से करीबी दिखाई तो उसे इजराइल के साथ ही अमेरिका की भी नाराजगी झेलनी पड़ सकती है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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