World News: अमेरिका का अगला अलास्का होगा ग्रीनलैंड? 158 साल पहले रूस और अमेरिका में हुई थी ये डील – INA NEWS
डोनाल्ड ट्रंप की महत्वाकांक्षाओं को लेकर दुनिया में चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही है. जैसे ही ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर का विशेष विमान ग्रीनलैंड की धरती पर उतरा तो वैश्विक राजनीति में हलचल मच गई. अब तक जो ट्रंप के इन बयानों को मजाक में ले रहे थे उन्हें अब लगने लगा है कि यह ट्रंप के ग्रेटर अमेरिका मिशन का एक हिस्सा है, जिसमें वे ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल कराना चाहते हैं. इससे पहले ट्रंप कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कह चुके हैं और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपने पद से इस्तीफा देने पर मजबूर कर चुके हैं.
ट्रंप ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया कि ग्रीनलैंड को लेकर वह हर संभव कदम उठाएंगे, जिसमें सैन्य कार्रवाई तक शामिल है. उन्होंने डेनमार्क को ग्रीनलैंड बेचने का प्रस्ताव दिया है. डेनमार्क की बिगड़ती अर्थव्यवस्था और अमेरिका के दबाव को देखते हुए यह सौदा संभव भी लग रहा है, लेकिन सवाल यह है कि ट्रंप ग्रीनलैंड को लेकर इतने उत्साहित क्यों हैं, और इससे अमेरिका को क्या फायदे होंगे?
अमेरिकी इतिहास में ऐसा सौदा पहले भी हो चुका है
1867 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने रूस से अलास्का को $7.2 मिलियन में खरीदा था. उस समय रूस को लगा था कि अलास्का उनके लिए आर्थिक रूप से बोझ है, लेकिन यह सौदा बाद में अमेरिका के लिए एक वरदान साबित हुआ. अलास्का न केवल खनिज संसाधनों का भंडार है, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. आज रूस इस सौदे पर पछता रहा है.
ग्रीनलैंड का मामला भी अलास्का की तरह है. यह दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, जिसमें खनिज संपदा (Mineral Wealth ) और सामरिक महत्व (Strategic Importance) काफी ज्यादा है. ट्रंप इसे अमेरिका का अगला अलास्का बनाने का सपना देख रहे हैं.
ग्रीनलैंड अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
1.सामरिक दृष्टिकोण से अहम:
ग्रीनलैंड आर्कटिक क्षेत्र में स्थित है, जहां से रूस और यूरोप पर नजर रखना आसान है. यहां से अमेरिकी सेना की पहुंच उत्तरी अटलांटिक और आर्कटिक महासागर में बेहद मजबूत हो जाएगी.
2.खनिज संसाधनों का भंडार:
ग्रीनलैंड में दुर्लभ खनिज, तेल और गैस के विशाल भंडार हैं. अमेरिका इन संसाधनों का इस्तेमाल अपने औद्योगिक और रक्षा उत्पादन को बढ़ाने के लिए कर सकता है.
3.जलवायु परिवर्तन के अवसर:
ग्रीनलैंड की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे वहां नए समुद्री रास्ते खुल रहे हैं. ये रास्ते व्यापार और सामरिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
4.अमेरिका की वैश्विक ताकत बढ़ेगी:
ग्रीनलैंड को शामिल करने से अमेरिका की भौगोलिक और सामरिक स्थिति रूस और चीन के मुकाबले और मजबूत हो जाएगी.
5.डेनमार्क की आर्थिक स्थिति:
डेनमार्क की अर्थव्यवस्था कमजोर है और ग्रीनलैंड के रखरखाव पर भारी खर्च हो रहा है. ऐसे में ग्रीनलैंड को बेचने से डेनमार्क को राहत मिल सकती है.
वर्तमान वैश्विक परिस्थितियां अमेरिका के लिए अनुकूल क्यों हैं?
रूस का फोकस यूक्रेन पर:
रूस ने यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है और उसका पूरा ध्यान इस युद्ध पर केंद्रित है.
चीन की ताइवान पर नजर:
चीन ताइवान को लेकर आक्रामक है, जिससे उसका ध्यान दूसरी वैश्विक घटनाओं से भटका हुआ है.
मध्य पूर्व में अस्थिरता:
इजराइल का मध्य पूर्व में विस्तार जारी है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ रहा है.
वैश्विक संस्थाओं की कमजोरी:
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस वक्त कमजोर स्थिति में हैं और अमेरिका को रोकने में असमर्थ हैं.
ट्रंप का सपना: ग्रेटर अमेरिका
डोनाल्ड ट्रंप ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल कर अपनी ऐतिहासिक छवि बनाना चाहते हैं. अलास्का की तरह यह कदम न केवल आर्थिक और सामरिक दृष्टि से फायदेमंद होगा, बल्कि प्रेसिडेंट एंड्रयू जॉनसन की तरह उन्हें इतिहास में अमर भी करेगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या डेनमार्क इस प्रस्ताव को स्वीकार करेगा? और क्या वैश्विक समुदाय ट्रंप के इस कदम को चुपचाप देखेगा? ट्रंप का यह सपना न केवल रोमांचक है, बल्कि दुनिया के भू-राजनीतिक नक्शे को बदलने की ताकत रखता है.
अमेरिका का अगला अलास्का होगा ग्रीनलैंड? 158 साल पहले रूस और अमेरिका में हुई थी ये डील
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