दुनियां – डोनाल्ड ट्रंप जीते या कमला हैरिस…जानिए क्यों 5 नवंबर को ये पता चल पाना मुश्किल है? – #INA
दुनिया में चुनाव पूरे साल कहीं न कहीं चलता ही रहता है. लोग उनपर ध्यान भी नहीं देते. मगर 4 बरस के अंतराल पर होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर समूची दुनिया आंख टिकाए रहती है. इस दफा 5 नवंबर वह तारीख है जब अमरीकी अवाम डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर में पलड़ा किस तरफ झुका है, इसका फैसला करेगी.
कई लोगों को लगता है कि नतीजे उसी दिन आ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होने जा रहा है, इसका अंतिम फैसला होने में वोट पड़ जाने के बाद भी कुछ दिन लग सकते हैं. चूंकि, अमेरिकी चुनाव बैलेट पेपर से होते हैं, हो सकता है कि एक उम्मीदवार शुरुआत में बढ़त हासिल करता दिखे लेकिन वोटों की गिनती आगे बढ़ने के साथ चीजें उलट भी सकती हैं.
आप कहेंगे, ये कौन सी नई बात है. काउंटिंग में तो ऐसा उलटफेर होता ही रहता है. लेकिन नहीं. अमेरिका का हाल थोड़ा अनोखा है. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव की बात है, कुछ राज्य जो चुनाव वाले दिन की रात को गिनती में सीधे तौर पर ट्रंप को बढ़त दे रहे थे, वह अगले कुछ घंटों में जो बाइडेन के पलड़े में झुक गए. ट्रंप ने बाद में इसे चुनावी धांधली तक कहा लेकिन आरोप सही नहीं साबित हुआ.
नतीजे आने में क्यों होती है देरी?
वैसे तो कई चुनौतियां हैं जिस कारण नतीजे आने में देरी होगी. मगर उन में कुछ का जिक्र जरुरी है. पहला – डेमोक्रेट (कमला हैरिस की पार्टी) समर्थक ज्यादातर घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में रहते हैं. जहां वोटों की गिनती में समय लगता है. दूसरा – अमेरिका में वोटिंग के दिन से पहले मेल के जरिये डाले गए वोट की गिनती में समय लगता है. ट्रंप इस तरह वोटिंग किए जाने के हिमायती नहीं हैं.
तीसरा – फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के एक इलेक्शन लैब के अनुमानों के मुताबिक 5 नवंबर से पहले डाले गए वोट में डेमोक्रेट पार्टी को बढ़त हासिल है. हालांकि, समय के साथ रिपब्लिकन पार्टी ने इस अंतर को पाटा है. चौथा – अमेरिका में वैसे तो 50 राज्य हैं. लेकिन 7 ऐसे हैं जहां के नतीजे ये तय करते हैं कि चुनाव में कौन जीतने जा रहा है. चूंकि इन राज्यों में वोटों की गिनती के तरीके अलग-अलग हैं, समय लगता है.
कौन हैं ये राज्य. क्या है इनका लेखा-जोखा. एक नजर.
पहला – एरीजोना – अमेरिकी राज्य एरीजोना में मेल वोटिंग यानी चुनाव से पहले ही की जाने वाली वोटिंग काफी मशहूर है. 2020 के चुनाव में 90 फीसदी लोगों ने चुनाव वाले दिन से पहले ही वोट डाल दिए थे. इनमें भी ज्यादातर ने मेल का सहारा लिया था. कई बार वोटिंग वाले दिन भी बड़ी संख्या में मेल वोट पड़ते हैं. इस कारण गिनती में समय लग सकता है.
दूसरा – जॉर्जिया – जॉर्जिया का नियम थोड़ा और किस्म का है. एक चीज जो यहां के चुनावी नतीजों को देर कर सकती है, वह है बाहर रहने वाले अमेरिकी और मिलिट्री वोटर्स की तादाद. ये सभी डाक के जरिये अपने वोट भेजते हैं. 21 हजार के करीब आवेदन इस तरह से वोट करने के लिए आए हैं. जो 5 नवंबर के बाद भी तीन दिन तक कुबूल किए जा सकते हैं. बेहद नजदीकी चुनाव में ये वोट निर्णायक हो सकते हैं.
तीसरा – मिशिगन – 2020 में मिशिगन में मेल बैलेट की गिनती में काफी देरी हुई थी, इस कारण चुनाव के शुरुआती नजीते जो ट्रंप को बढ़त दिखा रहे थे, वह बाद में जो बाइडेन के पक्ष में जाते दिखे. इस दफा मिशिगन ने कुछ बदलवा किए हैं जिससेे उम्मीद की जा रही है कि पिछले बार की तुलना में इस बार नतीजे जल्दी आएंगे लेकिन फिर भी 5 नवंबर को उम्मीद करना सही नहीं होगा.
चौथा – नेवाडा – 2020 में नेवाडा राज्य में वोटों की धीमी गिनती की वजह से अमेरिकी चुनाव का बड़ा मजाक बना था. 5 दिन के बाद यहां के नतीजे घोषित हुए थे जो बाइडेन के पक्ष में रहे थे. हालांकि, इस दफा यहां के अधिकारी भी कह रहे हैं कि कुछ बदलाव उन्होंने किए हैं. लेकिन चूंकि यहां समय के साथ मेल वोटिंग करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, नतीजे आने में देरी हो सकती है.
पांचवा – नॉर्थ केरोलिना – नॉर्थ केरोलिना में तो बाहरी और मिलिट्री में सेवा दे रहे अमेरिकियों के लिए और भी सहूलियत है. यहां पिछले राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के 10 दिन बाद फैसला हुआ था. ट्रंप तब यहां जीते थे. क्योंकि यहां मिलिट्री वोटर्स की ओर से भेजे गए 5 नवंबर के नाम के डाक को 10 दिन तक देखे औऱ गिने जाने का रिवाज है. इस तरह यहां भी चुनावी नतीजों में देरी की गुंजाइश से इनकार नहीं की जा सकती.
छठा – पेंसिलवेनिया – पेंसिलवेनिया सबसे अहम चुनावी राज्यों में से हर बार एक रहता है. पिछली बार भी यहां नतीजे घोषित होने में चार दिन का समय लगा था. क्योंकि मेल बैलेट से हुए वोटों की गिनती में वक्त लगा. इस दफा भी मेल बैलेट की गिनती यहां पिछली बार ही की तरह होगी, ऐसे में नतीजे देरी से आए तो चौंकाने वाला नहीं होगा. हां, इस बार यह बताया जाता रहेगा कि कितने बैलेट गिनने बाकी हैं.
सातवां – विसकॉन्सिन – पेंसिलवेनिया ही की तरह अमरीकी राज्य विसकॉन्सिन भी मेल बैलेट को चुनाव की सुबह से पहले गिनने की इजाजत नहीं देता. मतलब ये कि पहले भी पड़ चुके विसकॉन्सिन के वोटो को गिनने की स्थिति 5 नवंबर के दिन ही से शुरू होगी. आखिरकार, यहां भी नतीजे आने में देरी हो सकती है. इस तरह, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का अंतिम परिणाम कुछ दिनों तक खींच सकता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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