यूपी- साधु, त्रिवेणी और अक्षयवट… महाकुंभ के लोगो में क्या हैं इन चिन्हों के महत्व, आप भी जानें – INA

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ 2025 के प्रतीक चिन्ह यानी LOGO से पर्दा हट चुका है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में महा कुंभ-25 के लिए लोगो को लांच किया. पहली बार इसे सैटेलाइट की मैपिंग से डिजाइन किया गया है. इसके अंदर इकट्ठे किए गए प्रतीकों को बनाने में खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा. इसकी डिजाइन में 276 बार संशोधन करना पड़ा तब कहीं जाकर इस पर सीएम की मुहर लगी है.

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पवित्र नदियों के तट पर हर बारह साल में लगने वाले धार्मिक आयोजन में जितनी विविधता है उतने ही इसके मायने हैं. इन सभी का आइना होता है कुंभ का प्रतीक चिन्ह. जिसे तैयार करना बड़ी चुनौती कही जाती है. संगम किनारे प्रयागराज में 2025 में लगने जा रहे महाकुंभ का LOGO जारी कर दिया गया. जैसे हर घर कुछ कहता है वैसे हर लोगो भी कुछ कहता है. महाकुंभ के इस लोगो के प्रतीक और इसकी भी बहुत खास बनाए गए हैं.

महाकुंभ के लोगो में संगम और महाकुंभ के साथ भारतीय संस्कृति के संदेश को शामिल किया गया है. जारी लोगो पौराणिकता, समृद्धि और सनातन परंपरा के प्रतीक चिन्हों का संगम है. लोगो में संगम की तीन पावन नदियां के त्रिवेणी स्थान को भी दर्शाया गया है. इसमें भक्ति, ज्ञान और कर्म को दर्शाया गया है. लोगो में पहली बार सृष्टि के आरंभ के प्रतीक अक्षयवट और लेटे हनुमान मंदिर को स्थान मिला है.

लोगो में तीन साधुओं की तीन मुद्रा भी अपने अंदर एक विशेष संदेश छिपाए हैं. शंखनाद करता साधु नई शुरुआत का, प्रणाम की मुद्रा का साधु अतिथि देवो भवः का और तीसरा साधु ध्यान मुद्रा का प्रतीक है. समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश को कलश के रूप में दर्शाया गया है. अमृत कलश के मुख को भगवान विष्णु, गर्दन को रूद्र, आधार को ब्रह्मा, बीच के भाग को समस्त देवियों और अंदर के जल को संपूर्ण सागर का प्रतीक माना जाता है. महाकुंभ की टैग लाइन ‘सर्वसिद्धिप्रदः कुंभ (सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाला कुंभ) समृद्धि का प्रतीक है.


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