दुनियां – चीन में भ्रष्टाचार किया तो बचना मुश्किल है, एक दशक में 50 लाख लोगों की हुई ‘छुट्टी’ – #INA
चीन, जो दुनिया की एक बड़ी आर्थिक ताकत है, अपनी सख्त भ्रष्टाचार विरोधी नीति के लिए जाना जाता है. यहां भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर या तो मौत की सज़ा सुना दी जाती है, या फिर दोषी को पूरी जिंदगी जेल की चारदीवारी में कैद रहना पड़ता है. चाहे वह व्यक्ति सरकार का ताकतवर मंत्री हो या कोई अरबपति हो, कानून से कोई नहीं बच सकता.
अगर आप सोच रहे हैं कि शी जिनपिंग का भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कड़ा अभियान कब थमेगा, तो इसका सीधा जवाब है—शायद कभी नहीं. क्योंकि पिछले एक दश्क में 50 लाख लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है और ये अब भी बड़े पैमाने पर जारी है.
हाल ही में चीन में भ्रष्टाचार से जुड़ी दो बड़ी खबरें सामने आईं. पहली, चीन के रक्षा मंत्री डोंग जुंग के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच शुरू हो गई है. डोंग जुंग तीसरे चीनी रक्षा मंत्री हैं जिन पर इस तरह की जांच चल रही है. दूसरी खबर इससे भी ज्यादा ध्यान खींचने वाली है, जो भ्रष्टाचार के गहराते दायरे को उजागर करती है. चीन में बैंक ऑफ चाइना के पूर्व चेयरमैन लियू लियांग को भ्रष्टाचार और गैरकानूनी लोन देने के आरोप में मौत की सजा दी है.
पूरा मामला क्या है?
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में शीर्ष पदों पर बैठे लोग भ्रष्टाचार में लिप्त बताए जाते हैं. रक्षा मंत्री डोंग जुन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाकर चलाए जा रहे एंटी-करप्शन ड्राइव के तहत इन आरोपों में फंसे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक चीन को डर है कि भ्रष्टाचार की वजह से चीन की सेना कमजोर हो रही है. इसलिए 2023 से चीन की सेना में एंटी करप्शन ड्राइव चलाया जा रहा है, इसके तहत अब तक नौ PLA जनरल और कई अधिकारियों को हटाया गया है.
वहीं लियू की बात करें तो चीन की अदालत ने उन्हें करीब 168 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाया. इसके अलावा, उन्होंने करीब 4,620 करोड़ रुपये के गैरकानूनी लोन ऐसे कंपनियों को दिए जो इसके योग्य नहीं थीं. लियू को राजनीतिक अधिकारों से हमेशा के लिए वंचित कर दिया गया. उनकी पूरी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी. साथ ही उन्होंने जो भी गैरकानूनी तरीके से कमाई की है उसे जब्त कर राज्य के खजाने में जमा किया जाएगा.
2012 से चल रहा है एंटी करप्शन ड्राइव
नवंबर 2012 में शी जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना यानी सीसीपी के जनरल सेक्रेटरी चुने गए. तब से लेकर ही उनका भ्रष्टाचार को लेकर रूख सख्त रहा है. दरअसल सीसीपी का चीन पर 1949 के बाद से कब्जा रहा है. उसी दौर में पार्टी के भविष्य को लेकर एक आशंका हावी होने लगी थी. वो ये कि पार्टी के अंदर भाई-भतीजावाद बढ़ रहा है. ये लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुके हैं. जिनपिंग भी इससे भली भांति परिचित थे. फिर जब मार्च 2013 में शी जिनपिंग चीन के राष्ट्रपति बन गए तो उन्होंने कुछ ही समय बाद ही एंटी-करप्शन कैंपेन लॉन्च कर दिया.
अब तक इस अभियान के तहत 50 लाख अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है. भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के निशाने पर बड़े अधिकारियों के साथ साथ निचले स्तर के कर्मचारी भी रहे हैं. वहीं साल 2023 के दिसंबर में चीन की विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) की स्थायी समिति ने देश के आपराधिक कानून में संशोधन पारित किया था. इसका मकसद रिश्वतखोरी के लिए सज़ा को सख्त करना था. इस संशोधन के जरिए ही करप्शन के लिए मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया था.
चीन की आलोचना क्यों होती है?
भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की आलोचना इसी एक बात से ज्यादा होती है कि इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है. दूसरे देशों में इस तरह के केसेस से निपटने के लिए इंडिपेंडेंट डिपार्टमेंट होता है जहां किसी भी पार्टी का दखल नहीं होता. मगर चीन में भ्रष्टाचार से जुड़े नियम कायदे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ही तय करती है और इसे अंजाम देती है. जानकार मानते हैं कि स्वतंत्र जांच और संतुलन की कमी का मतलब है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने के लिए भ्रष्टाचार की जांच को आसानी से हथियार बनाया जा सकता है. या यूं कहें कि भ्रष्टाचार-विरोधी कैंपेन की आड़ में जिनपिंग को अजेय बनाने की कोशिश चल रही है.
कुछ बड़े नाम जो भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे
पहला नाम है चीन के पूर्व रेलमंत्री लियु जिजुन का. साल 2013 में अदालत ने जिजुन को मौत की सजा सुनाई. आरोप लगे कि वो भ्रष्टाचार में लिप्त थे और उन्होंने बतौर रेलमंत्री रहते हुए सत्ता का दुरुपयोग किया. रिश्वत लेकर सरकारी रेल के ठेके दिलवाए. इस रिश्वत से लियु ने महज 25 साल में 80 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा कमाए.
पहले कम्युनिस्ट पार्टी के हेड हुआ करते थे बाई एनपेई. वो 2011 तक युन्नान में पार्टी का काम संभालते रहे. फिर उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. कहा गया कि उन्होंने 3 अरब रुपयों से भी ज़्यादा कमाए हैं. उनके ऊपर केस चला, अक्टूबर 2016 में उन्हें इस जुर्म के लिए सजा-ए-मौत सुना दी गई. लेकिन बाद में ये सजा बदलकर आजीवन कारावास कर दी गई थी.
अप्रैल 2015 में जनरल गुओ बॉक्सिओंग पर भी रिश्वत लेने का आरोप लगे. वो सेन्ट्रल मिलिट्री कमीशन माने (CMC) के वाइस चेयरपर्सन थे. CMC चीन के रक्षा मामलों में सबसे बड़ा संगठन है. ये एक तरीके से चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को चलाती है. जुलाई 2016 मे खबर आई कि गुओ ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और सजा के खिलाफ अपील भी नहीं की है. उसके बाद उनकी संपत्तियां जब्त कर लीं गई और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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