Political – रणनीति या सियासी मजबूरी…घाटी की इन 28 सीटों पर बीजेपी ने क्यों नहीं उतारे उम्मीदवार?- #INA
पीएम मोदी, अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा
साल था 2002 का. केंद्र में सरकार थी अटल बिहारी वाजपेई की. इस साल हुए जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे. 29 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारने को बीजेपी ने रणनीति का हिस्सा बताया, लेकिन जब चुनाव के रिजल्ट आए तो पार्टी सिर्फ एक सीट पर सिमट गई.
अब साल है 2024. जम्मू-कश्मीर की सियासी फिजा से लेकर समीकरण तक बदल चुके हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में 28 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. जिन 28 सीटों पर पार्टी की तरफ से उम्मीदवार नहीं उतारे गए हैं, वो सभी सीटें कश्मीर रीजन की है. हालांकि, इस बार पार्टी के नेता इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
90 विधानसभा सीटों वाली घाटी में 3 चरणों में विधानसभा का चुनाव प्रस्तावित है, जहां मुख्य मुकाबला इंडिया गठबंधन के नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का बीजेपी से है.
बीजेपी ने यहां नहीं उतारे उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी ने कुपवाड़ा जिले की 4 (त्रेहगाम, कुपवाड़ा, लोआब, और लांगले), बारामूला जिले की 7 (सोपोर, रफियाबाद, उड़ी, बारामूला, गुलमर्ग, करेड़ी और पाटन), गांदरबल की 2 (कंगन और गांदरबल), श्रीनगर की 4 (हजरतबल, खन्यार, जैदबल और मध्य शाल्टेंग), बडगाम की 3 (बडगाम, बीरवाह और चदूरा), पुलवामा की 2 (त्राल और पुलवामा), शोपियां की जैनापोरा, कुलगाम की 3 (डीएच पोरा, कुलगाम और देवसर) अनंतनाग की 2 (दूरु और पहलगाम) सीट शामिल हैं.
ये सभी सीटें जम्मू-कश्मीर के कश्मीर रीजन में आती है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के मुताबिक घाटी की कुल 90 में से 47 सीट कश्मीर और 43 सीट जम्मू रीजन की है.
लोकसभा के हिसाब से देखा जाए तो केंद्रशासित प्रदेश में कुल 5 सीटें हैं, जिसमें से 3 कश्मीर रीजन की और 2 जम्मू रीजन की है. हालिया चुनाव में बीजेपी ने कश्मीर रीजन की 3 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारा था.
बीजेपी ने उम्मीदवार क्यों नहीं उतारे?
2008 के चुनाव में बीजेपी ने 23 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारा था. 2014 के चुनाव में इसमें कमी आई और इस बार बीजेपी ने सिर्फ 12 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारा, लेकिन इस बार बीजेपी की तरफ से 28 सीटों पर कैंडिडेट नहीं दिया गया है. वो भी तब, जब पार्टी कश्मीर के बदलने का दावा करती है.
घाटी के चुनावी रण में ये सवाल सुर्खियों में है कि अकेले लड़ने के बावजूद आखिर बीजेपी ने कश्मीर की 28 सीटों पर उम्मीदवार क्यों नहीं उतारे? इस स्टोरी में इसे 2 पॉइंट्स में समझते हैं…
पहले रणनीतिक पहलू समझते हैं
हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी के लिए घाटी की राह आसान नहीं है. पार्टी यहां इस बार सरकार बनाने के लिए 2 रणनीति पर काम कर रही है. पहली रणनीति, जम्मू रीजन की सभी 43 सीटें जीतने की कोशिश है, जिससे श्रीनगर में सरकार बनाने के लिए जरूरी 46 के नंबर को आसानी से छुआ जा सके.
दूसरी रणनीति घाटी में इंडिया गठबंधन को कमजोर करने की है. बीजेपी जानती है कि कश्मीर रीजन की अगर सभी सीटें इंडिया गठबंधन नहीं जीतती है, तो उसकी सरकार बनाने के लिए उसकी राह आसान हो जाएगी.
कहा जा रहा है कि इसी दोनों रणनीति को अमल में लाने के लिए बीजेपी ने 28 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. पार्टी के समर्थक पर्दे के पीछे से इन 28 सीटों पर उन उम्मीदवारों को वोट करेंगे, जो इंडिया गठबंधन को हराने में सक्षम हो.
हाल में लोकसभा में घाटी की 3 सीटों बीजेपी ने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. इनमें से एक सीट बारामूला में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
एक वजह सियासी मजबूरी भी है
उम्मीदवार नहीं उतारने की सियासी मजबूरी भी है. बीजेपी ने जिन सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां पार्टी का कोई जनाधार नहीं है. जिन 28 सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवार नहीं उतारा है, वहां पहले पार्टी की जमानत ही जब्त होती रही है. मसलन, 2014 में बीजेपी को कुपवाड़ा की सीटों पर करीब 2 प्रतिशत ही वोट मिले.
यही हाल बारामूला और श्रीनगर से लेकर अनंतनाग की सीटों पर थी. इसकी वजह यहां की डेमोग्राफी है. घाटी की अधिकांश सीटों पर मुस्लिम समुदाय की आबादी 90 फीसद से ज्यादा है. जो बीजेपी की राजनीति में फिट नहीं बैठते. यही वजह है कि बीजेपी ने इन सीटों पर उम्मीदवार नहीं खड़े किए हैं.
3 चरणों में चुनाव, 8 को गिने जाएंगे वोट
जम्मू कश्मीर में 3 चरणों में चुनाव प्रस्तावित है. 18 सितंबर को पहले चरण का चुनाव होगा. दूसरे चरण के लिए 26 सितंबर को और तीसरे चरण के लिए 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. तीसरे चरण में सबसे ज्यादा 40 सीटों पर मतदान होना है.
सभी 90 सीटों पर डाले गए वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी. 90 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सरकार बनाने के लिे कम से कम 46 सीटों की जरूरत है.
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