Political – जम्मू-कश्मीर चुनाव नतीजेः वे 10 बड़े नाम जिनकी सीटों पर रहेंगी सबकी नजरें- #INA
जम्मू-कश्मीर चुनाव नतीजेः उमर अब्दुल्ला, इल्तिजा मुफ्ती, सज्जाद गनी लोन, रविंदर रैना, तारीक हमीद कर्रा
जम्मू कश्मीर चुनाव के नतीजों का अब सभी को बेसब्री से इंतजार है. 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए कुल तीन चरणों में वोटिंग हुई. जिसके नतीजे 8 अक्टूबर, मंगलवार को घोषित होने वाले हैं. 90 में 43 सीटें जम्मू संभाग जबकि 47 सीटें कश्मीर घाटी की हैं. घाटी में मुख्य तौर पर मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन और महबूबा मुफ्ती की पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच माना जा रहा है. हालांकि, इंजीनियर रशीद की आवामी इत्तेहाद पार्टी, सज्जाद गनी लोन की पीपल्स कांफ्रेंस और जमात ए इस्लामी समर्थक आजाद उम्मीदवार घाटी की कुछ सीटों पर एनसी-कांग्रेस और पीडीपी का खेल बिगाड़ सकते हैं. जम्मू में भारतीय जनता पार्टी की मुख्य लड़ाई कांग्रेस से है.
इस स्टोरी में जम्मू कश्मीर के 10 बड़े नेताओं और उनकी सीटों का हाल जानिए जिस पर दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक की नजरें होंगी.
1- उमर अब्दुल्ला (सीट – गांदरबल, बड़गाम)
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला सेंट्रल कश्मीर की दो सीटों – बड़गाम और गांदरबल से चुनाव लड़ रहे थे. बीते लोकसभा चुनाव में इंजीनियर राशिद के हाथों बारामुला में करारी शिकस्त मिलने के बाद उमर फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. गांदरबल में उमर का मुकाबला शेख (राशिद की पार्टी के कैंडिडेट), सर्जन बरकाती (अलगाववादी नेता), बशीर अहमद मीर (पीडीपी) और साहिल फारूक (बागी नेता) से है. वहीं, बड़गाम में उमर को पीडीपी के सईद मुंतजीर मेहदी से चुनौती मिली है.
2- इल्तिजा मुफ्ती (सीट – श्रीगुफवारा-बिजबेहारा)
अपनी स्थापना के 25वें बरस में अस्तित्त्व की लड़ाई लड़ रही पीडीपी की इस चुनाव में सबसे अहम चेहरा इल्तिजा मुफ्ती थीं. इल्तिजा महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं. वह अनंतनाग जिले की श्रीगुफवारा-बिजबेहारा से उम्मीदवार थीं. यहां उनका मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के बशीर वीरी और बीजेपी के सोफी यूसिफ से था. औसतन हर सीट पर 9-10 कैंडिडेट वाले जम्मू कश्मीर में यही एक ऐसी सीट है जहां केवल 3 उम्मीदवार थे. बीजेपी की इस इलाके में मौजूदगी न के बराबर होने से इल्तिजा का सीधा मुकाबला एनसी से ही था.
3- रविंदर रैना (सीट – नौशेरा)
रविंदर रैना जम्मू कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष हैं. वह जम्मू से आते हैं, जहां बीजेपी बड़ा उलटफेर का इरादा रखती है. रैना राजौरी जिले की नौशेरा सीट से विधायकी का चुनाव लड़ रहे थे. उनका मुकाबला यहां पीडीपी के हक नवाज और नेशनल कांफ्रेंस के सुरिंदर कुमार चौधरी से था. रविदंर रैना की एक बेहद अलग पहचान है. वह जम्मू कश्मीर चुनाव में उन चुनिंदा उम्मीदवारों में से एक थे जिनकी संपत्ति न के बराबर है. रैना के शपथपत्र के मुताबिक उनके पास महज 1 हजार रुपये हैं. रैना का लंबे समय तक संघ से नाता रहा है.
4 – तारीक हमीद कर्रा (सीट – सेंट्रल शालटेंग)
जम्मू कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारीक हमीद कर्रा श्रीनगर जिले की सेंट्रल शालटेंग विधानसभा से चुनावी मुकाबले में थे. कर्रा पीडीपी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं. उनकी पहचान किसी जमाने में फारूक अब्दुल्ला को श्रीनगर विधानसभा सीट पर मात देने वाले नेता की भी रही. शेंट्रल शालटेंग की सीट पर कर्रा का मुकाबला पीडीपी के अब्दुल कयूम भट्ट और अपनी पार्टी के जफर हबीब डार से था. कर्रा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद बनाया गया था.
