देश – राशिद की 'अलायंस इंजीनियरिंग' ने बढ़ाई उमर और महबूबा की टेंशन, भाजपा क्यों होगी खुश – #INA

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में मुकाबला बहुकोणीय दिख रहा है, लेकिन इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। एक तरफ भाजपा जम्मू में खुद को मजबूत मान रही है तो वहीं कश्मीर घाटी में राशिद इंजीनियर का असर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को झटका दे सकता है। राशिद इंजीनियर ने 2024 के आम चुनाव में उमर अब्दुल्ला को बारामूला लोकसभा सीट से हरा दिया था। उनकी जीत इतनी बड़ी थी कि बारामूला की 15 में से 12 सीटों पर उन्हें ही बढ़त मिली थी। तब साफ था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही जीत मिलने की संभावना है। इसके बाद भी राशिद इंजीनियर को इतनी बड़ी जीत मिली।

अब विधानसभा चुनाव में स्थानीय समीकरण और हावी रहेंगे। ऐसे में राशिद इंजीनियर के और मजबूत होकर उभरने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि राशिद इंजीनियर का असर कम से कम 35 सीटों पर है। अब वह और मजबूत हो गए हैं क्योंकि उनकी अवामी इत्तेहाद पार्टी का गठबंधन जमात-ए-इस्लामी के साथ भी कर लिया है। दोनों का कहना है कि हम जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए मैदान में उतरे हैं और साथ आ रहे हैं। राशिद इंजीनियर की पार्टी 30 सीटों पर चुनाव में उतर रही है, जबकि जमात-ए-इस्लामी ने 10 सीटों पर कैंडिडेट उतारने का फैसला लिया है। इस तरह दोनों दल 40 सीटों पर उमर और महबूबा के लिए टेंशन साबित हो सकते हैं।

इंजीनियर और जमात का कहना है कि हम कश्मीर के लोगों की समस्या खत्म करने के लिए लड़ रहे हैं। यदि हम जीते तो फिर घाटी की यह जीत होगी। एक तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दल राशिद पर भाजपा समर्थित होने का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं इंजीनियर का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है। वह तो उलटे आरोप लगा रहे हैं कि महबूबा मुफ्ती तो भाजपा के साथ सरकार भी बना चुकी हैं। जम्मू में मुख्य लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मानी जा रही है। आर्टिकल 370 और 35ए हटाए जाने के बाद भाजपा यहां खुद को मजबूत मान रही है। ऐसे में उमर, कांग्रेस और महबूबा को घाटी से उम्मीद थी।

अब यहां राशिद इंजीनियर पूरे सीन को ही बदल सकते हैं। यदि राशिद के असर से घाटी में उमर और महबूबा मुफ्ती को नुकसान पहुंचता है तो भाजपा बहुमत के आंकड़े की उम्मीद कर सकती है। दरअसल जम्मू में 43 सीटें हैं और 47 सीटें कश्मीर संभाग की हैं। इन 47 सीटों में ज्यादा बंटवारे के आसार हैं, जबकि जम्मू में दो ध्रुव ही दिख रहे हैं। इसी के चलते भाजपा को उम्मीद है कि कश्मीर में वोट बंटे तो वह जम्मू के दम पर ही बड़ी सफलता पा सकती है।

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