दुनियां – बारूदी आग में झुलसा सीरिया, बशर सरकार का तख्तापलट, संकट में रूस और ईरान – #INA
सीरिया में विद्रोह की शुरुआत को अरब की दूसरी क्रांति कहा जा रहा है, लेकिन ये क्रांति भड़की नहीं बल्कि भड़काई गई है. इसके पीछे सबसे बड़ा मकसद है ईरान की प्रॉक्सी ताकत को खत्म करना, जिसका जिम्मा विद्रोही संगठन HTS को दिया गया है. इस क्रांति के पीछे अमेरिका, इजराइल और तुर्किए की रणनीति है. बाइडेन ने इजराइल को प्रॉक्सी संकट से निकालने के लिए सीरिया विद्रोह की प्लानिंग की है और तुर्किए अपने हितों के चलते इसे गुप्त समर्थन दे रहा है. सीरिया के विद्रोही गुटों ने अलेप्पो शहर पर कब्जा कर लिया है और बशर अल असद का तख्तापलट करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. देखिए अमेरिका की इस कूटनीति के चलते अरब में क्या हालात होने वाले हैं और रूस-ईरान कैसे संकट में फंसते जा रहे हैं?
लेबनान युद्धविराम के साथ लगा कि अरब शांति की ओर लौट सकता है, लेकिन ये शांति सिर्फ क्षणिक साबित हुई. लेबनान युद्धविराम की शाम को ही सीरिया में बशर अल असद सरकार के खिलाफ गृहयुद्ध का दूसरा अध्याय शुरू हो गया. 2016 से अलेप्पो पर बशर अल असद सरकार का नियंत्रण था, लेकिन तीन दिन की जंग में ही एक बार फिर विद्रोही गुट HTS ने अलेप्पो पर कब्जा कर लिया. अलेप्पो में सीरियन आर्मी के ठिकानों पर HTS के लड़ाके बशर अल असद के सैनिकों को बंधक बना रहे हैं. सीरिया की सड़कों और स्मारकों से सीरिया के झंडे उतारे जा रहे हैं. अलेप्पो के बाहरी इलाकों से लेकर सिटी सेंटर तक HTS के लड़ाके और उनके टैंक नजर आ रहे हैं.
अलेप्पो की जंग में अब तक 200 लोगों की मौत
अलेप्पो की जेलों से असद सरकार के विरोधियों को रिहा किया जा रहा है और ये लोग HTS के साथ जुड़कर असद के खिलाफ हथियार उठा रहे हैं. HTS के नेता अबु मोहम्मद अल जुलानी ने लड़ाकों को नागरिकों की रक्षा करने और बंधकों को अपने साथ जोड़ने के आदेश दिए हैं. अलेप्पो में 2019 में सीजफायर लागू हुआ था, लेकिन अब HTS का पूरे शहर पर कब्जा हो चुका है. अलेप्पो की जंग में अब तक 200 लोगों की मौत हो चुकी है. HTS के लड़ाकों ने अलेप्पो पर कब्जा जमाने के बाद दमिश्क का ऑपरेशन शुरू करने का ऐलान कर दिया है. सीरिया की राजधानी दमिश्क अलेप्पो से 350 किलोमीटर दूर है. 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध में सीरिया में बशर सरकार बच गई थी लेकिन इस बार असद सरकार के तख्तापलट की तैयारी है और इसके लिए कई संगठन एकसाथ जंग में उतर गए हैं.
बारूदी आग में झुलसा सीरिया
हयात तहरीर अल शाम के हाथ में जंग की कमान
जंग की कमान HTS यानी हयात तहरीर अल शाम के हाथ में है. इस संगठन में अमेरिकी समर्थन वाले ISIS और अल कायदा के लड़ाके शामिल हैं. इसके अलावा अल नुसरा संगठन के लड़ाके भी जंग में शामिल हो गए हैं. इनके साथ जेलों से रिहा असद सरकार के विरोधी भी जुड़ रहे हैं. चेचेन्या के चेचन विद्रोही भी HTS के साथ जुड़ गए हैं. सीरिया की जंग बड़ी रणनीति के तहत भड़काई गई है जिसका पहला एपिसेंटर अलेप्पो बना है. HTS और उसके साथी संगठनों ने अलेप्पो सिटी सेंटर पर कब्जा कर लिया है.