5 – अल्ताफ बुखारी (सीट – चन्नापोरा)
बीते लोकसभा चुनाव में जिस पार्टी और नेता पर बीजेपी के प्रॉक्सी होने का आरोप लगा, वह अल्ताफ बुखारी थे. पीडीपी की राजनीति को अलविदा कह अपनी पार्टी बनाने वाले बुखारी श्रीनगर जिले की चन्नापोरा सीट से उम्मीदवार थे. बुखारी का यहां मुकाबला पीडीपी के इकबाल ट्रूबू और नेशनल कांफ्रेंस के मुश्ताक अहमद गुरू से है. अल्ताफ बुखारी राज्य के शिक्षा मंत्री रह चुके हैं और घाटी के बड़े बिजनेसमैन हैं. पहले डीडीसी, फिर लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने वाली अपनी पार्टी निर्णायक चुनाव लड़ रही है.
6- सज्जाद गनी लोन (सीट – कुपवाड़ा, हंदवाड़ा)
सज्जाद लोन पीपल्स कांफ्रेंस के मुखिया हैं और उनकी पार्टी नॉर्थ कश्मीर खासकर कुपवाड़ा जिले में खासा सियासी रसूख रखती है. सज्जाद लोन इस चुनाव में दो सीटों से उम्मीदवार थे. हंदवाड़ा से पहले भी विधायक रहे चुके लोन के सामने यह सीट बरकरार रखने की चुनौती होगी. हंदवाड़ा में लोन का मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के चौधरी मोहम्मद रमजान, बीजेपी के गुलाम मोहम्मद मीर, पीडीपी के मौहर अजाद मीर से था. वहीं, कुपवाड़ा में लोन के सामने एनसी के नासिर असलम वानी, पीडीपी के मीर मोहम्मद फयाज थे.
7 – खुर्शीद अहमद शेख (सीट – लांगेट)
अचानक से जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में इंजीनियर रशीद को एक्स फैक्टर कहा जाने लगा. रशीद जेल में रहते हुए बारामुला लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रहे थे. सांसद होने से पहले दो बार वह कुपवाड़ा जिले की लांगेट से विधायक रह चुके हैं. इस बार यहां से उनके भाई खुर्शीद अहमद शेख दावेदरी कर रहे थे. उनका मुकाबला यहां पीपल्स कांफ्रेंस के कैंडिडेट इरफान पंडितपुरी, पीडीपी के सईद गुलाम नबी, एसन-कांग्रेस गठबंधन के इश्फाक अहमद से है.
8- शगुन परिहार (सीट – किश्तवाड़)
जम्मू में भारतीय जनता पार्टी की महिला उम्मीदवार – शगुन परिहार की इस चुनाव में खूब चर्चा रही. इसकी वजह उनके पिता और चाचा की आतंकी हमलों में जान गई थी. जम्मू में पैर पसारते आतंक के बीच हो रहे चुनाव में बीजेपी ने शगुन को आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार की लड़ाई की तस्वीर के तौर पर पेश किया था. शगुन जम्मू संभाग की किश्तवाड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही थीं. उनका मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के सज्जाद अहमद और पीडपी के फिरदौस अहमद से था.
9- एमवाई तारिगामी (सीट – कुलगाम)
कुलगाम जम्मू कश्मीर की इकलौती ऐसी सीट है जहां पिछले कम से कम तीन दशक से सीपीएम का झंडा लहरा रहा है. 1996 ही से लगातार इस सीट से सीपीएम के एमवाई तारिगामी जीत रहे हैं. तारिगामी की इस दफा की जीत उन्हें घाटी के उन चुनिंदा नेताओं में शुमार कर देगी जो लगातार चौथी बार विधायक बने हैं. तारिगामी के लिए इस बार का चुनाव प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी के कैंडिडेट के खड़े हो जाने से कठिन माना जा रहा है. यहां उनका मुकाबला जमात के सयर अहमद रेशी से था जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे.
10- सर्जन बरकाती (बीरवाह, गांदरबल)
हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हुए प्रदर्शनों की अगुवाई करने वालों में सर्जन बरकाती थे. बरकाती को अक्टूबर 2016 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया. अक्टूबर 2020 में वह जेल से बाहर आए मगर अगस्त 2023 में राज्य की एजेंसी ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया. इस चुनाव में वह जेल से दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे. इनमें एक तो गांदरबल से उमर अब्दुल्ला के खिलाफ और दूसरा नेशनल कांफ्रेंस के ही गढ़ बीरवाह में शफी अहमद वानी का उनसे मुकाबला रहा है.
आप इनके अलावा और कुछ नामों के बारे में भी अगर विस्तार से जानना चाहते हैं तो इन तीन स्टोरीज को पढ़ सकते हैं.
पहले चरण के बड़े नाम. दूसरे चरण की अहम सीटें. तीसरे चरण के अहम नाम.
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