Political – जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण की वोटिंग से ही तय होगी सत्ता! NC-BJP के लिए सबसे बड़ा इम्तिहान- #INA

पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए वोटिंग जारी है. इस फेज में छह जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर 239 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. इन 26 सीटों में से 11 सीटें जम्मू संभाग तो 15 सीटें कश्मीर क्षेत्र की है. ऐसे में पहले चरण में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के सियासी वजूद को बचाए रखना था तो दूसरा चरण बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के इम्तिहान का है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को अपनी सीटें ही नहीं बल्कि अपने सियासी गढ़ को भी बचाए रखने की चुनौती है तो बीजेपी को अपने पिछले प्रदर्शन को बचाए रखने का चैलेंज है?

दूसरे चरण में जम्मू संभाग के तीन जिलों की 11 सीटों और कश्मीर रीजन के तीन जिलों की 15 सीटों सहित 26 विधानसभा क्षेत्रों का 25 लाख से अधिक मतदाता 239 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. कश्मीर रीजन की 15 सीटें- कंगन, गांदरबल, हजरतबल, खानयार, हब्बाकदल, लाल चौक, चन्नपोरा, जदीबल, ईदगाह, सेंट्रल शाल्टेंग, बडगाम, बीरवाह, खानसाहब, चरार-ए-शरीफ और चदूरा सीट है. वहीं, जम्मू रीजन की 11 सीटें-गुलाबगढ़, रियासी, श्री माता वैष्णो देवी, कालाकोट-सुंदरबनी, नौशेरा, राजौरी, बुद्धल, थन्नामंडी, सूरनकोट, पुंछ-हवेली और मेंढर है.

दूसरे चरण की 26 सीटों पर मतदान

जम्मू-कश्मीर के दूसरे चरण की 26 सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस और पीडीपी समेत नेशनल कांफ्रेंस की साख दांव पर लगी है. इसी चरण में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना और अल्ताफ बुखारी जैसे नेताओं की परीक्षा होनी है. जम्मू कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि बीजेपी के सत्ता में आने की उम्मीदें जम्मू संभाग पर हैं तो नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की आस कश्मीर क्षेत्र से है.

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कौनसी पार्टी, कितनी सीटों पर लड़ रही चुनाव

इस चरण के होने वाले कुल 26 सीटों में से पीडीपी सबसे ज्यादा 26 सीट पर किस्मत आजमा रही है. नेशनल कांफ्रेंस 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो उसकी सहयोगी कांग्रेस 6 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं. वहीं, बीजेपी दूसरे चरण की 26 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इस चरण की वोटिंग इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि 89 निर्दलीय प्रत्याशियों ने इस चरण में ताल ठोक रखी है. इसके अलावा बारामुला से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराकर सांसद बने इंजीनियर राशिद की पार्टी भी सियासी मैदान में लड़ रही है. ऐसे ही आपकी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी का सियासी आधार इसी इलाके में है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस का असल इम्तिहान

2024 के लोकसभा के चुनावी नतीजों को देखते हुए ही उमर अब्दुल्ला इस बार गांदरबल और बडगाम से दो सीटों से अपनी सियासी किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी ने भले ही उमर अब्दुल्ला के खिलाफ प्रत्याशी न उतारकर वॉकओवर दिया हो, लेकिन पीडीपी, आपकी पार्टी और इंजीनियर राशिद की पार्टी ने उनकी टेंशन बढ़ा दी है. बडगाम सीट पर उमर को पीडीपी कैंडिडेट सैयद मुंतजिर मेहंदी से कांटे की टक्कर मिल रही है. ऐसे ही गांदरबल सीट पर इंजीनियर राशिद की पार्टी के कैंडिडेट से उन्हें दो-दो हाथ करना पड़ रहा है. गांदरबल सीट पर उमर के खिलाफ जेल में बंद सरजन अहमद वागे उर्फ आजादी चाचा मैदान में हैं.

सियासी गढ़ को बचाए रखने की चुनौती

उमर अब्दुल्ला को अपनी जीत के साथ-साथ अपने सियासी गढ़ कश्मीर को भी बचाए रखने की चुनौती है. कश्मीर संभाग की जिन 15 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, वह अब्दुल्ला परिवार का गढ़ मानी जाती हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में कश्मीर क्षेत्र की इन 15 सीटों में से सात सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस ने जीत दर्ज की थी. चार सीटें पीडीपी ने जीती थी तो दो सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. बीजेपी और अन्य के हिस्से में एक-एक सीटें ही आई थीं. इतना ही नहीं सेंट्रल कश्मीर के जिन इलाकों में चुनाव हो रहा है, वहां पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2008 में भी अपना दबदबा बनाए रखा था.

