अगर आप भी करते हैं 9 to 5 जॉब, तो ये सिंड्रोम बन सकता है आपके लिए जानलेवा #INA

नौकरी करने वाले लोगों की आधी जिंदगी ऑफिस की चेयर पर और स्क्रीन के सामने बैठे-बैठे निकल जाती है. इन दिनों वर्क फ्रॉम होम और ऑफिस जॉब ट्रेंड में है.  लगातार बैठे रहने से शरीर में काफी सारी दिक्कत होने लगती है. वहीं इन दिनों इसके कारण एक सिंड्रोम होने लगा है. सारा टाइम स्क्रीन के सामने बैठे रहने से कंधे और रीढ़ की हड्डी में दर्द होने लगता है. वहीं लगातार चेयर पर बैठे रहने के कारण आंख और शरीर दोनों थकने लगता है. और फिर धीरे-धीरे हाई बीपी और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है. आइए आपको बताते है कि क्या है ये सिंड्रोम. 

क्या है डेड बट सिंड्रोम

डेड बट सिंड्रोम को क्लिनिकल भाषा में ग्लूटस मेडियस टेंडिनोपैथी कहा जाता है. यह कंडीशन तब होता है जब ज्यादा बैठने के कारण शरीर पर इसका असर होता है. कूल्हे यानी हिप्स और मांसपेशियों में दर्द होता है. ग्लूट मांसपेशियां पेल्विस को स्टेबल करने, अच्छा पोश्चर बनाए रखने और गति को सुविधाजनक बनाने के लिए जरूरी हैं.

क्या है इसके लक्षण 

डेड बट सिंड्रोम की वजह से हिप्स की ग्लूटल मांसपेशियां (ग्लूट) सुन्नपन और थोड़ा दर्द महसूस होना शामिल है. इसके अलावा एक या दोनों कूल्हों, पीठ के निचले हिस्से और घुटनों में तेज दर्द तक हो सकता है, आमतौर पर जब आप बैठे होते हैं या बैठने के बाद खड़े होते हैं.

क्या है कारण

यह इनएक्टिव लाइफस्टाइल, जिसमें ज्यादा बैठना या लेटना और ज्यादा मूवमेंट ना करना इसका कारण बन सकता है. वहीं जो लोग सुबह-शाम दौड़ते हैं, अगर वे अपना बाकी का समय बिना दौड़े डेस्क पर बिताते हैं, तो उन्हें भी इस सिंड्रोम का खतरा ज्यादा होता है.

कैसे बचें इससे 

इससे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपनी इनएक्टिव लाइफ में चेंज करें. इसके लिए आप अपने रूटीन में चेंज करें. इसके अलावा आप रोजाना एक्सरसाइज, ग्लूट-मजबूत करने वाली एक्टिविटीज आदि कर सकते हैं. साथ ही स्टेंडिंग डेस्क एक्सरसाइजेज, स्क्वाट्स, लंजेस, स्ट्रेचिंग की मदद से भी इससे राहत पा सकते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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