देश- 100 फीट का है ज्योतिर्लिंग, सर्वे से खुल जाएगा राज… ASI की गलती से उलझा मामला- ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष- #NA

ज्ञानवापी मस्जिद (file-photo)

ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में वाराणसी के सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में 1991 के लॉर्ड विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतेजामिया मामले में हिन्दू पक्ष की बहस पूरी हो गई. बहस में लॉर्ड विशेश्वर की तरफ से उनके वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की. हिन्दू पक्ष की तरफ से कहा गया कि ज्ञानवापी कोई मस्जिद नही बल्कि विवादित ढांचा है और इस विवादित ढांचे के मुख्य भाग के नीचे हमारे ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं. उन्होंने साकी मुस्तैद खान की मआसिर-ए-आलमगिरी और एएस अलटेकर की हिस्ट्री ऑफ बेनारस का हवाला भी दिया.

कोर्ट को एएसआई सर्वे की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था और 2 सितंबर 1669 को मंदिर तोड़ दिया गया था. चूंकि इस्लाम में किसी भी उपासना स्थल को तोड़कर मस्जिद तामीर नही कराई जा सकती लिहाजा ये मस्जिद नही बल्कि विवादित स्थल है.

‘पूरे विवादित परिसर का सर्वे कराया जाए’

लॉर्ड विशेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि उन्होने कोर्ट से मांग की है कि पूरे विवादित परिसर का सर्वे कराया जाए. एएसआई से सर्वे करने के दौरान वजूखाने का सर्वे न कर के बड़ी गलती हो चुकी है. उनका कहना है कि वास्तव में सुप्रीम कोर्ट ने वजूखाने को संरक्षित करने का निर्देश दिया था जिसे एएसआई ने सील समझ लिया. हम कोर्ट से वजूखाने सहित पूरे विवादित परिसर जिसका कि सर्वे नही हुआ है उनका सर्वे चाहते हैं.

‘विवादित ढांचे के सौ मीटर नीचे सौ फुट के ज्योतिर्लिंग’

विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट से ये भी मांग की है कि विवादित ढांचे के सौ मीटर नीचे सौ फुट के ज्योतिर्लिंग हैं. सौ फुट की गहराई वाला उनका अरघा भी है. चूंकि जीपीआर तकनीक से हुए सर्वे में साढ़े चार मीटर के नीचे बोल्डर, पत्थर और मलबों से पटा हुआ होने के कारण चीजें स्पष्ट नही हो पाई. उन्होंने मांग की है कि विवादित ढांचे के सौ फुट आगे से चार वाई चार का ट्रेंच खोदकर करीब पचास मीटर तक जाया जाए और तब इसका जीपीआर सर्वे फिर से कराया जाए. वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिवीजन में मामले की सुनवाई चल रही है. 18 सितंबर से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमिटी अपना पक्ष रखेगा.

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