Political – जम्मू-कश्मीर के पहले चरण की 24 सीटों का गुणा-गणित, जानिए किसे होगा नफा और किसे नुकसान- #INA

जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के लिए बुधवार को वोट डाले जाएंगे

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 24 सीटों पर बुधवार को मतदान होना है. इन 24 विधानसभा सीटों पर कुल 219 उम्मीदवार मैदान में ताल ठोक रखी है, जिनकी किस्मत का फैसला 23.27 लाख मतदाता करेंगे. पहले फेज में दक्षिण कश्मीर क्षेत्र की 16 और जम्मू रीजन की आठ सीटों पर वोटिंग है. पहले चरण की वोटिंग में पीडीपी के मजबूत गढ़ में चुनाव है, लेकिन इस बार महबूबा मुफ्ती के लिए अपने सियासी वजूद बचाए रखने की चुनौती है और जम्मू क्षेत्र की सीटें कम होने के चलते बीजेपी से ज्यादा नेशनल कॉफ्रेंस और कांग्रेस की साख दांव पर लगी है.

पहले चरण की 24 सीट पर वोटिंग

पहले चरण की जिन 24 सीट जिन चुनाव है, उसमें दक्षिण कश्मीर के 16 सीटें है. पंपोर, त्राल, पुलवामा, राजपोरा, जैनापोरा, शोपियां, डी एच पोरा कुलगाम, देवसर, दूरु, कोकेरनाग, अनंतनाग पश्चिम, अनंतनाग, श्रीगुफवारा-बिजबहेड़ा, शंगस-अनंतनाग पूर्व और पहलगाम सीट शामिल है. इसके अलावा जम्मू क्षेत्र की 8 सीटें है, जिसमें इंदरवाल, किश्तवाड़, पड्डेर-नागसेन भद्रवाह, डोडा, डोडा पश्चिम, रामबन और बनिहाल सीट पर विधानसभा चुनाव होने है. बीजेपी सामने डोडा, किश्तवाड़ व रामबन में कमल को मुरझाने से बचाने की जबर्दस्त चुनौती है तो कांग्रेस और माकपा के लिए अपनी सीटों को बचाने रखनी की जंग लड़नी पड़ रही.

जम्मू रीजन के चिनाब क्षेत्र के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन के आठ विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण में मतदान होगा. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस, नेशनल कॉफ्रेंस और निर्दलीयों के बीच होनी है. यहां 64 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 25 निर्दलीय उम्मीदवार हैं. भद्रवाह में सबसे अधिक 10 उम्मीदवार, डोडा-इंद्रवाल में 9-9, डोडा पश्चिम और रामबन में 8-8, किश्तवाड़ और बनिहाल की सात सात और पाड़ा-नागसेन में छह उम्मीदवार मैदान में हैं. इसमें डोडा पश्चिम और पाडर नागसेनी नए विधानसभा क्षेत्र हैं. 8 सीटों पर नेशनल कॉफ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन है, जिसमें से बनिहाल, भद्रवाह और डोडा में दोस्ताना मुकाबला है.

2014 में सियासी नतीजे कैसे रहे?

2014 के चुनाव में दक्षिण कश्मीर व चिनाब वैली की 22 सीटों में सबसे अधिक पीडीपी ने 11 सीटें जीती थीं. बीजेपी और कांग्रेस ने 4-4, नेशनल कॉफ्रेंस ने 2 और सीपीआई-एम ने एक सीट पर कब्जा जमाया था. अनुच्छेद 370 खत्म होने और परिसीमन के बाद डोडा और किश्तवाड़ जिले में एक-एक सीटें बढ़ीं और इस बार 24 सीटें हो गई हैं. पहले फेज की ज्यादातर सीटें साउथ कश्मीर में हैं, जहां पर पीडीपी काफी मजबूत मानी जाती है.

