Political – विपक्ष की जरा सी चूक और हरियाणा में बीजेपी लगा देगी सत्ता की हैट्रिक! क्या है गोवा प्लान? – Hindi News | Congress Vs BJP Goa Formula Nayab Singh Saini Bhupendra Singh Hooda aap jjp Haryana Assembly Election 2024- #INA

सीएम नायब सिंह सैनी, कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो)

हरियाणा में बीजेपी कठिन चुनौती का सामना कर रही है. लगातार दस साल सत्ता में रहने के बाद अब पार्टी की कोशिश तीसरी बार सत्ता में आने की है. बीजेपी बखूबी जानती है कि लगातार तीसरी बार सत्ता में आना कठिन होता है. खासतौर से तब जबकि विपक्षी कांग्रेस लगातार मजबूत हो रही है. इसके लिए बीजेपी की उम्मीदें सत्ता विरोधी वोटों के बिखराव पर टिकी हैं. पार्टी चाहती है कि सत्ता विरोधी वोटों का बंटवारा ठीक वैसे ही हो जैसे गोवा में हुआ था. क्योंकि गोवा में भी बीजेपी ने हैट्रिक लगाई थी, उसके विरोधी वोटों का बिखराव हो गया था.

दूसरी तरफ बीजेपी के इस खेल को कांग्रेस ने बखूबी भांप लिया है और पार्टी सतर्क हो गई है. आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और सीपीएम के साथ गठबंधन की चर्चा को वोटों के बिखराव को रोकने की कोशिशों से जोड़ कर देखा जा रहा है. कांग्रेस इस रणनीति में जुट गई है.

क्या है गोवा का सबक?

पहले जानते हैं गोवा में क्या हुआ था, जिसका बीजेपी को सीधा फायदा मिला था. गोवा में आम आदमी पार्टी और पहली बार गोवा के चुनावी मैदान में उतरकर तृणमूल कांग्रेस ने पूरा जोर लगाया था, जिसके चलते कांग्रेस को नुकसान पहुंचा था.

गोवा में 2022 में आम आदमी पार्टी और टीएमसी के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस की जीती हुई बाजी हार में तब्दील हो गई. आम आदमी पार्टी को 6.77 प्रतिशत और रिवोल्यूशनरी गोअन पार्टी को 9.21 प्रतिशत वोट मिले थे. आम आदमी पार्टी को 2 सीटों पर और रिवोल्यूशनरी गोअन पार्टी को 1 सीट पर जीत मिलीं थी. वहीं टीएमसी ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के साथ गठबंधन किया था. टीएमसी को 5.21 प्रतिशत वोट और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी 7.6 प्रतिशत वोट मिला था. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी को 1 सीट पर जीत मिल थी लेकिन टीएमसी का वोट शेयर 7.6 रहने के बाद भी कोई सीट नहीं हासिल कर सकी थी.

गोवा में क्या था कांग्रेस का हाल?

उधर, कांग्रेस गठबंधन को 23.46 प्रतिशत और गोवा फॉरवर्ड पार्टी 1.84 प्रतिशत वोट मिलें और कांग्रेस 11 सीटें और गोवा फॉरवर्ड पार्टी को 1 सीट मिलीं. कांग्रेस गठबंधन की तुलना में 3.1 प्रतिशत वोट शेयर का नुक़सान हुआ. 2017 की तुलना में 2022 में कांग्रेस गठबंधन को 7 सीटों का नुकसान हुआ था. 2017 में कांग्रेस को 16 सीटें और गोवा फॉरवर्ड पार्टी को 2 सीटें मिलीं थीं .

गोवा में क्या था बीजेपी का हाल?

गोवा चुनाव में बीजेपी को 33.31 प्रतिशत वोट और 20 सीटें मिलीं थीं. अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि अगर गोवा में कांग्रेस, आप और टीएमसी का गठबंधन हो जाता है तो परिणाम अलग होता. गोवा में किसी तरह विपक्षी वोट के बिखराव के बाद बीजेपी को 20 सीटें मिलीं. गोवा के इतिहास में बीजेपी को कभी इतनी सीटें नहीं मिलीं थीं .

विपक्षी गठबंधन पर बीजेपी की नजर

हरियाणा में बीजेपी की नजरें खासतौर से विपक्ष के दो गठबंधनों पर लगी हैं. दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी का चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी कांशीराम से तालमेल हुआ है तो वहीं ओमप्रकाश चौटाला की आईएनएलडी का गठबंधन बहुजन समाज पार्टी के साथ. हरियाणा में जाटों के बाद सबसे बड़ा वोट बैंक दलितों का है. राज्य की 17 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं जबकि इनका असर 35 सीटों पर है. जाट और दलित नेतृत्व का साथ आना हरियाणा की राजनीति की एक दिलचस्प तस्वीर पेश कर रहा है.

बीजेपी को इस लोक सभा चुनाव में दलितों के लिए आरक्षित दो सीटों मसलन अंबाला और सिरसा पर हार मिली. कुमारी शैलजा के उभार से दलित कांग्रेस को गंभीरता से लेने लगे हैं. इसी में काट के लिए चंद्रशेखर और मायावती दोनों सक्रिय हैं. समझौते के तहत जेजेपी चंद्रशेखर की पार्टी को 20 सीटें दी जाएंगी जबकि बाकी 70 पर जेएनजेपी चुनाव लडेगी.

हरियाणा में बीएसपी की भी बढ़त

इसी तरह बीएसपी लगातार हरियाणा में अपनी जड़ें मजबूत करती जा रही हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उसने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि वो कोई सीट नहीं जीत पाई थी और 82 सीटों पर जमानत गंवा बैठी थी लेकिन उसने चार प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इस बार उसने इंडियन नेशनल लोक दल के साथ गठबंधन किया है.

इस साल हुए लोक सभा चुनाव में जेएनजेपी को 0.87 प्रतिशत वोट मिले थे. चंद्रशेखर की पार्टी हरियाणा में पहली बार हाथ आजमा रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश में मिली सफलता से वह उत्साहित है. वहीं इस लोक सभा चुनाव में आईएनएल़डी को 1.74 प्रतिशत और बीएसपी को 1.28 प्रतिशत वोट मिले थे. ऐसे में इन दलों को उम्मीद है कि जाट-दलित वोट का एक हिस्सा वे अपने पाले में ला सकते हैं. उधर, बीजेपी भी चाहेगी कि ऐसा हो ताकि सत्ता विरोधी वोटों में बिखराव हो सके.

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