दुनियां – बदली रणनीति, ज्यादा तबाही…2006 से कितनी अलग इजराइल-हिजबुल्लाह की जंग? – #INA
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध जारी है. ये दिन बा दिन खतरनाक होता जा रहा है. 2006 के बाद ये पहला मौका है जब इजराइल और हिजबुल्लाह आमने सामने आए हैं. 2006 के युद्ध के बाद इजराइल और हिजबुल्लाह ने अपने दृष्टिकोण में बदलाव किए हैं. अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की हाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइल अब अपने अंतरराष्ट्रीय सम्मान को कमतर समझता है, खासतौर पर तब जब वह गाजा पर कहर बरसाने के बाद लेबनान में भी इसी तरह की हताहतों की ओर बढ़ रहा है.
हाल में इजराइल सेना ने दक्षिण लेबनान में एक सीमित कार्रवाई शुरू की है, जो 2006 के संघर्ष की याद दिला रही है. लेकिन इजराइल इस बार और ज्यादा आक्रामक नजर आ रहा है और वह अंतरराष्ट्रीय निंदा और युद्ध विराम की अपीलों के बावजूद आगे बढ़ता नजर आ रहा है.
इजराइली सेना. (फाइल फोटो)
वहीं हिजबुल्लाह ने भी 2006 के मुकाबले अपनी सैन्य ताकत को बहुत मजबूत किया है और अपने नेताओं की हत्या के बाद भी वह अपनी कार्रवाइयों को जारी रखने में सक्षम है.
हताहतों की बढ़ती संख्या और इजराइल का रुख
इजराइल लेबनान में अपने ऑपरेशनों में हिजबुल्लाह के लक्ष्यों को निशाना बना रहा है, लेकिन उसके हमलों में कई रेसिडेंशियल टावरों को भी निशाना बनाया गया है. इन हमलों में करीब 37 हिजबुल्लाह लड़ाकों की मौत हुई है, जबकि 2 हजार से ज्यादा नागरिकों की जान जा चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. ये आंकड़ा 2006 की जंग की हताहतों से दो गुना है और जबकि इसे जंग की शुरुआत कहा जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इन कार्रवाई को युद्ध अपराध माना है, लेकिन इजराइल का रुख लेबनान में भी गाजा जैसा ही है.
इजराइली हमलों के बीच घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग. (Houssam Shbaro/Anadolu via Getty Images)
जानकार मानते हैं कि इजराइल इस जंग के सहारे 2006 की हार का दाग धुलना चाहता है और उसने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए मानवीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की अपीलों पर ध्यान देना छोड़ दिया है.
हिजबुल्लाह की रणनीति में सुधार
इस जंग में हिजबुल्लाह रणनीति में भी कई बदलाव देखने मिल रहे हैं. 2006 के अनुभवों से सीख कर हिजबुल्लाह ने अपने अंदर कई सुधार किए हैं और वे इजराइल की खुफिया एजेंसियों की ओर से उसके नेताओं के निशाना बनाए जाने के बाद भी हमले करने में सक्षम है. हिजबुल्लाह ने समूह की अंदरूनी स्ट्रक्चर को ऐसा बना लिया है कि किसी भी कमांडर की हत्या के बाद भी उसके सैन्य अभियान प्रभावित नहीं हो रहे हैं.
हिजबुल्लाह 2006 के बाद इजराइल की तकनीकी ताकत को समझ गया है. जिसका मुकाबला सिर्फ लड़ाकों के बल पर नहीं किया जा सकता है. हिजबुल्लाह ने अपने पास एक लाख से दो लाख रॉकेट और मिसाइलें जमा की हैं, जो 2006 में सिर्फ 15 हजार थी. यह नया जंगी सामान इजराइल की सुरक्षा के लिए चिंता का मुद्दा बना हुआ है. इसके अलावा हिजबुल्लाह ने इजराइल के हवाई हमलों से बचने और गुरिल्ला वार को मजबूत करने के लिए अपने टनल और गुप्त नेटवर्क को भी एडवांस किया है. जो हिजबुल्लाह को इजराइली हमलों का मुकाबला करने में मदद कर रहे हैं.
इजराइल की नई रणनीति और चुनौतियां
इजराइल के अधिकारी भी 2006 में हुई गलतियों से बहुत कुछ सीख चुके हैं. इजराइल अब ज्यादा विनाशकारी हमलों के तरीकों को अपना रहा है. जिससे वे हिजबुल्लाह की कमर तोड़ सके. हालांकि, जानकारों का मानना है कि एक नए जमीनी जंग में इजराइल को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री एहुड ओल्मर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर इजराइल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ नए आक्रमण का फैसला किया, तो यह बहुत कठिन और खूनी हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय युद्ध की संभावना बढ़ जाएगी.
2006 की जंग के मुकाबले ये जंग सिर्फ हिजबुल्लाह और इजराइल तक सीमित नहीं है. अगर दोनों पक्षों ने अपने रुख में नरमी नहीं लाई तो ये जंग पूरे क्षेत्र में फैल सकती है. जहां इजराइल अपार बल को प्राथमिकता दे रहा है. वहीं हिजबुल्लाह के लिए जीवित रहना और मजबूती से खड़ा होना महत्वपूर्ण है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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