देश- आर्य समाज मंदिर में करनी है शादी तो जान लें दिल्ली हाई कोर्ट का ये फैसला – Hindi News | Delhi HC Arya samaj mandir weddings Witness verification hindu marriage act- #NA

दिल्ली हाईकोर्ट.

प्रेमी जोड़े शादी करने के लिए अक्सर आर्य समाज मंदिर का रास्ता अपनाते हैं. यहां पूरे विधि विधान से शादी होती है, लेकिन इस शादी के लिए गवाहों की भी जरूरत होती है. लड़का-लड़की की तरफ से दो या दो से ज्यादा गवाहों की गवाही ली जाती है ताकी शादी को सत्यापित किया जा सके. लेकिन कई बार इन आर्य समाज मंदिरों में इन गवाहों के पहचान पत्र ले तो लिए जाते हैं लेकिन ये नहीं देखा जाता कि वह प्रमाणिक हैं भी या नहीं.

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक चाचा के भतीजी से शादी करने के मामले में संज्ञान लेते हुए आर्य समाज मंदिर को निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि मंदिर में ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि शादी के गवाही देने वाले गवाह असली भी हैं या नहीं. साथ ही मंदिर दोनों पक्षों से कम से कम एक गवाह रखने का प्रयास करे.

पहले से शादीशुदा था चाचा

आरोप है कि एक चाचा ने पहले से शादीशुदा होते हुए भी खुद को अविवाहित बताया और अपनी भतीजी से आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली. जब परिजनों को मामले का पता चला तो वहां हड़कंप मच गया. इसके बाद ये बात खुली की चाचा तो पहले से ही शादीशुदा है और उसने भतीजी से शादी के वक्त जो गवाह पेश किए थे वह भी नकली थे. इस मामले पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि मंदिर दोनों पक्षों से कम से कम एक गवाह रखने का प्रयास करेगा, जो या तो रिश्तेदार हों या कोई परिचित हों जो उन्हें काफी समय से जानते हों.

आर्य समाज मंदिर में रचाई थी शादी

अदालत ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि जिस तरह से लड़की के चाचा ने आर्य समाज मंदिर के सामने झूठ बोलकर खुद को अविवाहित बताया वह स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है और ये शादी भी अमान्य है. अदालत ने कहा कि विवाह करने वाले जोड़े और पुजारी के अलावा मालवीय नगर में आर्य समाज मंदिर में आयोजित विवाह समारोह में कोई भी मौजूद नहीं था. अदालत ने कहा कि इस शादी की वैधता और पवित्रता पूरी तरह से संदिग्ध है. दरअसल, आर्य समाज मंदिर वैवाहिक स्थिति के संबंध में पक्षों से हलफनामा तो लेता है, लेकिन आगे उसका कोई सत्यापन नहीं किया जाता.

कोर्ट ने क्या कहा?

अदालत ने कहा कि आर्य समाज मंदिर अब यह सुनिश्चित करे कि जब शादी के उद्देश्य से गवाह पेश किए जाएं, तो वो वास्तविक और प्रामाणिक गवाह हों, जिनकी स्थिति का सही से सत्यापन किया जा सके. मंदिर दोनों पक्षों यानी दूल्हा और दुल्हन की ओर से कम से कम एक गवाह को बुलाने का प्रयास करे जो रिश्तेदार हों और अगर कोई रिश्तेदार नहीं है तो किसी ऐसे परिचित को गवाह बनने की अनुमति दी जाएगी, जो संबंधित पक्षों को काफी समय से जानता हो. फिलहाल कोर्ट ने इस शादी को रद्द कर दिया है.

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