देश- बिहार में भूमि सर्वेक्षण पर बढ़ा विवाद! कागजात दुरुस्त कराने में वसूली का आरोप, धरना प्रदर्शन- #NA

बिहार में जमीन का सर्वे. (सांकेतिक)

बिहार में लगातार बढ़ते भूमि विवाद और इससे उपजे आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने और सही व्यक्ति को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए विशेष भूमि सर्वेक्षण का काम कराया जा रहा है. पूरे राज्य के अंचल कार्यालयों में भारी भीड़ लगने लगी है. सर्वे के पहले ही जमीन विवाद जोर पकड़ने लगा है, कई जगह मारपीट की नौबत आ गई. वहीं अंचल कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन भी होने लगा है. पूरे बिहार का आजकल यही हाल है. राज्य के बाहर रहने वाले लोग भी अपने गांव पहुंच रहे हैं.

दरअसल यह सर्वे जमीन के रिकॉर्ड का मिलान है. सभी जमीन के असल हकदार को अपना दावा दाखिल करना है, ताकि आगे जमीन का कोई विवाद नहीं रहे. यह काम 2020 में शुरू हुआ था, लेकिन अब गति पर आया है क्योंकि तीन महीने का लक्ष्य देकर इसे पूरा कराया जा रहा है.

1890 में पहला भूमि सर्वेक्षण

राज्य में पहला भूमि सर्वेक्षण 1890 में शुरू हुआ था. 1990 में दूसरी बार इसकी शुरुआत हुई. अब भी बिहार में जमीन विवाद में सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं, खासकर हत्याएं होती हैं. स्वामित्व विवाद का समाधान हो गया तो काफी हद तक यह संकट कम जाएगा. ऐसे में इस ड्रीम प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद से अफवाहों के कारण लोग डरे हुए हैं. सबसे बड़ा खतरा कागज नहीं रहने पर जमीन सरकारी होने का सता रहा है.

कागजात तैयार कराने की होड़

पुराने जमीन विवाद भी नए सिरे से शुरू हो गए हैं. अब आरा का ही हाल देख लीजिए, पूरे शाहाबाद का यही एक अंचल कार्यालय है. बिहार में भूमि सर्वे के पूर्व कागजात तैयार करने में भोजपुर जिले के किसानों और जमीन मालिकों की भागदौड़ बढ़ गयी है. सरकार की ओर से जमीन मालिकों को निर्धारित प्रपत्र में कागजात जमा करने की ताकीद की गई है. इस सर्वे का अहम मकसद सरकारी जमीन को कब्जे से मुक्त कराना और लैंड रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाना बताया जा रहा है.

अमीनों की दुकान चल निकली

भूमि सर्वे के कागजात तैयार करने में जिले के किसानों और जमीन मालिकों के पसीने छूट रहे हैं. सरकार की ओर से जमीन मालिकों को निर्धारित प्रपत्र में कागजात जमा करने की ताकीद की गई है. हलका, अंचल, भूमि निबंधन कार्यालय, सर्वे कार्यालय, समाहरणालय के अभिलेखागार, अनुमंडल कार्यालय, न्यायालय में लोगों की लगातार भीड़ उमड़ रही है. कागजात के जानकार समेत अमीनों की दुकान खूब चल निकली है.

खतियान लेने के लिए लोगों की लंबी- लंबी लाइन रहती है. लोगों ने बताया कि उनकी अधिकांश जमीन का कागजात नष्ट हो चुका है. अब कागजात की जरूरत पड़ी है, उसी का नकल निकालने आए हैं. इसे बनाने में जमीन मालिकों के पसीने छूट रहे हैं.

मुजफ्फरपुर का हाल

दस्तावेजों में सुधार करवाने के लिए अंचल कार्यालय में भीड़ उमड़ रही है, लेकिन इसके बाद भी सुधार नही हो पा रहा है. अंचल कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारियों के नहीं मिलने से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. फरियादी अंचल से लेकर जिलाधिकारी तक रोज गुहार लगा रहे हैं.

रजिस्ट्री के साथ वंशावली देना आनिवार्य

बता दें कि राज्य के 45 हजार गांवों में विशेष भूमि सर्वेक्षण का काम जारी है. सर्वे में खतियान, लगान रसीद, जमीन रजिस्ट्री दस्तावेज के साथ वंशावली देना आनिवार्य है. मुजफ्फरपुर के 16 अंचलों में सर्वेक्षण चल रहा है. जिसको लेकर मुशहरी प्रखंड के लोगों में काफी आक्रोश है. रैयतों के काम नहीं होने से लोग आंदोलन कर रहे हैं. मुशहरी प्रखंड में भ्रस्टाचार के खिलाफ सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने धरना दिया.

सीपीएम ने दिया धरना

कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीएम) ने 13 सूत्री मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट में धरना दिया. जिला मंत्री अब्दुल गफ्फार ने राज्य और केंद्र सरकार पर जनविरोधी नीतियों से लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सर्वे के नाम पर कर्मचारी और बिचौलिए लोगों को परेशान कर रहे हैं. किसानों ने भूमि सर्वेक्षण में हो रही समस्या को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में विशाल धरना प्रदर्शन कर डीएम को मांग पत्र सौंपा.

