दुनियां – 12 दिन बाद भी इजराइल ने अब तक ईरान पर क्यों नहीं किया है हमला – #INA
इजराइल ने ईरान पर हमले की कसम खाई है और वॉर रूम में एक के बाद एक हमले के तरीके पर चर्चा हो रही है. इजराइल की मंशा है कि हमला बेहद घातक हो और पूरी दुनिया को संदेश देने वाला हो. इसमें इजराइल के सामने सबसे बड़ी चुनौती एक ईरानी ‘अदृश्य दीवार’ है, जोकि इसकी सुदृढ़ हवाई रक्षा प्रणाली है.
ईरान ने अपनी महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु स्थलों की सुरक्षा के लिए एक सुदृढ़ हवाई रक्षा प्रणाली तैयार की है. इसमें रूस निर्मित S-300, SA-22 और स्वदेशी ‘खोरदाद’ और ‘बावर 373’ जैसी आधुनिक प्रणालियां शामिल हैं. इन हवाई रक्षा प्रणालियों की मदद से ईरान का हवाई क्षेत्र बेहद सुरक्षित माना जाता है, जो इजराइल के लिए हवाई हमले को चुनौतीपूर्ण बनाता है.
ईरान का हवाई सुरक्षा तंत्र
ईरान की एयर डिफेंस प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण प्रणाली रूस से प्राप्त S-300 है. यह प्रणाली 100 मील की दूरी से लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने में सक्षम है. S-300 प्रणाली एक साथ कई टारगेट्स पर दर्जनों मिसाइलें दाग सकती है, जो ध्वनि की गति से भी पांच गुना तेज हैं, इसकी इस क्षमता के चलते इजराइली फाइटर जेट्स के लिए इसे चकमा देना मुश्किल साबित हो सकता है. हालांकि, अगर इजराइल को इन प्रणालियों की सटीक लोकेशन का पता हो, तो उसके फाइटर जेट इनकी सीमा से बाहर रहते हुए हमले कर सकते हैं.
इसके अलावा SA-22 प्रणाली की उच्च गतिशीलता इसे और भी खतरनाक बनाती है. यह प्रणाली ट्रकों पर लगाई जाती है, जिससे इसे कहीं भी तैनात करना आसान हो जाता है. यह 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे विमानों को मार गिराने की क्षमता रखती है. इसके अलावा, ईरान के पास ‘खोरदाद’ और ‘बावर 373’ जैसी उन्नत प्रणाली भी मौजूद है, जो पुराने सोवियत SA-6 सिस्टम पर आधारित हैं. ये सभी प्रणालियां मिलकर ईरान के हवाई क्षेत्र को और सुरक्षित बनाती हैं.
इजराइल की चुनौतियां और क्षमता
इजराइल के पास F-35 जैसे अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट्स हैं, जो ईरान की रडार प्रणाली से बचने में सक्षम हो सकते हैं. हालांकि, जैसे ही ये विमान बड़े बमों के साथ उड़ान भरते हैं, इनकी संरचना बदल जाती है और ये रडार पर आ सकते हैं. इससे इजराइल के पायलटों के लिए भी चुनौती बढ़ जाती है, इसके बावजूद, इजराइल ने हाल के सालों में ईरान की हवाई रक्षा में सेंध लगाने की क्षमता दिखाई है. अप्रैल 2024 में, इजराइल ने इस्फ़हान में एक S-300 रडार प्रणाली को तबाह कर दिया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि ईरान का हवाई क्षेत्र उतना अभेद्य नहीं है जितना माना जाता है.
ईरान की कमजोरियां
ईरान की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि उसके पास आधुनिक लड़ाकू विमानों की भारी कमी है। ईरान के अधिकांश लड़ाकू विमान 40 साल पुराने हैं और इजरायल के अत्याधुनिक विमानों के सामने टिकने की क्षमता नहीं रखते। यह कमजोरी इजरायल के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, जिससे वह ईरान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ कर सकता है।
भविष्य की दिशा
हालांकि ईरान ने रूस से S-400 प्रणाली प्राप्त करने के प्रयास तेज कर दिए हैं. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इजराइल की योजना ईरान की सुरक्षा में सेंध लगाने में सफल होती है या नहीं. इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने स्पष्ट किया है कि ईरान पर एक सटीक और घातक हमला किया जाएगा. इस बयान के बाद से यह संभावना है कि आने वाले समय में इजरायल और ईरान के बीच तनाव और भी बढ़ सकता है.
ईरानी एयर डिफेंस प्रणाली मजबूत जरूर है, लेकिन इजराइल की तकनीकी बढ़त इसे चुनौती देने की पूरी क्षमता रखती है. इजराइल अचूक और घातक हमले की रणनीति पर अंतिम मुहर लगा चुका है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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