Political – अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक के बीच शह-मात का खेल, कैसे दोस्त से बने एक-दूसरे के दुश्मन- #INA

अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक

महाराष्ट्र की सियासत में उत्तर भारतीय दो मुस्लिम नेताओं की सियासत एक साथ एक ही दल से सियासी परवान पर चढ़ी, लेकिन सियासी वर्चस्व की जंग में अब एक दूसरे को मात देने के लिए उतर गए हैं. बात कर रहे हैं अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक की. ये दोनों ही मुस्लिम नेता उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से आते हैं और मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों से किस्मत आजमाते रहे हैं. इनके बीच गहरी दोस्ती थी और सपा से ही विधायक चुने गए थे, लेकिन सियासत ने अब एक दूसरे को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है.

मुंबई की सियासत में अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक जाने-पहचाने मुस्लिम चेहरे हैं और दोनों ही उत्तर भारतीय नेता हैं. अबू आसिम आजमी मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से तीन बार विधायक बन चुके हैं और चौथी बार मैदान में उतरे हैं. नवाब मलिक मुंबई की अणुशक्तिनगर सीट से चुनाव लड़ते और विधायक चुने जाते रहे हैं. एक समय में दोनों ही सपा के कद्दावर नेता रहे हैं, लेकिन बाद में दोनों ही सियासी राहें अलग-अलग हो गई. नवाब मलिक ने सपा छोड़कर एनसीपी का दामन थाम लिया और शरद पवार के करीबी हो गए तो अबू आसिम आजमी ने सपा की कमान पूरी तरह अपने हाथों में ले ली.

सियासी तौर कौन किस पर पड़ेगा भारी?

नवाब मलिक एनसीपी में रहे तो अबू आसिम आजमी सपा से राजनीति करते रहे. इसके बाद भी कभी एक दूसरे के खिलाफ खुलकर चुनौती नहीं दी, लेकिन इस बार दोनों एक दूसरे से सियासी तौर पर निपटने के लिए उतरे हैं. अबू आसिम आजमी ने नवाब मलिक की सियासी प्रभाव वाले अणुशक्तिनगर में अपना दांव चला तो नवाब मलिक ने मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पर आजमी को सीधे चुनौती देने के लिए खुद ही उतर गए हैं. ऐसे में देखना है कि नवाब मलिक और अबू आजमी के बीच चल रहे सियासी शह-मात के खेल में कौन किस पर भारी पड़ता है?

ये भी पढ़ें

आजमी ने मलिक के खिलाफ बिछाई बिसात

महाराष्ट्र की मुस्लिम सियासत में अबू आसिम आजमी अपना एकछत्र राज कायम करने के लिए लंबे समय से कवायद में जुटे हैं तो नवाब मलिक भी अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं. नवाब मलिक मनी लांड्रिंग मामले में जेल गए तो अबू आजमी ने अपना सियासी दांव चलना शुरू कर दिया. नवाब मलिक की कर्मभूमि अणुशक्तिनगर सीट पर अबू आजमी अपने करीबी फहाद अहमद को चुनाव लड़ाने की कवायद में जुट गए थे. टाटा इंस्टीट्यूट से पढ़ाई करते हुए फहाद सपा नेता अबू आसिम के साथ जुड़ गए थे. ऐसे में सपा से अपनी राजनीति करने लगे थे.

मैदान में स्वरा भास्कर फहाद मलिक

फहाद की शादी फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर से होने के बाद अबू आजमी को लगा कि सपा से उन्हें चुनाव लड़ाकर नवाब मलिक को पूरी तरह निपटा देंगे, क्योंकि बीजेपी ने भी मलिक के खिलाफ आक्रमक रुख इख्तियार कर रखा था. इस तरह अबू आसिम आजमी ने मजबूत सियासी बिसात बिछाई थी और सपा के लिए जिन सीटों की डिमांड की थी, उसमें अणुशक्तिनगर सीट का नाम भी शामिल था. फहाद लगातार क्षेत्र में शक्रिय थे और अबू आजमी ने भी उनके लिए बैटिंग शुरू कर दी थी.

सना मलिक बनाम फहाद अहमद

अणुशक्तिनगर सीट से अजीत पवार ने नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को एनसीपी से प्रत्याशी बनाया है. महा विकास अघाड़ी में यह सीट सपा मांग रही थी, लेकिन जब एनसीपी के कोटे में गई तो फहाद शरद पवार का दामन थामकर मैदान में उतर गए. इस तरह अणुशक्ति नगर सीट पर सना मलिक बनाम फहाद अहमद के बीच चुनावी लड़ाई बन गई. मुस्लिम बहुल सीट पर पिछले तीन चुनाव के नतीजे देखें तो दो बार एनसीपी के टिकट पर नवाब मलिक जीते हैं और 2014 में शिवसेना ने जीते थे. इस बार अबू आजमी अपने करीबी फहाद को लड़ाकर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन नवाब मलिक ने भी तुरुप का पत्ता चल दिया है.

