Political – विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के इस्तीफे पर फंसा पेच, अब रेलवे ने नोटिस जारी कर पूछा सवाल- #INA
पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को रेलवे की नौकरी से इस्तीफा दे दिया है
रेलवे ने पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया है. उत्तर रेलवे ने दोनों पहलवानों को इस्तीफा देने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया है. विनेश और बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से ठीक पहले रेलवे की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था.
रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर रेलवे ने बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट से कारण बताओं नोटिस भेजकर यह जानना चाहती है कि आखिर दोनों लोगों ने अपने पद से इस्तीफा क्यों दिया है. साथ ही इस्तीफा को मंजूर करने से पहले रेलवे का जो नियम होता है इस्तीफा स्वीकार करने का उसके बारे में भी दोनों लोगों को बताया जाएगा.
विनेश और बजरंग इस्तीफे को लेकर पेच फंसता ही जा रहा है. दोनों ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया है. ऐसे में जब तक इनका इस्तीफा मंजूर नहीं होता है तब तक ये दोनों किसी भी तरह का चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं होंगे. चुनाव मैदान में उतरने के लिए इस्तीफा स्वीकार होना जरूरी है. रेलवे की नौकरियों में इस्तीफा देने के भी कई नियम कानून है जिसका पालन करना पड़ता है.
क्या कहता है रेलवे का नियम?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे के नियम के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी नौकरी में रहते हुए इस्तीफा देता है तो उसे तीन महीने का नोटिस देना पड़ता है या फिर वह तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता है. तीन महीने के नोटिस पीरियड का समय इसलिए रखा गया है कि अगर बीच में कभी उस कर्मचारी का मन सर्विस में आने का करता है तो वह अपने इस्तीफे को वापस ले सकता है, लेकिन अगर वो तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता है तो ऐसी स्थिति में वापसी की गुंजाइश खत्म हो जाती है.
कहां फंस रहा पेच?
विनेश और बजरंग ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया है, लेकिन रेलवे अगर उसे मंजूर नहीं करता है तो फिर दोनों आगामी हरियाणा चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते. कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी सरकारी पद पर बैठा है और अगर वो चुनाव लड़ना चाहता है तो सबसे पहले उसे इस्तीफा देकर विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है. नामांकन के वक्त एनओसी को भी डॉक्यूमेंट में लगाना पड़ता है तभी रिटर्निंग ऑफिसर आवेदन को स्वीकार करेगा.
अदालत जाने के भी रास्ते खुले हैं
रेलवे की ओर से अब नोटिस जारी किया गया है तो दोनों पहलवानों को उसका जवाब भी देना पड़ेगा. इसके बाद भी यह जरूरी नहीं है कि रेलवे उनके जवाब से संतुष्ट हो जाए और इस्तीफा स्वीकार कर ले. माना जा रहा है कि अगर ऐसी स्थिति बनती है तो फिर विनेश और बजरंग के सामने अदालत का रास्ता खुला है. इस्तीफा स्वीकारने में देरी होती है तो दोनों अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं, लेकिन इन सब चीजों में भी समय लगेगा. इसलिए फिलहाल इस्तीफे को लेकर पेच फंसता हुआ नजर आ रहा है.
नामांकन के लिए चार दिन का समय और
हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं. इन सभी सीटों पर एक ही चरण में 5 अक्टूबर को वोटिंग है. चुनाव आयोग ने 5 सितंबर को अधिसूचना भी जारी कर दी है. इसके बाद से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नामांकन की प्रक्रिया 12 सितंबर तक चलेगी. 16 सितंबर तक नामांकन वापस लिया जा सकता है. ऐसी स्थिति में विनेश और बजरंग पूनिया के पास नामांकन के लिए अब केवल 4 दिन का समय बचा हुआ है.
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