Big Survey: डर के साये में काम करती हैं लेडी डॉक्टर्स! जानें क्यों नाईट शिफ्ट में हथियार रखने की समझती हैं जरूरत #INA
Big Survey: कोलकाता रेप और मर्डर मामले के बाद से देश के अस्पतालों में महिला डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई राज्यों में अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर सरकार कदम उठा रही है. सरकार निर्देश दे रही है. इस बीच एक ऐसा सर्वे सामने आया है जो दर्शाता है कि नाइट ड्यूटी में डॉक्टर असुरक्षा की भावना में जी रहे हैं. भारत में नाईट शिफ्ट में काम करने वाले लगभग एक तिहाई डॉक्टर खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं, इनमें भी ज्यादातर महिलाएं हैं – इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की एक स्टडी में खुलासा सामने आया है. भारत में नाईट शिफ्ट ड्यूटी करने वाले एक तिहाई डॉक्टर खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं, इनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं.
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डॉक्टर की सुरक्षा को लेकर चिंताएं खड़ी हो गई
ये बात आईएमए के एक अध्ययन में सामने आई है. आईएमए ने दावा किया कि 3,885 व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं के आधार पर इस विषय पर भारत का सबसे बड़ा अध्ययन है. इसमें बताया गया है कि कुछ डॉक्टर खुद की सुरक्षा के लिए अपने साथ हथियार रखने की जरूरत समझते हैं. बीते दिनों हुए कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले के बाद से डॉक्टर की सुरक्षा को लेकर चिंताएं खड़ी हो गई हैं.
नाईट शिफ्ट के दौरान ड्यूटी रूम ही उपलब्ध नहीं
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने चिंताओं का मूल्यांकन करने के लिए ऑनलाइन सर्वे किया. इस सर्वे में यह पाया गया कि 45 प्रतिशत डॉक्टर के पास नाईट शिफ्ट के दौरान ड्यूटी रूम ही उपलब्ध नहीं है. सर्वे में 22 से अधिक राज्यों से पार्टिसिपेंट्स को शामिल किया गया था.
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20-30 की उम्र के डॉक्टर में सुरक्षा की भावना सबसे कम थी
जिनमें से 85 प्रतिशत 35 वर्ष से कम उम्र के थे जबकि 61 प्रतिशत ट्रेनी या पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी थे. 20-30 की उम्र के डॉक्टर में सुरक्षा की भावना सबसे कम थी और इस समूह में बड़े पैमाने पर ट्रेनी और पोस्ट ग्रेजुएट शामिल हैं. इस सर्वे में यह देखा गया कि भीड़भाड़, रूम न होना और अगर रूम होना तो उसमे लॉक ना होना. जिससे डॉक्टरों को सही जगह ढूंढने के लिए मजबूर होना पड़ता है और उपलब्ध ड्यूटी रूम में से एक-तिहाई में बाथरूम अटैच नहीं है.
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