Political – नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणा पत्र में क्या है, क्या पूरा कर पाएगी सरकार?- #INA
फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला.
‘मेरा वचन ही मेरा शासन है’ बाहुबली मूवी का ये डायलॉग कौन भूल सकता है. इस डायलॉग की डिटेल में ना जाकर हम आपको ले चलते हैं जम्मू-कश्मीर. जहां सत्ता में आई नेशनल कॉन्फ्रेंस का भी कुछ ऐसा ही डायलॉग यानी कि वचन है. एनसी के घोषणा पत्र के पेज नंबर-6 पर लिखा है ‘हम अपने वचन पर कायम हैं…साफ-सुथरा अतीत, स्पष्ट वर्तमान, साहस भरे एक्शन और सुरक्षित भविष्य’. हर पार्टी चुनाव से पहले कुछ वादे करती है. सत्ता संभालने जा रही एनसी ने भी कुछ वादे किए हैं. कुछ वादे ऐसे हैं, जिन्हें पूरा करने की कोशिश उसे और उसकी सहयोगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. अब देखना होगा कि ‘वचन ही शासन’ वाला डायलॉग हकीकत में उतरेगा या महज ये कागजी होकर ही रह जाएगा. आइए जानते हैं नेशनल कॉन्फ्रेंस ने लोगों से क्या वादे किए हैं और इसमें वो कौन से वादे हैं जिनको पूरा करना उसके लिए बड़ी चुनौती होगा.
घोषणा पत्र में उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा है?
जम्मू-कश्मीर के लोगों से उमर का कहना है, यह घोषणा पत्र राजनीतिक दस्तावेज से ज्यादा है. यह हमारी सामूहिक यात्रा का प्रमाण है. उस सम्मान को दोबारा पाने का रोडमैप है, जो पीढ़ियों से हमारी आधारशिला रही है.
घोषणा पत्र में आपको हमारे संघर्ष का सार, पूर्वजों के सपने और आने वाली पीढ़ियों की उम्मीदें मिलेंगी. ये हमारे अस्तित्व, अर्थव्यवस्था, भाईचारे और जम्मू-कश्मीर की आत्मा के बारे में है. नेशनल कॉन्फ्रेंस हमेशा उन लोगों के खिलाफ खड़ी रही है, जो हमारी पहचान और अधिकारों को कमजोर करना चाहते थे.
मैं विश्वास दिलाता हूं कि जब तक जम्मू-कश्मीर के लोगों के हाथ में हल है, तब तक कोई भी हमारी आवाज को दबा नहीं सकता. आपका वोट हमेशा शक्ति की आवाज रहा है. मगर, ये चुनाव अलग है. जम्मू-कश्मीर के लोग विभाजित नहीं होंगे, चुप नहीं रहेंगे और उनकी उपेक्षा नहीं की जाएगी…इसका संदेश देने का चुनाव है. ये तो जम्मू-कश्मीर के लोगों के नाम उमर अब्दु्ल्ला का चुनावी संदेश था. अब आते हैं नेशनल कॉन्फ्रेंस के ‘वचन’ पर.
लोगों से नेशनल कॉन्फ्रेंस के वादे
- हम साल 2000 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित स्वायत्तता प्रस्ताव को पूरा करने का काम करेंगे.
- हम अनुच्छेद-370 और 35-ए को बहाल करने और राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रयास करेंगे.
- हम जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार के कामकाज के नियम-2019 को फिर से तैयार करने का प्रयास करेंगे.
- जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के बाद सबसे पहला काम- राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा छीनने के केंद्र के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगे.
- 5 अगस्त 2019 के बाद के उन कानूनों को संशोधित, निरस्त और निरस्त करने की कोशिश करेंगे, जो जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को प्रभावित करते हैं.
- जम्मू-कश्मीर के लोगों की जमीन और रोजगार के अधिकारों की रक्षा करेंगे. भूमिहीनों को जमीन देंगे. साथ ही उनके खिलाफ नीति तैयार करेंगे जिन्होंने कब्जा कर रखा है.
- यहां के गैर-निवासियों पर उचित प्रतिबंध लगाकर लगाने के लिए कानूनों में संशोधन करेंगे.
- बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराएंगे. इसमें सरकारी और अर्ध-सरकारी रोजगार होंगे.
- भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाएंगे.
- जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए प्रयास करेंगे.
- हम पीएसए (सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम) को निरस्त करेंगे.
- कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध हैं.
- हम पासपोर्ट सत्यापन प्रक्रिया सरल को सरल करेंगे.
- 200 यूनिट मुफ्त बिजली देंगे. जल जीवन मिशन में मिलने वाले पैसे का का उचित उपयोग करेंगे और खामियों को दूर करेंगे.
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों की महिला मुखिया को हर महीने 5000 रुपये देंगे.
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को हर साल मुफ्त में 12 सिलेंडर देंगे.
- वृद्धावस्था और विधवा पेंशन को बढ़ाकर 3000 रुपये करेंगे.
- महिलाओं को सभी सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त यात्रा की परिमिशन देंगे.
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को शादी के लिए सहायता राशि 50000 से बढ़ाकर 75000 मिलेगी.
- अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की दिशा में काम करेंगे
- हम यूसीसी या एनआरसी के खिलाफ हैं. राष्ट्रीय एकता, भाईचारा, सांप्रदायिक सद्भाव, सुरक्षा और सामाजिक न्याय की हिमायत करने वाली ताकतों का समर्थन करेंगे.
- दरबार मूव की बहाली: हम दरबार मूव को पूरी तरह बहाल करके अपने जम्मू-कश्मीर की एकता को बढ़ाने का संकल्प लेते हैं.
- जम्मू-कश्मीर मुस्लिम वक्फ: हम जम्मू-कश्मीर में वक्फ बोर्ड को उसके पुराने रूप में बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
- राज्य के ध्वज की बहाली: हम अपनी गरिमा, पहचान और विरासत के लिए राज्य के संविधान और राज्य ध्वज को बहाल करने का भी प्रयास करेंगे.
- हम तख्त-ए-सुलेमान (शंकराचार्य पर्वत) को कोह-ए-मारन (हरि पर्वत किला) के साथ रोपवे से जोड़ने पर विचार करेंगे. इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
घोषणा पत्र पर पहले ही हमला बोल चुकी है बीजेपी
ये वादे नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणा पत्र में किए हैं. इसमें कई ऐसे वादे हैं, जिन पर जम्मू रीजन के हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों का उसे गुस्सा झेलना पड़ सकता है. दरबार मूव जैसी व्यवस्था पर सरकार का खर्च भी बढ़ेगा.नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणा पत्र को लेकर बीजेपी चुनाव में भी हमला बोल चुकी है. इसको लेकर गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस को भी टारगेट कर चुकी है.
कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन पर पीएम मोदी ने चुनावी रैली में कहा था, उनका घोषणा पत्र देखकर पाकिस्तान बहुत खुश है. पाकिस्तान ने खुले तौर पर अपना समर्थन दिया है. पीएम मोदी नेपाकिस्तान सरकार में मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस बयान का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 की बहाली के मुद्दे पर शरीफ सरकार और कांग्रेस व नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन एकमत हैं.
कांग्रेस के लिए ये लोहे के चने चबाने जैसा होगा
बेशक नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए ये कहना आसान हो कि वो अनुच्छेद-370 की बहाली पर काम करेगी लेकिन कांग्रेस के लिए ये लोहे के चने चबाने जैसा होगा. अब अगर गठबंधन इस पर बात करेगा तो बीजेपी के लिए ये देश व्यापी मुद्दा होगा. जिस पर वो कांग्रेस को घेरेगी. अगर गठबंधन इस मुद्दे पर काम नहीं करता है तो वादा खिलाफी होगी.
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एनसी ने कई और भी वादे किए हैं, जिनके लिए भारी भरकम बजट की जरूरत होगी. अब देखना होगा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अपने किन-किन वादों पर खरा उतरती है. उसके कई वादों में कांग्रेस को अग्निपरीक्षा भी देनी होगी. खासकर वो मुद्दे जिनका सीधे देश की राजनीति पर असर है. इसमें एक मुद्दा पाकिस्तान से बातचीत वाला भी है. क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के इस कदम पर उसका साथ देगी. ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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