इसमें कहा गया है कि अगर समय से किसानों की समस्या का निष्पादन नहीं हुआ तो सैकड़ों किसान मुसहरी कार्यालय का घेराव करेंगे. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया की सरकार पहले दाखिल खारिज और ऑनलाइन सही करे फिर सर्वे हो, नही तो हम लोग विरोध करेंगे.

कागज सही करने के नाम पर वसूली

महिला ने बताया की कागज सही करने का काफी पैसा मांगा जा रहा हैं. वहीं किसान नेता मुक्तेश्वर सिंह ने कहा कि अगर हमारी मांगें सरकार नहीं सुनेगी तो 10 हजार की संख्या में किसान मुसहरी कार्यालय का घेराव कर अनशन करेंगे. लोगों ने आरोप लगाया कि अंचल कार्यलय में बिना पैसा का कोई काम नही हो रहा है. पैसा नहीं देने पर डीसीएलआर, डीएम कार्यलय जाने को कहा जाता है. समय से कोई कर्मचारी नही मिलते हैं

लोगों के बीच भारी कन्फ्यूजन

वही वंशावली को लेकर लोगों के बीच भारी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी है. मुशहरी प्रखंड के अंचलाधिकारी महेंद्र शुक्ला ने बताया कि सर्वे कार्य को लेकर रैयतों को वंशावली के लिए किसी कर्मचारी के हस्ताक्षर या शपथ पत्र की जरूरत नहीं है. प्रमाण पत्र या शपथ पत्र की जगह रैयतों को फॉर्म तीन में अपने वंशावली का खुद जिक्र करना है. इसका सत्यापन बंदोबस्त कार्य में लगे कर्मचारी खुद करेंगे. इसके लिए किसी प्रमाण पत्र या शपथ पत्र की जरूरत नहीं है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने विशेष भूमि सर्वेक्षण को लेकर कई निर्देंश जारी किए हैं.

शपथ पत्र की जरूरत नहीं

इसमें बताया गया है कि पहले के खतियान में दर्ज नाम के आगे वंशावली का जिक्र फॉर्म तीन में किया जाना है. रैयतों द्वारा इसे भरकर जमा कर दिया जाएगा. इसके सत्यापन का काम बंदोबस्त में लगे कर्मचारी खुद करेंगे. इसके अलावा वंशावली के सत्यता के लिए किसी शपथ पत्र की भी जरूरत नहीं है. वहीं, विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि सर्वेक्षण के लिए खतियान की मूल प्रतिलिपि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है. रैयत सिर्फ अपने स्वामित्व वाली जमीन का जिक्र करेंगे. अंचलाधिकारी ने कहा कि अंचल में जनता दरबार लगाकर रैयतों जा समस्या सुनकर निदान किया जाता है. प्रखंड कार्यालय में कर्मचारी, अमीन, कानूनगो समस्या को सुनकर निदान करते हैं.

भूराजस्व विभाग के कर्मचारी भी परेशान

वहीं चंपारण में लोग ही नहीं बल्कि भूराजस्व विभाग के कर्मचारी भी परेशान हैं. बेतिया के मझौलिया के महनागनी पंचायत भवन में भूमि सर्वेक्षण के दौरान स्थानीय दबंगों के द्वारा सर्वेक्षण कर्मचारियों के साथ अभद्रता और दबंगई का मामला सामने आया है. जिसको लेकर सर्वेक्षण कर्मचारी रमन कुमार ने अपने विभाग में एक लिखित आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है. सर्वे कर्मचारियों के मुताबिक स्थानीय दबंग के द्वारा सरकारी काम में बाधा उत्पन्न किया जाता है और जान से मारने तक की धमकी दी जाती है.

ग्रामीणों ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण के कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही कर्मियों के द्वारा नहीं की जा रही है. इसके बावजूद कुछ दबंग सर्वे को प्रभावित करना चाहते हैं. हालांकि ग्रामीण सरकार की ओर से कराए जा रहे सर्वे कार्य में सहयोग कर अपने कागजात तैयार कर रहे हैं.

ऑनलाइन भी जमा हो सकता है कागज

इधर भूराजस्व विभाग के कर्मचारी अधिकारी और विभागीय मंत्री दिलीप जायसवाल जिलों में कैंप लगाकर लोगों को सर्वे के तरीके के बारे में जानकारी दे रहे हैं. भूमि सर्वेक्षण में किसी जमीन पर अपने दावे के लिए रैयतों को मुख्य रूप से प्रपत्र-2 व प्रपत्र-3ए भर कर जमा करना है. प्रपत्र-2 में अपनी जमीन से जुड़ी सभी जानकारी, जैसे अपनी जमीन का खाता नंबर, खसरा, रकबा और चौहद्दी की जानकारी देनी होगी. वहीं प्रपत्र-3ए वंशावली का फार्मेट है. यह उन रैयतों को भरना होगा, जिन्हें अपनी जमीन पुरखों से मिली है. बिहार से बाहर रहने वालों को उपस्थित होना आवश्यक नहीं है, यह सारे कागजात ऑनलाइन भी जमा कराया जा सकता है.

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