इसके साथ ही उत्तरी अलेप्पों के 50 से ज्यादा इलाकों पर भी HTS का कब्जा हो चुका है. सीरियन आर्मी के 15 से ज्यादा बेस पर भी HTS का नियंत्रण हो चुका है. अलेप्पो पुलिस मुख्यालय में भी HTS के लड़ाके कब्जा जमा चुके हैं. 2011 में बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह हुआ. 2012 में विद्रोही गुटों ने अलेप्पो पर कब्जा कर लिया था. उसके बाद असद को रूस का समर्थन मिला. 2016 में अलेप्पो में विद्रोहियों पर बमबारी की गई. असद को ईरान का समर्थन भी हासिल था. 2016 में विद्रोहियों पर हिजबुल्लाह के हमले हुए और अलेप्पो पर फिर बशर सरकार का राज हो गया
ये 3 देश हैं सीरिया विद्रोह के रणनीतिकार
अरब की इस नई जंग को भड़काने की प्लानिंग बहुत पहले से हो रही थी और इस विद्रोह के पीछे रणनीतिकार 3 देश हैं. इसमें पहला देश है अमेरिका जिसका मकसद रूस को सीरिया जंग में उलझाना है, दूसरा है इजराइल जिसका मकसद हिजबुल्लाह के हाथ-पांव काटना है. तीसरा है तुर्किए, जिसके विरोधी गुटों को सीरिया में शरण दी गई है. इन तीन देशों ने मिलकर सीरिया जंग की रणनीति तैयार की है. एक एक करके समझते हैं कि इन देशों ने ऐसा क्यों किया. अमेरिका अक्टूबर 2023 से अरब के जंग में उलझा है. उस पर इजराइल को हमलों से बचाने का दबाव है और इसीलिए विद्रोह भड़काया गया
सीरिया के 30% उत्तरी हिस्से पर विद्रोहियों का कब्जा है. इस हिस्से में अमेरिका के 900 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं. इसी हिस्से में अमेरिका के सैन्य बेस हैं. गाजा युद्ध के बाद से अमेरिका के इन बेस पर सीरिया में सक्रिय ईरान समर्थक प्रॉक्सी के हमले शुरू हो गए थे. अमेरिका चाहता है कि ईरानी प्रॉक्सी को विद्रोही गुटों के साथ जंग में उलझाया जाए इसीलिए अमेरिका के इशारे पर HTS को हथियार सप्लाई हुई और सीरिया में जंग भड़काई गई. सितंबर के महीने से ही इजराइली वायुसेना ने सीरिया में हवाई हमले बढ़ा दिए थे और ये इस गृहयुद्ध की भूमिका का हिस्सा थे.
सीरिया पर 3 महीने में 33 से ज्यादा एयर स्ट्राइक
सीरिया पर इजराइल ने तीन महीने में 33 से ज्यादा एयर स्ट्राइक की. ये स्ट्राइक हिजबुल्लाह के ठिकानों पर की गईं. विद्रोहियो के खिलाफ हिजबुल्लाह असद सरकार की मदद कर रहा था. बदले में सीरिया से हिजबुल्लाह को हथियार सप्लाई हो रहे थे. इजराइल ने लेबनान और सीरिया में हिजबुल्लाह को कमजोर कर दिया. हिजबुल्लाह के कमजोर होते ही असद सरकार के बदला लेने के लिए HTS को समर्थन देकर विद्रोह भड़का दिया गया. विद्रोह के पीछे तीसरा देश तुर्किए है, हालांकि अर्दोआन ने 30 नवंबर को इनकार किया है कि तुर्किए विद्रोहियों का समर्थन नहीं करता है. लेकिन अर्दोआन का सीरिया से बड़ा हित जुड़ा है.
सीरिया में असहाब अल कहाफ, कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी, हरकत हिजबुल्लाह अल नुजाबा जैसे कई सशस्त्र विद्रोही संगठन सक्रिय हैं. ये सीरियाई सीमा में रॉकेट और मिसाइल हमले करते रहते हैं. इन संगठनों को असद सरकार का समर्थन है. इसीलिए माना जा रहा है कि फ्री सीरियन आर्मी की तरह इस विद्रोह के पीछे भी तुर्किए है. माना जा रहा था कि अरब महासंग्राम की आंच अब धीमी होने लगी है, लेकिन सीरिया विद्रोह की वजह से ये जंग अब पहले से ज्यादा भड़क सकती है और सुपरपावर्स का टकराव हो सकता है.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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