Political – दांव या सांठ-गांठ! सिरसा में आखिरी पल में बदला खेल, कांडा के लिए बीजेपी का साथ मुफीद लेकिन बसपा-इनेलो की बढ़ी टेंशन- #INA
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सिरसा सीट पर आखिरी पल में बड़ा उलटफेर हो गया है. बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे रोहतास जांगड़ा का नामांकन वापस ले लिया गया है. इसके चलते अब सिरसा का मुकाबला गोपाल कांडा बनाम कांग्रेस प्रत्याशी गोकुल सेतिया के बीच हो गया है. बीजेपी उम्मीदवार के हटने के बाद गोपाल कांडा के भले ही सिरसा की लड़ाई मुफीद लग रही हो, लेकिन बसपा-इनेलो गठबंधन के लिए टेंशन बढ़ा सकती है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि गोपाल कांडा का यह सियासी दांव है या फिर बीजेपी के साथ बसपा-इनेलो का सांठगांठ?
सिरसा से बीजेपी प्रत्याशी रोहतास जांगड़ा के नामांकन वापस लेने के बाद सियासत गरमा गई है. कांग्रेस ने कहना शुरू कर दिया है कि हरियाणा में बीजेपी, इनेलो और बसपा की अंदरुनी सांठगांठ है तो गोपाल कांडा अब किनारा कर रहे हैं. गोपाल कांडा अपनी हरियाणा लोकहित पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें बसपा-इनेलो गठबंधन का समर्थन हासिल है. रोहतास जांगड़ा का कहना है कि बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और उसने ही वापस ले लिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी ने गोपाल कांडा के समर्थन में अपने उम्मीदवार को हटा लिया है.
गोपाल कांडा की बढ़ाई टेंशन
सिरसा में सबकुछ अनायास नहीं हुआ है बल्कि यह बात इसलिए भी कही जा रही है कि बीजेपी के साथ गोपाल कांडा के गठबंधन की बातचीत चल रही थी. नामांकन के आखिरी दिन उन्होंने बसपा-इनेलो के साथ हाथ मिला लिया था. बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर रोहतास जांगड़ा दाखिल कर दिया था. गोपाल कांडा पिछली बार महज 602 वोटों से ही जीत सके थे. 2019 में निर्दलीय प्रत्याशी गोकुल सेतिया ने उन्हें कांटे की टक्कर दी थी. इस बार चुनाव में गोकुल सेतिया कांग्रेस की टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं, जिसके चलते गोपाल कांडा के लिए टेंशन बढ़ा दी है.
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कांग्रेस ने लगाया आरोप
बीजेपी और इनेलो के कैंडिडेट सिरसा के मैदान में उतरने से वोटों के बंटवारे की आशांका बन गई थी. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बीजेपी ने एक तय रणनीति के तहत गोपाल कांडा के खिलाफ प्रत्याशी को वापस लिया है, क्योंकि वह बीते पांच सालों में बीजेपी सरकार के साथ मजबूती से खड़े रहे थे. बीजेपी कैंडिडेट के कदम पीछे खींच लेने से गोपाल कांडा के लिए सियासी मुफीद साबित हो सकता है, लेकिन बसपा-इनेलो गठबंधन की चिंता बढ़ा दी है. कांग्रेस ने यह आरोप लगाना भी शुरू कर दिया है कि बसपा-इनेला की बीजेपी के साथ मिली भगत है.
बसपा, बीजेपी की B-टीम
बसपा पहले से ही बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप झेल रही है. हरियाणा में बसपा ने इनेलो के साथ मिलकर अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में गोपाल कांडा के समर्थन में बीजेपी उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस लेकर बसपा-इनेलो की लिए नई मुसीबत पैदा कर दी है. इसलिए अब इस पूरे मामले पर गोपाल कांडा ने सफाई देते हुए कहा कि तरह-तरह की बातें हो रही है, लेकिन सिर्फ इनेलो और बीएसपी से गठबंधन है. गोपाल कांडा ने कहा कि बीजेपी से उन्होंने कभी भी समर्थन नहीं मांगा और न ही न बीजेपी से उनके पास किसी का फोन आया.
सांठगांठ को किया खारिज
गोपाल कांडा ने जोर देकर कहा कि उनका गठबंधन सिर्फ इनेलो और बीएसपी के साथ है. कांडा ने यह भी कहा कि सिरसा में जल्द ही मायावती और इनेलो के नेता और पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की रैली सिरसा में कराएंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी के प्रत्याशी ने क्यों अपना नाम वापस लिया है, उसका जवाब वही देंगे. मेरा उनसे कोई लेना देना नहीं है. इस तरह बीजेपी के साथ सांठगांठ के लग रहे आरोपों को खारिज करने का दांव चला है, लेकिन कांग्रेस इसे मजबूती से स्थापित करने में जुटी है. कांग्रेस ने कहना शुरू कर दिया है कि अभय चौटाला की अगुवाई वाली इनेलो और मायावती की बसपा बीजेपी के साथ मिले हुए हैं.
गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया
गोपाल कांडा ने डबल गेम से फिलहाल अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार भी कमजोर ही हैं. कांडा सिरसा विधानसभा सीट से दो बार जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं तो गोकुल सेतिया भी पिछले चुनाव में जीत के करीब पहुंच चुके हैं. गोकुल सेतिया कांग्रेस से चार बार सिरसा के विधायक रहे लक्ष्मण दास अरोड़ा के नाती हैं. इस तरह मुकाबला काफी रोचक बन गया है, लेकिन बसपा और इनेलो के सामने बीजेपी की टीम का नैरेटिव एक बड़ी चुनौती बन सकता है. हरियाणा में इनेलो और बसपा के किंगमेकर बनने के सपने पर भी ग्रहण लग सकता है?
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