Political – झारखंड चुनाव के आखिरी राउंड में ‘नामकरण’ तक पहुंची लड़ाई, दिल्ली से रांची तक खेले जा रहे दांव- #INA

हेमंत सोरेन, अमित शाह, बाबूलाल मरांडी

झारखंड की सियासत को अपने पक्ष में कैसे साधा जाए, इसको लेकर दिल्ली से रांची तक दांव खेले जा रहे हैं. झारखंड चुनाव के आखिरी राउंड की लड़ाई ‘नामकरण’ तक पहुंच गई है. सत्ताधारी झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) और बीजेपी दोनों ही पार्टियां भगवान बिरसा मुंडा के सहारे सियासी दांव खेलने में लगी है. मगर यह दांव कितना कारगर साबित होगा, यह 23 नवंबर को ही पता चलेगा.

दरअसल, हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली के सराय काले खां बस अड्डा चौक का नाम भगवान बिरसा मुंडा के नाम रखा तो रांची में सियासी खलबली मच गई. इसके बाद हेमंत सोरेन ने भी भगवान बिरसा मुंडा को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया. सोरेन ने रविवार को कहा कि झारखंड के सर्वोच्च पुरस्कार का नाम अब ‘भगवान बिरसा मुंडा-भगवान सिदो-कान्हू’ रखा जाएगा.

हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार बनी तो पहली कैबिनेट में राज्य के सर्वोच्च सम्मान का नाम बिरसा मुंडा के नाम पर होगा. सीएम सोरेन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर कहा, ‘झारखंड के सर्वोच्च पुरस्कार का नाम ‘भगवान बिरसा मुंडा-भगवान सिदो-कान्हू पुरस्कार’ होगा. अबुआ सरकार (अपनी सरकार) की पहली कैबिनेट का यह पहला फैसला होगा. झारखंड के वीर शहीद अमर रहें. जय झारखंड.’

दिल्ली का सरायकाले खां चौक हुआ बिरसा मुंडा चौक

भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया. दिल्ली के सरायकेला खां चौक का नाम बदलकर भगवान बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नाम बदलने का ऐलान किया. इसके अलावा इस चौक के पास ही बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा का भी अनावरण किया गया. झारखंड बीजेपी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा को ये सम्मान मिलने में 77 साल क्यों लग गए क्योंकि आदिवासियों का वोट लेने वाला शाही परिवार नोट लेकर अपनी तिजोरियां भरने में मस्त रहा.

Bhagwan Birsa Munda

यह हमारे अराध्य का अपमान- हेमंत सोरेन

दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक करने पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भड़क गए. उन्होंने इस आपत्ति जताई. सोरेन ने कहा कि यह हमारे अराध्य का अपमान नहीं तो और क्या है? हमारे भगवान को सम्मान देने के लिए उन्हें कुछ नहीं मिला. सोरेन ने कहा कि सेंट्रल विस्टा का नाम भी तो हमारे भगवान पर रखा जा सकता था लेकिन नहीं. हम इस फैसले को जल्द से जल्द वापस लेने की मांग करते हैं. हमारे भगवान को उचित सम्मान दें.

कौन थे भगवान बिरसा मुंडा?

भगवान बिरसा मुंडा ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. वह झारखंड के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता थे. उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातू गांव में हुआ था. महज 25 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. इस छोटे से जीवन काल में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी ने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला कर रख दी. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट किया और अपने अधिकारों के लिए लड़ने का फैसला किया.

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