Political – हरियाणा के जिन इलाकों में डेरा का असर, वहां बुरी तरह हारी बीजेपी; 13 सीटों का लेखा-जोखा- #INA

राम रहीम की अपील फिर बेअसर

हरियाणा में चुनाव से पहले डेरा की खूब चर्चा होती है. डेरा से जुड़े लोग सियासी दबदबा की बातें करते हैं. समर्थकों के लिए अघोषित फरमान जारी करते हैं. इस बार यह फरमान बीजेपी के लिए जारी हुआ था. ऐसे में चुनाव परिणाम आने के बाद सवाल उठ रहा है कि डेरा की वजह से बीजेपी को कितनी सीटों पर फायदा हुआ?

यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को पैरोल मिली थी. जेल में बंद राम रहीम की यह पैरोल सियासी सुर्खियों में थी.

सिरसा की सभी सीटें हार गई बीजेपी

सिरसा जिले में विधानसभा की 5 सीटें हैं. सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय है. यहां की सभी 5 सीटें भारतीय जनता पार्टी हार गई है. बीजेपी सिरसा की 4 पर खुद चुनाव लड़ रही थी और एक सीट पर पार्टी गोपाल कांडा का समर्थन कर रही थी.

सिरसा की 5 में से 2 पर इनेलो और 3 पर कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस ने ऐलानाबाद, सिरसा और कालांवाली में जीत हासिल की है. इनेलो को डबवाली और रानियां सीट पर जीत मिली है.

कालांवली को छोड़कर सिरसा की बाकी 3 सीटों पर बीजेपी तीसरे या चौथे नंबर पर रही है. गोपाल कांडा सिरसा में दूसरे नंबर पर रहे.

फतेहाबाद में भी डेरा का दबदबा नहीं दिखा

फतेहाबाद जिले में विधानसभा की 3 सीटें हैं. यहां भी डेरा का प्रभाव है, लेकिन जिले की तीनों सीटों पर बीजेपी जीत नहीं पाई. डेरा के लोगों ने जमीन पर फतेहाबाद से चुनाव लड़ने वाले दुड़ाराम के समर्थन में खुलकर बैटिंग की.

हालांकि, दुड़ाराम समेत जिले की सभी सीटें बीजेपी हार गई. फतेहाबाद की तीनों ही सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. फतेहाबाद में सिख समुदाय के वोटरों का दबदबा है.

2019 में फतेहाबाद की 3 में से 2 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. एक सीट रतिया पर जेजेपी को जीत मिली थी.

भव्य भी हारे, अंबाला में भी बुरा हाल

डेरा ने हिसार की आदमपुर सीट पर कुलदीप बिश्नोई के बेटे और बीजेपी के उम्मीदवार भव्य बिश्नोई को समर्थन दिया था. भव्य यह चुनाव कांग्रेस के चंद्र प्रकाश जांगा से हार गए. पहली बार आदमपुर सीट पर बिश्नोई परिवार का किसी सदस्य को हार मिली है.

अंबाला में भी डेरा प्रेमियों का दबदबा माना जाता है. हालांकि, यहां भी कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की. अंबाला जिले की 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. सिर्फ एक सीट अंबाला कैंट में बीजेपी के अनिल विज ने जीत दर्ज की.

इन मौकों पर भी डेरा बेअसर

1. 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरा ने बीजेपी के पक्ष में समर्थन देने की अपील की थी, लेकिन डेरा के प्रभाव वाले इलाकों में बीजेपी की करारी हार हुई. 2014 के इस चुनाव में सिरसा की 5 में से 4 सीटों पर इनेलो और एक पर शिरोमणि अकाली दल ने जीत हासिल की.

2. डेरा ने 2012 के चुनाव में कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह के पक्ष में बैटिंग की. कैप्टन पंजाब में यह चुनाव नहीं जीत पाए. डेरा यहां भी बेअसर हो गया.

3. 2009 के चुनाव में डेरा ने डबवाली में अजय चौटाल के खिलाफ वोट देने की अपील की. डेरा की यह अपील भी काम नहीं आई और अजय चौटाला जीतने में कामयाब रहे.

4. 2005 के चुनाव में डेरा ने इनेलो के सीताराम के खिलाफ कांग्रेस के कर्मवीर सिहाग से समर्थन में वोट देने की अपील की. डेरा की यह अपील काम नहीं आई. सीताराम भारी मतों से चुनाव जीत गए.

35 लाख अनुयायी का दावा

डेरा सच्चा सौदा एक सामाजिक-आध्यात्मिक संस्था है, जिसकी स्थापना साल 1948 में मस्ताना बलूचिस्तानी ने की थी. राम रहीम डेरा के प्रमुख हैं. उन्हें 1990 में डेरा की कमान मिली. डेरा प्रमुख को उनके समर्थक पिता भी कहते हैं. डेरा के मुताबिक हरियाणा में उनके करीब 35 लाख अनुयायी है.

डेरा के भीतर पहले एक राजनीतिक विंग भी था, लेकिन 2017 में इसे भंग कर दिया गया. 1998 के चुनाव से डेरा ने राजनीतिक में समर्थन का खेल शुरू किया. 1998 के चुनाव में पंजाब में पहली बार डेरा ने शिरोमणि अकाली दल को समर्थन दिया था.

बाद में डेरा का झुकाव कांग्रेस की ओर हुआ. इसके बाद राम रहीम खुलकर बीजेपी के पक्ष में बोलना शुरू किया.

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