भारत ने श्रीलंका के समक्ष मछुआरों की समस्याओं को उठाया

कोलंबो। मत्स्य पालन पर भारत-श्रीलंका संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की छठी बैठक मंगलवार को कोलंबो में आयोजित हुई। इस दौरान दोनों पक्षों ने मछुआरों और मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित सभी प्रासंगिक मुद्दों की व्यापक समीक्षा की।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी और श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्रीलंका सरकार के मत्स्य पालन मंत्रालय के सचिव एम. विक्रमसिंघे ने किया। बैठक में भारत के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अलावा विदेश मंत्रालय, तमिलनाडु सरकार, नौसेना, तटरक्षक बल, केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान और कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

इस सत्र में मछुआरों और मछली पकड़ने के उद्योग से संबंधित सभी मुद्दों पर दोनों पक्षों द्वारा विस्तार से समीक्षा की गई। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा बैठक में भारतीय पक्ष ने मछुआरों के मुद्दों से निपटने के दौरान मानवीय और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया और गिरफ्तार भारतीय मछुआरों और हिरासत में ली गई नौकाओं की शीघ्र रिहाई का आग्रह किया।

दूतावास ने एक बयान में कहा दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि मछुआरों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों को मानवीय तरीके से संबोधित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि ये दोनों पक्षों की आजीविका से संबंधित हैं। भारतीय पक्ष ने श्रीलंका की हिरासत में भारतीय मछुआरों और उनकी नौकाओं की बढ़ती संख्या की ओर भी ध्यान दिलाया और मछुआरों से संबंधित मुद्दों पर स्थापित समझ और तौर-तरीकों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने निगरानी और गश्त, अपनी हॉटलाइन के माध्यम से नियमित संपर्क बनाए रखने और अन्य सभी परिचालन मामलों सहित सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। भारतीय पक्ष ने समुद्र में हाल की दुखद घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसके कारण दुर्भाग्यपूर्ण चोटें और जानमाल का नुकसान हुआ है। भारत ने दृढ़ता से दोहराया कि सभी परिस्थितियों में बल के प्रयोग से बचना चाहिए।

(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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