नवाब मलिक बनाम अबू आजमी जंग

अणुशक्तिनगर सीट पर अबू आसिम आजमी ने नवाब मलिक की बेटी के खिलाफ अपने करीबी को शरद पवार की एनसीपी से उतारा. इसके जवाब में नवाब मलिक मानखुर्द शिवाजी नगर सीट सीट पर अबू आजमी के खिलाफ खुद ताल ठोक दी. आजमी तीन बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं और सपा का गढ़ माना जाता है. मुस्लिम सियासत के लिहाज से मानखुर्द सीट काफी मुफीद मानी जाती है और उत्तर भारतीय मुस्लिमों का दबदबा है. इसीलिए अबू आजमी यहां से चुनाव लड़कर विधायक बनते रहे हैं, लेकिन इस बार नवाब मलिक ने एनसीपी से ताल ठोककर सियासी टेंशन पैदा कर दी है.

मुस्लिम वोटों का होगा बिखराव

मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पर अबू आसिम आजमी भले अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हों, लेकिन नवाब मलिक के एनसीपी प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरने के बाद चुनावी मुकाबला रोचक हो गया है. इस सीट पर मुस्लिम वोटर जो हैं, उनमें बड़ी संख्या यूपी के मुस्लिमों की है और खासकर पूर्वांचल बेल्ट के हैं. अबू आसिम और नवाब मलिक दोनों ही पूर्वांचल से होने के नाते, दोनों का ही प्रभाव है. ऐसे में मुस्लिम वोटों का बिखराव होता है तो आजमी के लिए राह आसान नहीं रहने वाली. इस तरह नवाब मलिक और अबू आसिम आजमी के बीच बयानबाजी तेज हो गई है.

नवाब मलिक के विरोध का नाटक

अबू आसिम आजमी का कहना है कि नवाब मलिक आ नहीं रहे बल्कि बीजेपी उन्हें भेज रही है.उन्होंने कहा कि बीजेपी जानती है कि उन्हें मुस्लिमों के वोट नहीं मिलते, इसलिए मुस्लिम वोटों को बांटने के लिए बीजेपी जानबूझकर नवाब मलिक के विरोध का नाटक कर रही है. आखिर उनकी बेटी तो महायुति से ही लड़ रही हैं. ऐसे में नवाब मलिक कहते हैं कि मानखुर्द विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ने की तैयारी पहले ही कर ली थी और अजीत पवार ने उन पर भरोसा जताकर बड़ा दांव चला है. इस सीट पर शिवसेना ने भी अपना प्रत्याशी उतार रखा है.

मुंबई में मुस्लिम चेहरे बनने की लड़ाई

नवाब मलिक उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील के छोटे से धुसवा गांव के रहने वाले हैं. उनका परिवार 1970 में मुंबई चला गया. नवाब मलिक के पिता मो. इस्लाम मलिक मुंबई के डोंगरी में छोटा सा कारोबार करते थे, लेकिन बाद में कुर्ला में शिफ्ट हो गए. नवाब मलिक ने अपनी पढ़ाई लिखाई से लेकर सियासत व करोराबर तक मुंबई में किया. कांग्रेस के दिग्गज नेता गुरुदास कामत के खिलाफ चुनाव लड़े और बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया और विधायक बने. इसके बाद अबू आजमी के साथ सियासी अदावत के चलते सपा छोड़कर एनसीपी में हो गए और महाराष्ट्र में कई बार मंत्री भी बने.

सपा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान

वहीं, अबू आसिम आजमी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से जाकर मुंबई में बसे हैं. मुंबई में ही कारोबार से लेकर सियासत तक की, लेकिन मानखुर्द शिवाजी नगर सीट को अपनी कर्मभूमि बनाया और लगातार तीन बार विधायक चुने गए. सपा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान आजमी ही संभाल रहे हैं. मुस्लिम सियासत के आक्रमक चेहरे माने जाते हैं. इस तरह अपना सियासी दबदबा बनाए रखना चाहते हैं. इसके लिए मजबूत मुस्लिम नेताओं को भी सियासी हाशिए पर लगाने का काम किया है. इस तरह से अबू आजमी और नवाब मलिक अब एक दूसरे के खिलाफ उतरे हैं. इनमें से जो भी चुनाव हारेगा, उसके लिए आगे की सियासी राह काफी मुश्किलों भरी हो जाएगी?

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button