देश – क्यों राशिद इंजीनियर के निकलने से डरे उमर अब्दुल्ला और महबूबा, इतनी सीटों पर गेम ही पलटने का दम – #INA
जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट से सांसद राशिद इंजीनियर गुरुवार सुबह ही श्रीनगर पहुंचे। दिल्ली की तिहाड़ जेल से उनकी कल शाम की रिहाई हुई थी। टेरर फंडिंग केस में 2 अक्टूबर तक की बेल पर राशिद इंजीनियर जेल से बाहर निकले हैं, लेकिन उनके कश्मीर पहुंचने से उमर अब्दुल्ला से लेकर महबूबा मुफ्ती तक की सोशल इंजीनियरिंग खतरे में लग रही है। शेख राशिद इंजीनियर ने श्रीनगर पहुंचते ही धरती पर माथा टेका और जमीन को चूमते दिखे। वह रोने लगे और कहा कि मेरी तो लड़ाई ही कश्मीर के लिए है। बारामूला में उन्होंने जिस तरह उमर अब्दुल्ला को चुनाव हरा दिया था और अब फिर से इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं, उससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
राशिद इंजीनियर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह मेरी जमीन है। मैं किसी उमर अब्दुल्ला या महबूबा मुफ्ती के आरोपों की परवाह नहीं करता। मैं वह जंग लड़ रहा हूं, जो महबूबा और उमर लड़ ही नहीं सकते। उनसे बहुत बड़ी मेरी लड़ाई है। उन्होंने कहा कि मैं तो आत्मसम्मान, शांति और गरिमा चाहता हूं। कश्मीरियों को उनका हक दिलाने के लिए मैं उतरा हूं। राशिद इंजीनियर ने कहा कि मैं पीएम नरेंद्र मोदी का नया कश्मीर का सपना पूरा नहीं होने दूंगा। दरअसल राशिद इंजीनियर को लेकर उमर अब्दुल्ला आरोप लगाते रहे हैं कि वह भाजपा से मिले हुए हैं। उनकी मदद से भाजपा जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में जीत सकती है।
कश्मीर की 47 सीटें बंटते ही पलट सकता है पूरा गेम
नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस की टेंशन इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि राशिद इंजीनियर ने 35 से 40 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है। जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से राशिद इंजीनियर का असर बढ़ा है। ऐसे में इस्लामिक कट्टरपंथी और अलगाववादी विचार को मानने वालों का एक तबका राशिद इंजीनियर के पाले में जा सकता है। ऐसा हुआ तो फिर समीकरण पूरी तरह से अलग होंगे। भाजपा के जम्मू की 43 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। वहीं कश्मीर की 47 सीटों में यदि अच्छा खासा बंटवारा हो गया तो फिर उसके लिए अच्छी खबर आ सकती है।
इंजीनियर बोले- विपक्ष पीछे से छुरा भोंकता है
शेख राशिद का कहना है कि मैं किसी से गठबंधन नहीं करूंगा, सिर्फ अपने दिल की आवाज सुनकर कश्मीरियों के लिए लड़ूंगा। यही नहीं मोदी और विपक्ष में कोई अंतर न बताते हुए राशिद इंजीनियर का कहना है कि मोदी जी सामने से वार करते हैं और विपक्ष पीछे से छुरा भोंकता है। राशिद इंजीनियर की राजनीतिक ताकत को समझने के लिए एक ही तथ्य काफी है। वह लोकसभा चुनाव में जिस बारामूला सीट से जीते थे, उसमें 16 विधानसभाएं आती हैं। आम चुनाव के दौरान इनमें से 14 में उन्हें सीधी बढ़त मिली थी और उन्होंने उमर अब्दुल्ला को परास्त कर दिया था।
क्यों राशिद इंजीनियर अब लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा मजबूत
कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में तो यह और अधिक हो सकता है क्योंकि आम चुनाव देश के नाम पर होता है। अब कश्मीरियत की बात करके राशिद इंजीनियर अपने असर को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। वहीं उमर अब्दुल्ला लगातार यही प्रचार करने में जुटे हैं कि राशिद इंजीनियर भाजपा के साथ मिले हुए हैं।
फेल होगा PM का ‘नया कश्मीर’ का सपना; तिहाड़ से निकलते ही बोले राशिद इंजीनियर
भाजपा से मिले हैं… महबूबा से लेकर अब्दुल्ला ने उठाए MP राशिद की जमानत पर सवाल
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