देश – क्या है Venus Orbiter Mission, जिसे मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी, शुक्र ग्रह के किन रहस्यों को सुलझाएगा ISRO? #INA

Venus Orbiter Mission: चंद्रमा, मंगल और सूर्य के बाद अब भारत की नजर शुक्र ग्रह पर है. मोदी कैबिनेट ने बुधवार को शुक्र ग्रह पर जाने वाले मिशन को मंजूरी दे दी. इस मिशन को वीनस ऑर्टिबर मिशन (VOM) नाम दिया गया है. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने इस मिशन के लिए तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है वीनस ऑर्बिटर मिशन और इसके जरिए इसरो शुक्र ग्रह के किन रहस्यों को सुलझाएगा.

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2028 में लॉन्च होगा VOM

शुक्र ग्रह पर जाने वाले ये मिशन इसरो का 2014 के मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) के बाद दूसरा मिशन होगा. MOM मिशन के जरिए भारत ने इतिहास रचते हुए मंगल ग्रह की कक्षा में मंगलयान को सफलापूर्वक पहुंचा दिया था. अब भारत अंतरिक्ष में और लंबी छलांग लगाना चाहता है, इसके भारत का टारगेट मार्च 2028 तक वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) को लॉन्च करना है. 

क्या है वीनस ऑर्बिटर मिशन?

ISRO का लक्ष्य अभी शुक्र ग्रह पर लैडिंग करने का नहीं बल्कि उसकी ऑर्बिट में स्पेसक्राफ्ट को स्थापित करना है, इसलिए इस मिशन को वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) नाम दिया गया है, जिसकी लागत 1236 करोड़ रुपये होगी, जिसमें से 824 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान पर खर्च किए जाएंगे. इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक इंग्लिश बेवसाइट को बताया कि अंतरिक्षा यान का डिजाइन तैयार हो गया है. 

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किन रहस्यों को सुलझाएगा ISRO?

शुक्र ग्रह आकार, द्रव्यमान, घनत्व और आयतन में पृथ्वी के समान है, इसलिए इसे पृथ्वी की ‘जुड़वां बहन’ भी कहा जाता है. शुक्र हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है, इसकी वजह शुक्र का घना वायुमंडल का होना है, जो मुख्य रूप से कार्बन हाईऑक्साइड से बना है, गर्मी को रोक लेता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड के बने बादल हैं.  

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शुक्र की सतह पर वायुमंडलीय दबाव समुद्र तल पर पृथ्वी के दबाव से 90 गुना अधिक है. इस ग्रह के बारे में कई ऐसी बाते हैं, जो अभी तक रहस्य बनी हुई हैं.

वीनस ऑर्टिबर मिशन (VOM) के तहत शुक्रयान इस ग्रह की ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. यह एक साइंटिफिक स्पेसक्राफ्ट होगा, जो शुक्र ग्रह से जुड़े रहस्यों का पता लगाने में मदद करेगा.

इस मिशन के जरिए ISRO शुक्र ग्रह की स्टडी और अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को करेगा. इसरो शुक्र की सतह और उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव की जांच करेगा. 

इसके अलावा इसरो को शुक्र की स्टडी करने से धरती और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी, क्योंकि दोनों ग्रह एक-दूसरे से मिलते जुलते हैं और कभी शुक्र ग्रह पर भी जीवन था.

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