यूपी- UP: 68 तीर्थों वाले संभल में मिला एक और मंदिर, प्रशासन ने कराई साफ सफाई – INA

68 तीर्थों और 19 कूपों वाली उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी संभल में प्रशासन की टीम ने एक और मंदिर को खोज निकाला है. यह मंदिर हयातनगर थाना क्षेत्र के खग्गू सराय इलाके में है. प्रशासन की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मंदिर का ताला खुलवाया दिया है. वहीं प्रशासन की टीम ने मंदिर की विधिवत साफ सफाई कराई है. इस मंदिर के अंदर हनुमान जी और राधा कृष्ण के दिव्य दरबार बने हुए हैं. माना जा रहा है कि यह मंदिर करीब लंबे समय से बंद था.
स्थानीय लोगों के मुताबिक इस स्थान पर सैनी समाज के लोग रहा करते थे. इनकी आबादी करीब दो-ढाई सौ के आसपास थी. हालांकि बाद में जब यहां मुस्लिम आबादी की बसावट ज्यादा हुई और ये लोग हड्डियों का काम करने लगे तो इसकी बदबू से परेशान होकर सैनी समाज के लोग अपनी जमीन बेचकर यहां से चले गए थे.स्थानीय लोगों के मुताबिक कुछ समय पहले तक इस मंदिर में होली, दिवाली समेत अन्य पर्वों पर पूजा पाठ का आयोजन होता रहता था.
श्रीमद भागवत में है संभल की कहानी
बता दें कि उत्तर प्रदेश की संभल नगरी एक ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी है. इस नगर के बाद में श्रीमद भागवत के 12वें स्कंध के दूसरे अध्याय में विस्तार से बताया गया है. इस महान ग्रंथ में संभल को भगवान नारायण के 24वें अवतार कल्कि की प्रकटस्थली कहा गया है. वहीं इस नगर के बारे में कहा गया है कि 68 तीर्थों वाले इस नगर में 19 कूप (कुआं), 36 पूरे (गांव) व 52 सरायों (यात्रियों के ठहरने वाला स्थान) होंगे. आज भी संभल के विभिन्न इलाकों की पहचान सराय के रूप में होती है.
अतिक्रमण हटाने के दौरान मिला था मंदिर और कूप
वहीं हाल ही में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए बवाल के बाद जब जिला प्रशासन ने यहां अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो एक-एक कर मंदिर और कुएं मिलने शुरू हुए हैं. दो दिन पहले ही यहां पर कार्तिकेय महादेव मंदिर मिला था. उसी परिसर में अमृत कूप मिला. वहीं अब एक दूसरा मंदिर मिल गया है. अब तक यहां दो मंदिर और तीन कुएं मिल चुके हैं. धर्माचार्यो के मुताबिक इस स्थान पर अभी भी 65 से अधिक मंदिर और 16 कुओं का मिलना बाकी है. प्रशासन भी पौराणिक मान्यताओं के आधार पर इन धर्म स्थलों और कुओं की तलाश में जुट गया है. इसी प्रकार संभल के जिन 52 सरायों की बात कही गई है, प्रशासन उनकी भी पहचान करने की कोशिश कर रहा है.
मुस्लिम आबादी की वजह से हिंदुओं ने किया था पलायान
उधर, प्रशासन ने बताया कि हयातनगर थाना क्षेत्र में मिले इस राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण 1982 में कराया गया था. हालांकि धर्माचार्यो का कहना है कि यहा मंदिर पहले से था और 1982 में इसका जीर्णोद्धार कराया गया था. यहां रहने वाले ऋषिपाल सिंह के मुताबिक मंदिर की चाबी उनके पास ही रहती थी. यहां समय-समय पर पूजा भी होती थी, लेकिन असुरक्षा के भाव के चलते वह इस स्थान को छोड़ कर चले गए थे. सैनी समाज के बुद्ध सेन सैनी ने बताया कि मुस्लिम आबादी की वजह से उन्हें अपना मकान और जमीन बेच कर यहां से जाना पड़ा है. हालांकि अब भी समय समय पर वह लोग यहां आकर पूजा पाठ करते हैं.
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