देश- RG कर मेडिकल कॉलेज: महिलाओं को रात में काम करने से नहीं रोका जा सकता- सुप्रीम कोर्ट- #NA
सुप्रीम कोर्ट Image Credit source: Sonu Mehta/HT via Getty Images
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि महिलाओं को रात में काम करने से नहीं रोका जा सकता है. शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार के उस अधिसूचना पर सवाल खड़ा करते हुए यह टिप्पणी की है, जिसमें महिला डॉक्टरों व कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट और 12 घंटे से अधिक काम करने पर रोक लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद राज्य सरकार ने कहा कि वह अपनी इस अधिसूचना में बदलाव करेगी.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के बजाय, राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि महिला डॉक्टरों व कर्मचारियों को रात में काम नहीं करना चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि आप यह कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? महिला डॉक्टरों व कर्मचारियों पर इस तरह की सीमाएं क्यों लगाई जा रही हैं? उन्होंने कहा कि महिलाएं किसी तरह की रियायत नहीं मांग कर रही हैं, वे (महिलाएं) हर समय यानी दिन या रात, किसी भी परिस्थिति में काम करने को तैयार हैं. पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल ने राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी किया है और इसके तहत महिलाओं से नाइट शिफ्ट और 12 घंटा से अधिक काम नहीं लिया जाएगा. इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि आपको इस पर दोबारा से विचार करना होगा.
‘पाबंदी लगाने के बजाए सुरक्षा दें’
उन्होंने कहा कि महिलाओं को रात में काम पर पाबंदी लगाने के बजाए, उन्हें सुरक्षा दीजिए. आपको सुरक्षा देनी होगी. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों को सुरक्षा दें। साथ ही कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को अपने अधिसूचना को सही करना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं.
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उन्होंने कहा कि पायलट, सेना, पुलिस सहित कई महकमों में महिलाएं रात में काम करती हैं. इसके साथ ही, पीठ ने कहा कि अनुज गर्ग के मामले में सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें महिलाओं को शराब की दुकानों में काम करने से रोक लगा दी गई थी. पीठ ने कहा कि अनुज गर्ग मामले में यह फैसला दिया गया था कि सुरक्षा की आड़ में महिलाओं की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां तक महिला डॉक्टरों की कामकाज के 12 घंटे सीमित किए जाने का सवाल है तो सभी डॉक्टरों (महिला और पुरुष) के लिए ड्यूटी के घंटे उचित होने चाहिए. उन्होंने कहा कि पुरुष डॉक्टरों की तुलना में महिला डॉक्टरों को निशाना बनाना अनुचित होगा.
राज्य सरकार अधिसूचना पर पुनर्विचार करेगी- सिब्बल
हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने पीठ से कहा कि राज्य सरकार अधिसूचना पर पुनर्विचार करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यह अस्थायी है और हाल ही में उठाए गए सुरक्षा उपायों का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में दुष्कर्म के बाद प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की हत्या के बाद देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल के बाद स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किए गए मामले की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित किया है.
CBI की रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, वह परेशान करने वाला- SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दुष्कर्म के बाद प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की हत्या की जांच कर रही सीबीआई की रिपोर्ट में कुछ ऐसे तथ्यों के खुलासे हुए हैं जो परेशान करने वाले हैं। शीर्ष अदालत ने सीबीआई की ओर से सीलबंद लिफाफे में पेश मामले की जांच रिपोर्ट को देखने के बाद यह टिप्पणी की.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने हालांकि सीबीआई की ओर से पेश स्थिति रिपोर्ट के तथ्यों का खुलासा करने से इनकार कर दिया और कहा कि इससे जांच प्रभावित हो सकती है. यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने जांच की समय-सीमा तय करने से इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सीबीआई नींद में सो नहीं रही है बल्कि मामले की जांच कर रही है. सच्चाई का पता लगाने के लिए सीबीआई को पर्याप्त समय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मामले में आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की अवधि है और अभी इनमें से समय बचा है, इसलिए जांच की समय सीमा तय करना उचित नहीं हो सकता है। उन्होंने सीबीआई के डीआईजी सत्यवीर सिंह द्वारा पेश स्थिति रिपोर्ट पर विचार करने के बाद यह टिप्पणी की.