पीडीपी की शुरुआत भी दक्षिण कश्मीर इलाके से हुई है. 2014 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी को सबसे ज्यादा सीटें इसी एरिया से मिली थीं. इसी की बदौलत पीडीपी सरकार भी बनाने में कामयाब रही. अब जम्मू-कश्मीर की सियासत बदल चुकी है और पीडीपी की स्थिति पहले जैसी नहीं है. यही वजह है कि पहले चरण का चुनाव नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन मुख्य मुकाबले में नजर आ रहा है. हालांकि, निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में उतरने से काफी उलट फेर होने की संभावना दिख रही है.

2024 के लोकसभा चुनाव में बहुत हद तक कम वोटिंग की परंपरा जम्मू-कश्मीर में टूट गई थी, लेकिन तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो जम्मू रीजन ही वोटिंग प्रतिशत के मामले में आगे रहता है. वैसे इसके लिए कश्मीर घाटी की भौगोलिक परिस्थिति भी जिम्मेदार है, लेकिन चुनाव आयोग पूरी ताकत लगा रही है कि फिर भी ज्यादा से ज्यादा वोटिंग के लिए लोगों को प्रेरित किया जाए. निश्चित रूप से पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा वोटिंग की उम्मीद की जा रही है.

पहले चरण में दिग्गजों की साख

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और चिनाब वैली के डोडा, किश्तवाड़ व रामबन जिले में हो रहे विधानसभा चुनाव में माकपा के दिग्गज एमवाई तारिगामी, महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती, वहीद-उर-रहमान परा, सरताज मदनी, पूर्व सांसद हसनैन मसूदी, शौकत अहमद गनई, कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री जीए मीर और बीजेपी के सोफी युसूफ की प्रतिष्ठा दांव पर है. इसके अलावा जम्मू क्षेत्र में पूर्व मंत्री सुनील शर्मा, शक्तिराज परिहार, पूर्व विधायक दलीप सिंह परिहार, आतंकी हमले में मारे गए परिहार बंधुओं के फैमिली से शगुन परिहार, नेशनल कॉफ्रेस के नेता सज्जाद अहमद किचलू, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी की साख दांव पर लगी है.

दक्षिण कश्मीर में मुकाबला रोचक

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में अवामी इत्तेहाद पार्टी, जमात से जुड़े निर्दलीयों की वजह से दक्षिण कश्मीर में मुकाबला रोचक हो गया है. ऐसे में पीडीपी को अपने प्रदर्शन को दोहराने तो नेशनल कॉफ्रेंस के लिए पिछले प्रदर्शन से बेहतर करने की चुनौती खड़ी हो गई है. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा व कुलगाम में एआईपी और जमात-ए-इस्लामी सहित कई क्षेत्रीय पार्टियों के पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने से नेशनल कॉफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन और पीडीपी के बीच टक्कर मानी जा रही है. ऐसे में क्षेत्रीय दल के चुनाव लड़ने से पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस के लिए टेंशन बढ़ गई है.

पहले फेज में साउथ कश्मीर में वोटिंग

पहले फेज में साउथ कश्मीर में वोटिंग है, वहां निर्दलीय सांसद बने इंजीनियर राशिद दमदार साबित नहीं हो सकते, क्योंकि उनकी पकड़ नॉर्थ कश्मीर में है. साउथ कश्मीर में नेशनल कॉफ्रेंस-कांग्रेस सबसे ज्यादा सीट पाने वाली पार्टी बनकर सामने आएंगी, लेकिन सत्ता की लड़ाई आसान नहीं है. ऐसे में जम्मू रीजन के जिन 8 सीटों पर चुनाव है, वहां पर बीजेपी का पलड़ा भारी रह सकता है, क्योंकि परिसीमन की वजह से हिंदू वोटर अहम रोल में आ गए हैं. बीजेपी ने पुराने प्रत्याशियों की जगह चुनाव में नए उम्मीदवार उतारे हैं. इसे लेकर लोगों की नाराजगी भी सामने आई है, लेकिन बीजेपी ने उसे डैमेज कन्ट्रोल के लिए हरसंभव कोशिश की है. अब देखना है कि पहले चरण की सियासी बाजी कौन मारता है?

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