परिसीमन के बाद बदली सियासी तस्वीर

श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल इलाके की सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का अपना राजनीतिक आधार है. इन्हीं इलाकों की सीटें जीतकर अब्दुल्ला परिवार कश्मीर की सत्ता पर कब्जा जमाता रहा है, लेकिन अनुच्छेद 370 के समाप्त होने और परिसीमन के बाद सियासी तस्वीर बदल गई है. उमर अब्दुल्ला को लोकसभा चुनाव में निर्दलीय इंजीनियर राशिद के हाथों हार का सामना करना पड़ा है. इस बार के चुनाव में निर्दलीय कई सीटों पर एनसी के लिए, राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी और पीडीपी के लिए टेंशन का सबब बन गया है.

बीजेपी के लिए गढ़ को बचाने की चुनौती

जम्मू-कश्मीर के दूसरे चरण का चुनाव बीजेपी के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. जम्मू संभाग के जिन 11 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उसमें से बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी. 2014 में इन 26 में से 9 सीटें बीजेपी जीती थी. इस बार के विधानसभा चुनाव में जम्मू संभाग की सीटों पर बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस ने मजबूत सियासी ताना बाना बुना है. इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी कई सीटों पर बीजेपी के लिए टेंशन का सबसे बन गई थी. 2014 की तरह बीजेपी के लिए इस बार जम्मू रीजन में माहौल नहीं है, जिसके दम पर पिछली बार किंगमेकर बनकर उभरी थी. ऐसे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना को अपनी नवसेरा सीट पर कब्जा जमाए रखने के साथ-साथ माता वैष्णो देवी और जम्मू संभाग की सीटों को जीतने का चैलेंज है.

कश्मीर में क्या निर्दलीय बिगाड़ेंगे खेल?

जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहला मौका है जब इतने ज्यादा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके लिए सियासी गलियारों में चर्चाएं खूब हो रही हैं कि यह निर्दलीय कहीं बड़े-बड़े राजनीतिक दलों की सियासी कहानी न बिगाड़ दें. दूसरे चरण में निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. इसके चलते ही सभी की निगाहें दूसरे चरण के निर्दलीय उम्मीदवारों पर हैं. इसमें कई कैंडिडेट जमात-ए-इस्लामी और अलगाववादी नेता हैं, जो निर्दलीय मैदान हैं. इसके चलते नेशनल कॉन्फ्रेंस से लेकर कांग्रेस और पीडीपी की सियासी टेंशन बढ़ गई है.

कश्मीर की सत्ता की किस्मत का फैसला

जम्मू-कश्मीर के पहले चरण की 24 सीटों पर 18 सितंबर को चुनाव हो चुके हैं और अब दूसरे चरण की 26 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. इसके साथ ही राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 50 सीट पर चुनाव बुधवार शाम समाप्त हो जाएगा और तीसरे चरण में 40 सीटों पर वोटिंग होगी. इस तरह जम्मू कश्मीर के आधे से ज्यादा चुनाव पूरे हो जाएंगे. शुरुआती दोनों चरण में जिस तरह से कश्मीर घाटी की ज्यादातर सीटों पर चुनाव हुए हैं, उसके एक बात साफ है कि सत्ता की किस्मत का फैसला लगभग तय हो गया.

सेंट्र्ल कश्मीर की सीटों पर चुनाव

पहले चरण में महबूबा मुफ्ती के सियासी गढ़ दक्षिण कश्मीर की सीटें थी तो दूसरे चरण में सेंट्र्ल कश्मीर की सीटों पर चुनाव है. पहले चरण की जिन 24 सीटों पर चुनाव हुए थे, उनमें से 13 सीटें पीडीपी ने 2014 में जीती थी. दूसरे चरण में कश्मीर क्षेत्र की जिन 26 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उसमें से 8 सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस और 9 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. इस तरह दूसरे चरण के चुनाव में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सियासी ताकत की परीक्षा होनी है तो जम्मू संभाग में बीजेपी को अपनी सीटें बरकरार रखने के साथ साथ अन्य सीटों पर भी जीत हासिल करने का राजनीतिक चैलेंज है.

क्या इस बार बदल जाएगी चुनावी तस्वीर?

जम्मू कश्मीर में होने वाले दूसरे चरण के मतदान में श्रीनगर के लाल चौक से लेकर माता वैष्णो देवी, राजौरी, बडगाम, पुंछ से लेकर हजरतबल और गांदरबल जैसी महत्वपूर्ण विधानसभा सीटें शामिल हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा श्रीनगर जिले में आठ सीटों पर दूसरे दौर के मतदान हैं. इसके बाद रियासी में छह, बडगाम में पांच, रियासी और पुंछ में तीन-तीन और गांदरबल में दो सीटों पर मतदान हैं. ऐसे में देखना है कि बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस क्या अपना सियासी दबदबा 2014 की तरह बनाए रखती है या फिर अलग चुनावी तस्वीर दिखेगी?

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