तथ्य को सार्वजनिक करने से जांच की प्रक्रिया प्रभावित होगी- SC
शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई मामले की जांच कर रही है, इसके किसी भी तथ्य को सार्वजनिक करने से जांच की प्रक्रिया प्रभावित होगी। पीठ ने कहा कि सीबीआई ने मामले की जांच के लिए जो तरीका अपनाया है, वह सच्चाई को उजागर करना है, मामले में संबंधित थाना प्रभारी को गिरफ्तार किया गया है और हमने (अदालत) ने जो सवाल उठाए थे, उस बारे में भी जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में जवाब दिया है। पीठ ने कहा कि सीबीआई उन पहलुओं की भी जांच कर रही है कि क्या वैधानिक रूप में चालान पोस्टमार्टम के साथ पेश किया गया था। साथ ही इस बात की जांच कर रही है कि क्या अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई? साक्ष्यों को नष्ट किए गए और अपराध की सूचना देने में देरी के लिए अन्य लोगों की मिलीभगत है.
इससे पहले, मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति की ओर अधिवक्ता फिरोज एडुल्जी ने एक बार फिर से पीठ के समक्ष जब्ती सूची और स्केच मैप में विसंगतियों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजते समय पीड़िता के कपड़े नहीं भेजे गए जो गंभीर विसंगतियों को उजागर करता है. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई ने रिपोर्ट में जो कुछ भी कहा है कि वह और भी बुरा है, वास्तव में परेशान करने वाला है. आप जो बता रहे हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है, हम खुद चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि सीबीआई की रिपोर्ट हमने पढ़ा है, उसे देखकर हम खुद परेशान हैं.
7 से 8 घंटे के फुटेज सीबीआई को दिया- पश्चिम बंगाल सरकार
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 7 से 8 घंटे के पूरे सीसीटीवी फुटेज सीबीआई को सौंप दिए गए हैं। इससे पहले, सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई को पूरी फुटेज नहीं मिली है. इस पर पीठ ने सॉलिसिटर जनरल मेहता से कहा कि सीबीआई को क्या सीबीआई अधिकारी कोलकाता पुलिस को बुलाकर फुटेज नहीं ले सकते? आपको यह देखना होगा कि हैश वैल्यू बदली है या नहीं. सीबीआई को यह सुनिश्चित करना होगा. आपके जांच अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा. सुनिश्चित करें कि सीबीआई पूरा डीवीआर और फुटेज जब्त कर ले, हमें उम्मीद है कि सीबीआई ऐसा करेगी। राज्य सरकार ने कहा कि पुलिस ने पूरा फुटेज दिया है। कुल 32 जीबी का फुटेज दिया है.
मृतक के पिता द्वारा उठाई गई चिंताओं पर विचार करे CBI- SC
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि मृतक डॉक्टर के पिता द्वारा उठाई गई कुछ चिंताओं पर विचार करने को कहा है. पीठ ने कहा कि मृतका के पिता ने कुछ चिंताएं जाहिर की है, जिनमें जांच को लेकर कुछ विशिष्ट जानकारी भी है. पीठ ने मृतका के पिता की चिंताओं को वास्तविक बताया और सीबीआई से उन पर उचित रूप से ध्यान देने को कहा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया कि मृतका के पिता के द्वारा उठाई गई चिंताओं पर विचार किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि सीबीआई पहले से ही इसमें उठाई गई कई चिंताओं पर विचार कर रही है. साथ ही भरोसा दिया कि सीबीआई मृतक के माता-पिता से संपर्क बनाए रखेगी और उन्हें सूचित करती रहेगी. इस बीच, जूनियर डॉक्टरों के संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने शीर्ष अदालत से कहा कि उनके पास अपराध स्थल पर अन्य लोगों की मौजूदगी का संकेत देने वाली जानकारी है. उन्होंने इस बारे में सीबीआई को जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में सॉलिसिटर जनरल मेहता को देने पर सहमति जताई.
CM ममता का इस्तीफा मांगने पर याचिकाकर्ता को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगने के लिए दाखिल याचिका पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और याचिकाकर्ता के वकील को आड़े हाथ लिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है.
डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को तुरंत काम पर लौटने को कहा है. शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों से कहा कि यदि वे बुधवार शाम 5 बजे तक काम पर लौट आते हैं, तो उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी. पिछली सुनवाई पर भी पीठ से डॉक्टरों से काम पर लौटने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी डॉक्टर काम पर नहीं लौटे हैं.
सुनवाई का सीधा प्रसारण रोकने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने मामले की सुनवाई का सीधा प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी. सिब्बल ने कहा कि इसके जरिए, उनकी छवि को खराब किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 50 साल के करियर में जो उन्होंने जो प्रतिष्ठा कमाई, उसे धूमिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा पेश किया जा रहा है कि मैं राज्य सरकार का नहीं, गुनहगार को बचा रहा हूं. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकीलों को ऑनलाइन धमकियों से बचाया जाएगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विकिपीडिया से मृतक डॉक्टर का नाम हटाने का निर्देश दिया है.
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