स्मार्टफोन से आंखों की तस्वीर खींचकर करें अपलोड, कॉर्निया की बीमारी है या नहीं देखकर बता देगा एआई ऐप #INA
Eyes diseases : दुनियाभर में 1.20 करोड़ लोग कॉर्निया में खराबी के कारण अंधेपन का शिकार हो चुके हैं. इस बीमारी में आंखों की परत पर नुकसान होता है. कॉर्निया ट्रांसप्लांट से ही आंखों की इस बीमारी का इलाज किया जाता है. आंखों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली रे ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित ऐप बनाया है जो मार्टफोन से ली गई तस्वीरों का प्रयोग कर कॉर्निया अपारदर्शिता का पता लगाने में सक्षम है. ट्रांसप्लांट के लिए कॉर्निया का दान करने वालों की संख्या काफी कम है. इस वजह से अंधेपन का शिकार लोगों को समय पर कॉर्निया नहीं मिल पाता है. हालांकि अब एक नई तकनीक का विकास किया गया है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
92.25 फीसदी सटीकता
एम्स स्थित आंखों के अस्पताल के प्रमुख डॉ. जीवन एस टिटियाल ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि एआई आधारित यह ऐप 92.25 फीसदी सटीकता के साथ नतीजे बताता है. इसका फायदा यह है कि इसके जरिये दूर-दराज के ऐसे इलाकों में भी मरीज स्मार्टफोन से आंखों की तस्वीर लेकर कॉर्निया की बीमारी का पता लगा सकेंगे, जहां इसकी जांच की सुविधाएं नहीं हैं.
बस करना होगा फोटो ऐप पर अपलोड
मरीजों तक इस ऐप को पहुंचने में अभी थोड़ा समय लगेगा. अभी इस ऐप का इस्तेमाल सिर्फ एम्स के डॉक्टरों ने परीक्षण के लिए ही किया है. आने वाले समय में इसे एंड्रॉयड और एप्पल के आईओएस ऐप स्टोर पर उपलब्ध कराया जाएगा. जब यह ऐप आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगा तो स्मार्टफोन से खींचा गया फोटो ऐप पर अपलोड करते ही यह नतीजे देगा कि कॉर्निया की बीमारी है या नहीं. बीमारी होने पर ऐप मरीज को कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए रेफर करने का भी सुझाव देगा. इसके बाद डॉक्टर ऐप द्वारा बताए गए नतीजे के बाद खुद भी मरीज की आंखों की जांच कर प्रत्यारोपण का फैसला ले सकेंगे.
4,263 मरीजों पर परीक्षण
ऐप विकसित करने के लिए जुलाई 2022 से दिसंबर 2023 तक शोध किया गया. एआई एल्गोरिदम बनाने के लिए दो हजार तस्वीरों का उपयोग किया गया. इनमें एक हजार तस्वीरें कॉर्निया अपारदर्शिता वाले मरीजों की आंखों की थी और एक हजार तस्वीर मरीजों की आंखों की . ऐप बनने के बाद इसे 4,263 लोगों पर परीक्षण कर देखा गया. यह 92 फीसदी से अधिक सटीक नतीजे बताता है.
क्यों होती है कॉर्निया में खराबी
अगर आंखों में इंफेक्शन रहता है और हर्पीस की बीमारी हो जाती है तो इससे कॉर्निया डैमेज होने का रिस्क रहता है. किसी चोट या आंखों की अन्य गंभीर बीमारी के कारण भी कॉर्निया खराब हो सकता है. अगर एक बार कॉर्निया पूरी तरह डैमेज हो जाए तो व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो जाता है. ऐसे मामलों में केवल कॉर्निया ट्रांसप्लांट से ही रोशनी वापिस लाई जा सकती है. लेकिन कई मामलों में मरीज को कॉर्निया समय पर नहीं मिल पाता है. लोगों को लगता है कि आंखों के ट्रांसप्लांट में पूरी आंख ही निकाल दी जाती है, लेकिन ऐसा नहीं होता. इसमें केवल डोनर की आंख से कॉर्निया ही निकाला जाता है और मरीज में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
ऐसे करें आंखों की देखभाल
अपनी आंखों की देखभाल करना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए सबसे जरूरी है कि आंखों की किसी परेशानी को हल्के में न लें. अगर आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द, खुजली, आंखों का लाल होना जैसी परेशानी हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इस मामले में लापरवाही न करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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